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सिम्मी को लेकर तीन थानों में रार के बाद पांचवें दिन दर्ज हुई एफआइआर
सीवान : सिम्मी को जब सदर अस्पताल में भरती कराया गया, तो उसने अपने मौसेरे-भाई बहन द्वारा किये गये पशुतापूर्ण अत्याचार व मौसी के द्वारा बंधक बना कर इलाज कराये जाने की बात बतायी. सिम्मी का फर्द बयान दर्ज कर पुलिस ने उसे जीवी नगर थाने को भेज दिया, जहां से उसे बैरन लौटा दिया […]
सीवान : सिम्मी को जब सदर अस्पताल में भरती कराया गया, तो उसने अपने मौसेरे-भाई बहन द्वारा किये गये पशुतापूर्ण अत्याचार व मौसी के द्वारा बंधक बना कर इलाज कराये जाने की बात बतायी. सिम्मी का फर्द बयान दर्ज कर पुलिस ने उसे जीवी नगर थाने को भेज दिया, जहां से उसे बैरन लौटा दिया गया.
जीवी नगर थाने से फर्द बयान लौटने के बाद नगर इंस्पेक्टर द्वारा उसे उच्चधिकारी के निर्देश के लिए भेजने की बात कही गयी. मामला सामने आने पर एसपी विकास वर्मन द्वारा भी महिला थाने को प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश देने की बात कही गयी. परंतु खेद का विषय है कि पांचवें दिन भी अब तक इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सका है, जो पुलिस की कार्रवाई और उसकी मनसा पर संदेह पैदा करता है.
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का भी हो रहा उल्लंघन : सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है कि पीड़ित देश के किसी भी थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है. चाहे वह घटना कहीं भी हुई हो. यह थानों की जिम्मेवारी है कि वह मामला दर्ज कर संबंधित थाने को स्थानांतरित कर दे.
प्राथमिकी दर्ज करने में थाने के क्षेत्र को बहाना बना कर इनकार नहीं किया जा सकता. मामला सामने आने पर नगर थाने को ही मामला दर्ज कर अगली कार्रवाई के लिए निर्देश के लिए उच्चधिकारी को लिखना चाहिए था. न कि फर्द बयान को यहां-वहां व इधर-उधर भेज कर अपने कर्तव्य की समाप्ति समझ लेनी चाहिए. वहीं उच्चधिकारी से दूरभाष से भी आदेश व निर्देश लिया जा सकता है. इतने गंभीर मामले में नगर थाना समेत जीवी नगर आदि की भूमिका भी नकारात्मक ही कही जायेगी.
सिम्मी की मौसी गिरफ्तार : मौसेरे भाई-बहन के पशुतापूर्ण अत्याचार के मामले में आखिकार पांचवें दिन सोमवार की देर शाम महिला थाने में प्राथमिकी संख्या 116/15 दर्ज की गयी, जिसमें सिम्मी की मौसेरी बहन नूरी, उसके भाई बाबा आलम, नूरी की मां हुस्न आरा को नामजद किया गया है.
महिला पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए नगर के नयी किला स्थित आवास से सिम्मी की मौसी हुस्न आरा को गिरफ्तार कर लिया. महिला थानाध्यक्ष ने बताया कि इसकी गिरफ्तारी से अन्य की गिरफ्तारी में सुविधा होगी.
पुलिस का रवैया दुर्भाग्यपूर्ण
किशोरी के साथ हुए ऐसे पशुतापूर्ण अत्याचार के मामले में पुलिस का यह रवैया दुर्भाग्यपूर्ण है. सिम्मी की मौसेरी बहन नूरी व उसका भाई बाबा आलम उसे दिल्ली ले गये और वहां काम करने से इनकार करने पर उसके साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया गया.
उसके साथ मारपीट व गरम सलाखों से दागने जैसे पशुतापूर्ण कृत्य किये गये और दरिंदों ने बच्ची के दोनों हाथों की अंगुलियों के नाखून तक को उखाड़ डाला और उसके गुप्तांग को भी जला डाला था. ऐसे गंभीर मामले में पांच दिनों तक एफआइआर दर्ज नहीं हुई है और मामला थानों की आपसी खींच-तान में लटका हुआ है, जो पुलिसिया कार्रवाई व संवेदन हीनता को स्पष्ट कर रहा है. ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि सिम्मी को कैसे मिलेगा न्याय ? अगर मामला दर्ज हो गया होता, तो सिम्मी की मौसी की गिरफ्तारी से उसके गुनाहगार बेटा-बेटी को भी पकड़ने में आसानी होती. साथ ही सिम्मी व उसके परिजनों को भी कुछ संतोष मिलता व उनमें न्याय की आशा जगती.
तीनों थानों के हैं अपने अपने तर्क
सिम्मी मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के संबंध में तीनों थानों के अपने-अपने तर्क हैं. जीवी नगर थानाध्यक्ष उद्धव सिंह का कहना है कि घटना दिल्ली में हुई है और अगला घटना क्रम नगर थाने का है, वैसे में मेरे थाने में प्राथमिकी दर्ज करने का सवाल ही नहीं है. वहीं नगर इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह का कहना है कि इस संबंध में दिशा-निर्देश के लिए एसपी को लिखा गया है. वहीं महिला थानाध्यक्ष पूनम कुमारी का कहना है कि अब तक कोई आवेदन मेरे पास नहीं आया है.
क्या कहते हैं अधिकारी
इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए महिला थाने को आदेश दे दिया गया है. मामले की जांच कर कड़ी-से-कड़ी कार्रवाई की जायेगी. साथ ही अपने कर्तव्य में लापरवाही बरतने की स्थिति में पुलिस अधिकारी भी दंडित होंगे.
विकास वर्मन, पुलिस कप्तान, सीवान
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