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अवैध स्टैंड + लचर ट्रैफिक व्यवस्था = शहर में महाजाम

समस्या से कराह रही सीवान की जनता आये दिन लगनेवाला महा जाम और उसमें कराहते लोग मानों सीवान शहर की पहचान बन गयी है. उत्तर बिहार के सबसे तेजी से बढ़ते इस शहर के विकास और यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए कोई विशेष प्रयास नजर नहीं आते. इस समस्या के समाधान के लिए न […]

समस्या से कराह रही सीवान की जनता
आये दिन लगनेवाला महा जाम और उसमें कराहते लोग मानों सीवान शहर की पहचान बन गयी है. उत्तर बिहार के सबसे तेजी से बढ़ते इस शहर के विकास और यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए कोई विशेष प्रयास नजर नहीं आते. इस समस्या के समाधान के लिए न तो शासन-प्रशासन ही प्रयासरत दिखता है और न ही यहां के जन प्रतिनिधियों द्वारा भी इस दिशा में कोई प्रयास किया गया.
जाम और ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार की जब बात उठती है, तो हर महकमा अपनी बात व परेशानी रख कर ही अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेता है. शहर की पुरानी रूप रेखा और तेजी से जैसे-तैसे हो रहा विकास इसका बड़ा कारण बताया जाता है. शहर के जाम के कारणों पर प्रभात खबर द्वारा श्रृंखला की प्रथम कड़ी में प्रस्तुत है : लचर ट्रैफिक व्यवस्था + सड़क पर स्टैंड = महा जाम .
सीवान : शहर में आये दिन लगने वाले जाम व सड़कों पर बने बस पड़ाव इस शहर की मानो नियति बन गयी है. ट्रैफिक की लुंज-पुंज व्यवस्था शहर की संकीर्ण सड़कें व मुख्य सड़क पर टैक्सी और बड़े वाहनों का पड़ाव शासन-प्रशासन को मुंह चिढ़ाता नजर आता है. साल में एक आध बार अतिक्रमण के विरुद्ध अभियान चला कर ही प्रशासन अपने कर्तव्य की पूर्ति समझ लेता है.
अगर शहर में सड़कों पर पड़ाव व ट्रैफिक व्यवस्था का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाये, तो इस समस्या से कुछ निजात मिल सकती है. वहीं चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे करनेवाले जनप्रतिनिधि भी चुनाव जीतने के बाद अपने वादे भूल जाते हैं. नगर पर्षद भी मानो मात्र टैक्स वसूली के लिए ही कार्यरत है और जन समस्याओं के निदान से कोई विशेष मतलब नहीं है.
जाम समस्या के निदान के लिए प्रयास हुआ फेल : करीब दो वर्ष पूर्व तत्कालीन डीएम देवेश सेहरा व एसपी विवेक कुमार द्वारा जाम की समस्या के निदान व ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिए गंभीर प्रयास किये गये थे.
प्रशासन ने बस व टैक्सी ऑनर संघ के साथ बैठक करते हुए नो इंट्री के समय शहर में बड़े वाहनों के प्रवेश व सड़क किनारे वाहनों के पड़ाव पर सख्त आदेश पारित किया था. पूरब की ओर जानेवाली गाड़ियों के तरवारा मोड़ के आस-पास पड़ाव की अनुमति दी गयी थी, जिससे शहर में जाम की स्थिति में सुधार हुआ था. वहीं नो इंट्री के समय तरवारा मोड़ से आगे बड़े वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध था. ट्रैफिक व्यवस्था में भी सुधार किये गये और ड्रेस कोड लागू करते हुए ट्रेंड कर्मियों की नियुक्ति की गयी थी. साथ ही डीएम ने ट्रैफिक व्यवस्था के संचालन हेतु अपनी तरफ से आधा दर्जन होम गार्ड पुलिस प्रशासन को उपलब्ध कराये थे.
ट्रैफिक इंचार्ज के साथ ही नगर इंस्पेक्टर को ट्रैफिक व्यवस्था के लिए जिम्मेवार बनाया गया था. साथ ही तत्कालीन एएसपी विवेका नंद को इसके निरीक्षण की जिम्मेवारी दी गयी थी. परंतु समय के साथ सारी व्यवस्था फेल नजर आती है. नये एएसपी अशोक कुमार सिंह ने भी योगदान के बाद स्कूल प्रबंधन व अन्य लोगों के साथ बैठक की थी, लेकिन समय के साथ वह भी मध्यम पड़ गये और कोई विशेष वास्ता नजर नहीं आता.
लचर ट्रैफिक व्यवस्था जाम का बड़ा कारण : शहर की लचर ट्रैफिक व्यवस्था जाम का एक बड़ा कारण है. शहर में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन व शहर में नो इंट्री के समय भी बड़े वाहनों का प्रवेश एक बड़ा कारण है. ट्रैफिक पुलिस ही चंद पैसों के लिए निर्धारित नियमों का उल्लंघन कराती नजर आती है.
वहीं शहर के संकीर्ण बाजारों व इलाकों में भी वन वे की व्यवस्था कागजों पर ही सिमटी नजर आती है. ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिए सड़क पर लगाये गये डिवाइडर व सड़क किनारे लगाये गये टी कोण भी वाहन चालकों की मनमानी के भेंट चढ़ गये. अगर नो इंट्री के समय बड़े वाहनों के प्रवेश एवं सड़क किनारे बस पड़ाव के अतिक्रमण पर रोक लगायी जाये तो जाम की समस्या पर कुछ हद तक रोक लगायी जा सकती है.
कहते हैं एसपी
ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार एवं महा जाम से निदान के लिए पुलिस प्रशासन सदैव तत्पर रहता है. इस समस्या के निदान के लिए बड़े स्तर पर सुधार एवं प्रयास की जरूरत है. इसमें नगर पर्षद व स्थानीय प्रशासन की भी बड़ी जिम्मेवारी है. इस समस्या के निदान के लिए डीएम से बात कर प्रयास किये जायेंगे व आवश्यक कार्रवाई की जायेगी. लोगों की जागरूकता भी व्यवस्था सुधार के लिए आवश्यक है.
विकास वर्मन, पुलिस कप्तान, सीवान

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