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नौनिहालों पर आफत, दिखावा बना एसएनसीयू

नौनिहालों पर आफत, दिखावा बना एसएनसीयूप्राइवेट अस्पतालों में नवजात का इलाज कराने की लाचारीमहंगे मशीनों का समय से नहीं होता मेंटेनेंस, बच्चों को भरती करने से कतराते हैं स्वास्थ्यकर्मीएसएनसीयू का एसी निकाल कर आइसीयू में लगाया गयाफोटो:-23 एसएनसीयू.सीवान. प्रसव के बाद नवजात की तबीयत खराब होने पर इलाज के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस एसएनसीयू […]

नौनिहालों पर आफत, दिखावा बना एसएनसीयूप्राइवेट अस्पतालों में नवजात का इलाज कराने की लाचारीमहंगे मशीनों का समय से नहीं होता मेंटेनेंस, बच्चों को भरती करने से कतराते हैं स्वास्थ्यकर्मीएसएनसीयू का एसी निकाल कर आइसीयू में लगाया गयाफोटो:-23 एसएनसीयू.सीवान. प्रसव के बाद नवजात की तबीयत खराब होने पर इलाज के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस एसएनसीयू बना तो है. लेकिन नौनिहालों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है. जन्म से लेकर एक साल तक के बच्चों का इलाज के लिए डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मियों को पदस्थापित कर स्वास्थ्य विभाग अपनी जवाबदेही से मुंह मोड़ रहा है. एसएनसीयू(विशेष नवजात केयर यूनिट)में बच्चों के लिए दो शिशु रोग विशेषज्ञ सहित तीन डॉक्टर तथा दस एएनएम को विभाग ने पदस्थापित किया है.लेकिन इसके बाद भी बच्चों का समुचित इलाज नहीं किया जाता है. अगर कोई व्यक्ति अपने बच्चे को सदर अस्पताल के एसएनसीयू में ही भरती करने के लिए कहता है, तो दिखाने के लिए बच्चे को दो-तीन घंटों के लिए भरती कर दिया जाता है. स्वास्थ्यकर्मी व्यवस्था की कमी का बहाना बनाकर किसी तरह मरीज को प्राइेवट में भेज देते हैं. एसएनसीयू का इंडोर रजिस्टर तो बताता है कि सैकड़ों बच्चों का इलाज किया गया. लेकिन सच्चाई ठीक इसके ठीक विपरीत है.स्वास्थ्यकर्मियों को आराम फरमाने का जगह है एसएनसीयूसही मायने में देखा जाए तो एसएनसीयू महिला स्वास्थ्यकर्मियों के आराम फरमाने का एक ठिकाना बन गया है. एएनएम, ए ग्रेड,आशा कार्यकर्ता व ममता कार्यकर्ता फुरसत में एसएनसीयू में ही अाकर आराम फरमाती हैं. एसएनसीयू का रख-रखाव नहीं होने के कारण करोेड़ों रुपये की कीमती मशीनें नॉन आपरेटिव हो गयी हैं.शुरू में जहां सभी मशीनों के पास भरी गैस सिलेंडर आपात सेवा के लिए उपलब्ध रहती थीं, अब एक भी मिलना मुश्किल है.सुविधा के लिए लगे इसके कई एसी खराब हो गये हैं. इसके एक एसी को खोलकर विभाग के अधिकारियों ने आइसीयू में लगवा दिया है.चुनाव के समय प्रधानमंत्री के सीवान कार्यक्रम के दौरान नरेंद्र मोदी के लिए आइसीयू में एक विशेष कक्ष आपात स्थिति के लिए बनाया गया था.उसमें एसी नहीं रहने पर एसएनयीयू के एसी को खोलकर इसमें लगाया गया. काम खत्म हो जाने के बाद एसी एसएनसीयू में नहीं लगाया गया.एक तरह से देखा जाए तो एसएनसीयू को बरबाद करने में अधिकारियों को भी कुछ न कुछ योगदान रहा है. जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत नवजात के इलाज के लिए विभाग ने एसएनसीयू का निर्माण कराया था.क्या कहते हैं प्रभारी सिविल सर्जन एसएनसीयू से एसी को खोलकर आइसीयू में लगाया गया था.उसे वापस अपनी जगह पर लगा दिया जायेगा.एसएनसीयू में नवजात को भरती कर इलाज किया जाता है. डॉ. नवल किशोर प्रसादइनसेट डीएम ने अस्पताल का किया औचक निरीक्षणसीवान. जिलाधिकारी महेंद्र कुमार ने शुक्रवार की रात करीब ग्यारह बजे सदर अस्पताल पहुंचकर औचक निरीक्षण किया.डीएम के पहुंचते ही प्राइेवट एंबलेंस चालक अपनी गाडि़यों को लेकर भागने लगे. कुछ चालक जो सदर अस्पताल के अंदर मरीजों को फंसाने में लगे थे वे भी भाग खडडीएम मुख्यत: सदर अस्पताल परिसर में लगने वाले प्राइवेट एंबुलेंस व उनके चालकों द्वारा मनमानी किए जाने की सूचना पर जांच करने आए थें. लेकिन लगता है कि डीएम के आने की सुचना प्राइवेट एंबुलेंस चालकों को लग गई थी इसी लिए वे अपने एंबलेंसों को बाहर लगाए थें.डीएम ने स्वास्थ्यकर्मियों को निर्देश दिया कि किसी भी हालत में सदर अस्पताल परिसर में प्राइवेट एंबुलेंस नहीं लगनी चाहिए.डीएम इसके बाद महिला वार्ड गए. वहां पर महिला डॉक्टर को गायब देख कर नाराज हुए.थोड़ी ही देर में महिला डॉक्टर जिनकी ड्यूटी थी आयीं.डीएम ने करीब आधे घंटे तक महिला डॉक्टर की क्लास ली.उसके बाद डीएम ने कैदी वार्ड का निरीक्षण किया और लौट गए.

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