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राज्य ही नहीं देश में नाम रोशन कर रहे मत्स्य कृषक : डीएम

मजहरूल हक को नेशनल अवार्ड मिलने पर डीएम ने किया स्वागत सीवान : अब ग्रामीण क्षेत्रों में किसान मत्स्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने लगे हैं. इनके इस कार्य की चर्चा बिहार ही नहीं अन्य प्रदेशों में भी हो रही है. देशी तकनीक पर आधारित मत्स्य बीज संवर्धन संयंत्र के लिए पं बंगाल के […]

मजहरूल हक को नेशनल अवार्ड मिलने पर डीएम ने किया स्वागत
सीवान : अब ग्रामीण क्षेत्रों में किसान मत्स्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने लगे हैं. इनके इस कार्य की चर्चा बिहार ही नहीं अन्य प्रदेशों में भी हो रही है.
देशी तकनीक पर आधारित मत्स्य बीज संवर्धन संयंत्र के लिए पं बंगाल के बैरकपुर स्थित आइसीएआर के अंतर्गत संचालित केंद्रीय मीठा पानी मत्स्यकीय शिक्षण संस्थान में गत दिन आयोजित कार्यक्रम के दौरान जिले के महाराजगंज प्रखंड के नौतन गांव के मत्स्य कृषक मजहरूल हक को उत्कृष्ट कार्य के लिए नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया. उनके सम्मान पाने के बाद जिले के लोगों में काफी हर्ष है.
सोमवार को जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह ने अपने कार्यालय प्रकोष्ठ में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहा कि सीवान के लिए यह गौरव की बात है कि यहां के किसान राज्य ही नहीं देश में अपना नाम रोशन कर रहे हैं. इसमें अहम भूमिका जिला मत्स्य पदाधिकारी मनीष श्रीवास्तव की है, जिन्होंने कई किसानों को प्रेरित कर इस क्षेत्र में कार्य करने के लिए तैयार किया.
इस दौरान जिलाधिकारी ने नेशनल अवार्ड से सम्मानित किसान का स्वागत किया. जिला मत्स्य पदाधिकारी मनीष कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि मजहरूल हक ने अपने गांव में बीज संवर्धन यंत्र देशी तकनीक पर स्थापित किया है. इससे न सिर्फ मत्स्य बीज का गुणवत्ता में वृद्धि होगी, बल्कि क्षेत्र के मत्स्य पालकों को पुन: मत्स्य बीज मिलेगा. इनके द्वारा स्थापित इस संयंत्र में अंडा से जीरा निकलने तक का शोध किया गया है. पानी की क्वालिटी पर भी विशेष ध्यान रखा जाता है.
इसके पूर्व में भी दो लोगों को पं बंगाल के बैरकपुर में अवार्ड मिल चुका है, जिनमें गोरेयाकोठी के चैनपुर के मत्स्य पालक कुमार राकेश व सिधवलिया के दीना नाथ शामिल हैं. मालूम हो कि मत्स्य कृषक मजहरूल हक ने 20 वर्षो तक विदेश में नौकरी की. उसी दौरान अमेरिका के कुछ लोगों द्वारा संपर्क हुआ, जिनके परिजनों द्वारा मत्स्य बीज की खेती की जाती थी.
वहीं से उन्हें प्रेरणा मिली और नौकरी छोड़ कर स्वदेश लौट कर इस पेशे में जुट गये. जिला मत्स्य पदाधिकारी बताते हैं कि तीन कट्ठा में उनके इस फॉर्म का निर्माण हुआ है, जहां से जिले ही नहीं अन्य जगहों पर मत्स्य बीज किसान ले जाते हैं. इस मौके पर डीडीसी रविकांत तिवारी, डीपीआरओ दिनेश कुमार सहित अन्य लोग मौजूद थे.

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