14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

हाइ स्कूलों से लुप्त हो रही खेल संस्कृति

हाइ स्कूलों से लुप्त हो रही खेल संस्कृतिसरकारी उदासीनता व शिक्षकों की मनमानी बड़ा कारणकई जगह संसाधनों का अभाव, तो कहीं संसाधन होने के बावजूद होती है लापरवाहीबड़हरिया . एक जमाने में हाइ स्कूल खेलकूद के लिए जाने जाते थे. प्रखंड मुख्यालय का गांधी स्मारक उच्च विद्यालय बड़हरिया खेलकूद की गतिविधियाें के लिए पूरे जिले […]

हाइ स्कूलों से लुप्त हो रही खेल संस्कृतिसरकारी उदासीनता व शिक्षकों की मनमानी बड़ा कारणकई जगह संसाधनों का अभाव, तो कहीं संसाधन होने के बावजूद होती है लापरवाहीबड़हरिया . एक जमाने में हाइ स्कूल खेलकूद के लिए जाने जाते थे. प्रखंड मुख्यालय का गांधी स्मारक उच्च विद्यालय बड़हरिया खेलकूद की गतिविधियाें के लिए पूरे जिले में चर्चित था. साथ ही प्रखंड के श्रीकृष्ण उच्च विद्यालय कैलगढ़ उच्च विद्यालय दीनदयालपुर, रघुनाथ सिंह, उच्च विद्यालय महावीर गंज आदि में खेलकूद प्रतियोगिता होती रहती थीं. लेकिन धीरे- धीरे हाइ स्कूलों से खेलकूद की गतिविधियां लुप्त होती जा रही हैं. गौरतलब है कि जीएम हाइ स्कूल बड़हरिया में 15 अगस्त व 26 जनवरी के मौके पर बड़े पैमाने खेलकूद की प्रतियोगिता होती थीं, जो महीनों चलती थी. इतना ही नहीं, वर्ष में एक बार जिलास्तरीय व अंतरजिला फुटबॉल मैच होता था, जिसे देखने के लिए दूर-दराज के लोग आते थे. इस प्रकार प्रखंड के अन्य हाइ स्कूलों में विद्यालय के वार्षिकोत्सव, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस आदि अवसरों पर खेलकूद प्रतियोगिता होती हैं व छात्र जम कर भाग लेते थे. विदित हो कि पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद भी पठन-पाठन का अभिन्न अंग है. कहा भी गया है कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निवास होता है. इसी उद्देश्य के तहत तमाम विद्यालयों में खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन होता था. हालांकि उस जमाने में संसाधन सीमित थे पर आज तमाम हाइ स्कूलों में भौतिक संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने के साथ शारीरिक शिक्षक भी बहाल हैं. लेकिन इच्छाशक्ति के अभाव व दायित्व विमुखता के कारण अब विद्यालयों में खेलकूद गतिविधियां लुप्त-सी हो गयी हैं. ऐसे तो शीतल प्रसाद उच्च विद्यालय भीमपुर व भुवनेश्वर- फतेहआलम उच्च विद्यालय बाबूहाता पड़वां में खेल का मैदान ही नहीं है. ऐसे में खेल सामग्री अलमारी की शोभा बन गयी है, जबकि शारीरिक शिक्षक औचित्यहीन हो गये हैं. वहीं श्री कृष्ण उच्च विद्यालय कैलगढ़ के शारीरिक शिक्षक के प्रधानाध्यापक का दायित्व ले लेने के बाद फुर्सत के अभाव में खेलकूद गतिविधियां ठप-सी हो गयी हैं. लेकिन उच्च विद्यालय दीनदयालपुर जीएम हाइ स्कूल बड़हरिया व रघुनाथ उच्च विद्यालय महावीरगंज में खेलकूद मैदान व शारीरिक शिक्षक होने के बावजूद खेल कूद गतिविधियों धरातल पर नहीं नजर आ रही हैं. वैसे हाइ स्कूल बड़हरिया के प्रधानाध्यापक हीरालाल शर्मा कहते हैं कि उनके विद्यालय के खेल मैदान में मजहरूल हक स्टेडियम के निर्माणाधीन होने के करण उनका खेल मैदान खाली नहीं है.फुुटबॉल के पूर्व खिलाडी राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हरिहर यादव कहते हैं कि उनके जमाने में प्रतिदिन एक घंटी खेल की हुआ करती थी. श्री यादव कहते हैं कि उनके जमाने की खेल की परंपरा को आगे बढ़ाने का नतीजा यह हुआ कि ढेर सारे खिलाड़ी व एथलीट इस हाइ स्कूल ने दिये. उनमें सदरपुर के प्रभुनाथ सिंह, वकील अहमद, अटखंया के मो मजिबुल्लाह आदि बिहार स्तर के एथलीट बन सके. बहरहाल, पर्याप्त संसाधनों व शारीरिक शिक्षक होने के बावजूद हाइ स्कूलों से लुप्त हो रही है खेल संस्कृति.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें