दरौली : दरौली थाना का भवन आज अपनी हालत पर आंसू बहा रहा है, जबकि स्वतंत्रता पूर्व अंगरेजों द्वारा स्थापित दरौली कभी सारण जिले का महत्वपूर्ण थाना हुआ करता था़ उन दिनों सारण जिले के पुलिस कप्तान की देखरेख में थानों का संचालन हुआ करता था़ उस समय सरण जिले में तीन ही थाने थे.
इसमें दरौली, सीवान नगर थाना व छपरा में बनियापुर थाना़ बता दें कि दरौली से छपरा की दूरी करीब 80 किमी के आसपास है़ वर्तमान में दरौली के आसपास रघुनाथपुर, असांव, गुठनी, आंदर, मैरवा, जीरादेई सहित अधादर्जन से अधिक थाने मौजूद है़ं अंगरेजों द्वारा इस जगह को इसलिए विशेष महत्व दिया था कि दरौली बाजार में सबसे नजदीक सरयु नदी गुजरती है, जिससे व्यापारियों द्वारा जहाज से आते व जाते थे व बाजार भी नजदीक था़ बुजुर्गों के मुताबिक दरौली थाने पर अंगरेजों का विशेष ध्यान था. यहां घुड़सवार सहित अन्य तरह के फौज मौजूद हुआ करते थे.
आज वर्तमान स्थिति यह है कि थाना परिसर में अंगरेजों की विरासत अपना अस्तित्व खो रहा है. गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि आजादी की लड़ाई के दौरान गांधी जी के नेतृत्व में 9 अगस्त, 1942 में हमें अंगरेजों के खिलाफ आंदोलन में शामिल लोगों को दरौली के थाने में ही बंद किया गया था़
उस समय अंगरेजों भारत छोड़ो आंदोलन के समय आंदोलनकारियों द्वारा थाने को फूंक दिया गया, जिस पर अंगरेजों ने आंदोलनकारियों को पकड़ कर इसी थाने में बंद किया था़ थाना परिसर में मौजूद खंडहर अपनी विशालता को याद दिलाता है. थानाध्यक्ष अरविंद कुमार ने बताया कि इसके पूर्व के अधिकारियों ने इस संबंध में पत्राचार किया है. जल्द ही इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाया जायेगा और भवन बनाने के लिए पत्राचार किया जायेगा.
थाने में वर्तमान पदस्थपित पद
थानेदार- एक
एसआइ- एक
मुंशी – एक
सिपाही – छह
सैप – चार
होमगार्ड – बारह