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गुणवत्ता की जमीन तलाश रहा शिक्षा विभाग

सीवान : सीमित संसाधनों के बीच गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जमीन तलाशने में विभाग जुटा है. बात चाहे प्राथमिक विद्यालय की हो या फिर उच्च माध्यमिक विद्यालय की, धरातल पर सबकी वस्तुस्थिति लगभग एक समान है. विद्यालयों में न तो पर्याप्त संसाधन है और न ही मानक के अनुसार शिक्षक. बावजूद इसके गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात […]

सीवान : सीमित संसाधनों के बीच गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जमीन तलाशने में विभाग जुटा है. बात चाहे प्राथमिक विद्यालय की हो या फिर उच्च माध्यमिक विद्यालय की, धरातल पर सबकी वस्तुस्थिति लगभग एक समान है. विद्यालयों में न तो पर्याप्त संसाधन है और न ही मानक के अनुसार शिक्षक. बावजूद इसके गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात की जा रही है. रही सही कसर शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगने से पूरा हो जाता है. मामले में शिकायतें भी लगातार मिलती रही हैं.
मैट्रिक व इंटर परीक्षा के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी विश्वनाथ प्रसाद विश्वकर्मा द्वारा पढ़ाई की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए उच्च विद्यालय से लेकर प्राथमिक विद्यालय तक का निरीक्षण करने का निर्णय लिया गया है. विद्यालयों की ससमय जांच को जरूरी बताते हुए उन्होंने सीमित संसाधनों के बीच बेहतर करने का भरोसा अपने कर्मियों पर जताया है. इसके लिए उन्होंने टीम बनाने का फैसला किया है.
फिलहाल, स्वयं श्री विश्वकर्मा द्वारा निरीक्षण भी शुरू कर दिया गया है. निरीक्षण के क्रम में पढ़ाई के तौर-तरीके के साथ साथ विद्यालय प्रशासन की कार्यशैली पर नजर भी रखी जा रहा है. जिले में संचालित 95 माध्यमिक विद्यालयों की स्थिति भी बहुत अच्छी नही है. पढ़ाई के लिए जरूरी सबसे छोटी इकाई शिक्षकों की घोर कमी है. अमूमन विद्यालयों में विज्ञान शिक्षक सबसे कम हैं.
प्रायोगिक परीक्षा का अंक चढ़ाने के नाम पर कर दी स्कूल की छुट्टी! : रिमोट एरिया में शिक्षकों की मनमानी भी चलती है. शुक्रवार को महाराजगंज स्थित उमाशंकर सिंह उच्च विद्यालय के निरीक्षण के क्रम में जो कुछ दिखा वह स्थिति को बयां करने के लिए काफी था. बकौल श्री विश्वकर्मा, विद्यालय से बच्चों की छुट्टी कर दी गयी थी. विद्यालय प्रशासन ने अपनी सफाई में प्रायोगिक परीक्षा का अंक चढ़ाने के लिए लड़कों की छुट्टी करने की बात कही.
2127 प्राथमिक व मध्य विद्यालयों की स्थिति भी बहुत अच्छी नही है. एमडीएम खाने के बाद बच्चों की उपस्थिति विद्यालयों में कम होने की शिकायत आम बात है. इन विद्यालयों के सफल संचालन के लिए गठित विद्यालय शिक्षा समिति भी अपना काम ठीक ढंग से नहीं कर पा रही है. वीएसएस ट्रेनर अजय कुमार का मानना है कि विद्यालय शिक्षा समिति द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहण सही तरीके से नहीं किया जा रहा है.
विद्यालय ग्रामीण राजनीति का शिकार भी हो रहे हैं. शिक्षक पठन-पाठन के अलावा अन्य विभागीय कार्यों के बोझ से दबे हैं. विद्यालयों में इनकी संख्या भी कम है. ऐसे में गुणवत्ता की कसौटी को मापने का काई नया तरीका इजाद करने की जरूरत है कारण कि वर्ग सात में अध्ययनरत छात्र को राष्ट्रपिता व देशरत्न के बारे में जानकारी नही है. ये बात भी स्वयं डीइओ की जांच में सामने आयी है.

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