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मामला रास्ते को लेकर हुए विवाद में वृद्ध की हत्या का

बड़हरिया : थाना क्षेत्र के मलिक टोला निवासी रवींद्र सिंह को रास्ते की मांग करना महंगा पड़ गया. मामूली बात में ध्रुप सिंह के पुत्र मोहन सिंह ने अवैध पिस्तौल से रवींद्र सिंह के पेट में गोली मार दी, जिससे उनकी मौत घटना स्थल पर ही हो गयी. विदित हो कि रवींद्र सिंह के घर […]

बड़हरिया : थाना क्षेत्र के मलिक टोला निवासी रवींद्र सिंह को रास्ते की मांग करना महंगा पड़ गया. मामूली बात में ध्रुप सिंह के पुत्र मोहन सिंह ने अवैध पिस्तौल से रवींद्र सिंह के पेट में गोली मार दी, जिससे उनकी मौत घटना स्थल पर ही हो गयी.
विदित हो कि रवींद्र सिंह के घर से सोलिंग सड़ा तक आने का पुश्तैनी रास्ता ध्रुप सिंह के दरवाजे से होकर गुजरता है, लेकिन जब ध्रुप सिंह के परिजनों ने उस जमीन पर नींव देना शुरू किया, तो रवींद्र सिंह व उनके परिजनों ने इस पर आपत्ति जताते हुए काम को रोक दिया. इस पर दोनों पक्षों में विवाद हुआ. लेकिन ग्रामीणों ने दोनों पक्षों को समझा-बुझा कर शांत करा दिया. तभी ध्रुप सिंह का पुत्र मोहन सिंह पिस्तौल लेकर आया और पेट में सटा कर फायरिंग कर फरार हो गया.
साथ ही हत्यारोपित के सारे परिजन घर छोड़ कर फरार हो गये. घायल रवींद्र को पुत्र मृत्युंजय कुमार सिंह व अन्य ग्रामीणों की मदद से पीएचसी लाया गया, जहां घायल की गंभीर हालत को देख कर सीवान रेफर कर दिया गया. वहीं सीवान में चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इधर, गोली लगने की खबर से परिजन हत्यारोपित के घर पहुंच कर तोड़-फोड़ करने लगे. तभी थानाध्यक्ष एलएन महतो, एसआइ रामाधार शर्मा, अशोक सिंह, गंगा सिंह आदि को लेकर घटना स्थल पर पहुंचे और मामले को शांत करा दिया.
लेकिन इंस्पेक्टर ललन कुमार, मुफस्सिल थानाध्यक्ष विनय प्रताप सिंह सहित बड़ी संख्या में पुलिस कैंप कर रही है. बता दें कि रवींद्र सिंह 10 वर्ष पूर्व डनलप कंपनी कोलकाता से रिटायर हो कर घर आये थे. मृतक की पत्नी उमरावती देवी बेसुध पड़ी हुई हैं. रवींद्र सिंह के तीन पुत्र हैं, जिनमें से अनिल कुमार सिंह एयर फोर्स में है. मृत्युंजय कुमार सिंह कोलकाता में एचसी कंपनी में मैनेजर है.
बताया जाता है कि 30 वर्ष पूर्व ध्रुप सिंह मांझा थाना क्षेत्र के बंगरा से अपने ननिहाल में मलिक टोला आये थे.इधर पुलिस ने ध्रुप सिंह के घर को सील कर दिया है. साथ ही पुलिस ने ध्रुप नाथ सिंह के अन्य पट्टीदारों के घरों की तलाशी ली. लेकिन इन घरों में न तो हत्यारा मोहन सिंह मिला न कोई हथियार ही बरामद हो सका. हत्या से रवींद्र सिंह के परिजन आक्रोशित हैं व तनाव की स्थिति बनी हुई है.
बाइक चोरी की घटनाओं से जनता त्रस्त है. जिले से रोजाना गाड़ियों की चोरी हो रही है और लोग परेशान हो रहे हैं. चोरी होने के बाद प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए जब लोग थाना पहुंचते हैं, तो फिर उनसे पूछताछ का सिलसिला शुरू होता है. थाना पुलिस वाहन मालिक से सबसे पहले वाहन का इंश्योरेंस मांगती है और अगर इंश्योरेंस नहीं रहता है, तो फिर वाहन चोरी की प्राथमिकी दर्ज नहीं होती. यहीं से उनकी परेशानी का सबब शुरू होता है. लोग मजबूरी वश अन्य जगह या कोर्ट की शरण लेने को बाध्य होते हैं.
सीवान : बाइक चोरी की प्राथमिकी दर्ज करने में थानों की मनमानी का आलम यह है कि जानकारी के मुताबिक चोरी गये वाहनों में से मात्र 20 से 25 प्रतिशत तक का ही मामला दर्ज होता है.
पीड़ित जब थाने में मामला दर्ज करने पहुंचता है तो, अमूमन सभी थाने कहते हैं कि यह चोरी उनके यहां से नहीं हुई है,जहां वाहन मालिक प्राथमिकी दर्ज कराना चाह रहा है.
पहले आवेदन लेने में आनाकानी फिर प्राथमिकी में : अगर आप बाइक चोरी का मामला दर्ज कराना चाहते हैं, तो यह आपके लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. पहले तो थाने विभिन्न कानून बता कर आवेदन लेने में आनाकानी करते हैं.
अगर, आवेदन ले भी लिया, तो जांच के नाम पर दौड़ाने का सिलसिला जारी रहता है. जानकारी के अनुसार थाने से बड़ी संख्या में आवेदन पत्र फाड़ दिये जाते हैं. काफी मशक्कत के बाद आवेदन पत्र कई बार बदलवा कर मामला दर्ज किया जाता है.
वाहन का इंश्योरेंस फेल, तो नहीं दर्ज होती है प्राथमिकी : अगर आपके वाहन का बीमा फेल हो चुका है तो फिर आप की गाड़ी लूटी गयी हो या चोरी हो गयी हो, थाने में इसकी प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकेगी. क्योंकि थाना पुलिस सबसे पहले इंश्योरेंस की मांग करती है.
जबकि गाड़ी के बीमा का चोरी से कोई वास्ता नहीं है. अगर कोई वाहन चोरी हुआ और बीमा फेल होने के कारण इसकी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी, तो चोरी के बाद अगर उक्त वाहन से कोई बड़ा अपराध हो जाता है, तो इसका जिम्मेवार कौन होगा. इस मामले में बेचारे वाहन मालिक को फंसने से कोई नहीं बचा सकता . वहीं गाड़ी के बीमा का संबंध उसके इंश्योरेंस की रकम के भुगतान से है न कि उसकी चोरी की प्राथमिकी से. इस मनमानी पर तत्काल रोक लगनी चाहिए. ताकि लोगों की परेशानियां कम हों.
नन एसआर केस बनने के बाद से बढ़ी परेशानी :
पहले बाइक चोरी की घटना एसआर प्रकृति के तहत आती थीं, जिसका सुपरविजन डीएसपी स्तर के अधिकारी करते थे. अब नन एसआर केस बना देने से इंस्पेक्टर के अधिकारी ही इसका सुपरविजन कर सकते है. इसके बाद से ही थानाध्यक्षों की मनमानी और बढ़ गयी है.
लोगों की परेशानी का सबब : थाना द्वारा परेशान करने का ही कारण है कि बाइक चोरी होने की स्थिति में थाने को सूचना देने से पहले लोग अखबार के दफ्तर पहुंच कर अपनी खबर निकलवाना चाहते है, ताकि उनका आसानी से मामला दर्ज हो सके. सभी थानों में लोगों को मामला दर्ज कराने के लिए दौड़ना पड़ता है. सिसवन थाने के जई छपरा गांव निवासी अखिलेश पांडेय किसी काम से सीवान आये थे.
इसी दौरान ललन कॉम्प्लेक्स से उनकी बाइक चोरी कर ली गयी. उनका कहना है कि थाने में आवेदन देने पर इंश्योरेंस की मांग की जा रही है, जबकि कुछ माह पहले मेरा बीमा फेल हो गया है. प्राथमिकी दर्ज नहीं होने पर बाइक से किसी घटना के स्थिति में फंसने के अंदेशे से परेशान हूं. वहीं नगर की नयी बस्ती महादेवा निवासी अजीत कुमार सिंह की बाइक 27 अप्रैल को नगर के मेगा मार्ट के नजदीक से चोरी हो गयी. थाने में आवेदन देने पर प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी.
इसी बीच वाहन चेकिंग के दौरान धनौती ओपी पुलिस ने उसे बरामद किया. जानकारी मिलने पर गाड़ी के बेल के लिए प्रयासरत हूं. अगर, इसी बीच बाइक से कोई बड़ी आपराधिक घटना हो जाती, तो फिर मेरा क्या होता. पुलिस की इस मनमानी पर रोक लगनी चाहिए. आये दिन ऐसी परेशानियों से लोग परेशान हो रहे हैं.
क्या कहते हैं एसपी
बाइक चोरी की घटनाओं के संबंध में थानों से रिपोर्ट मांगी जा रही है और अब थानों को हर सप्ताह बाइक चोरी की रिपोर्ट देने का आदेश दिया जा रहा है. एफआइआर दर्ज करने में मनमानी करने पर कड़ी कार्रवाई होगी. किसी परेशानी की स्थिति में जनता उन्हें अवगत कराये. इसकी सूचना गोपनीय शाखा के दूरभाष पर भी दे सकते है. चोरी की सूचना थाने में दें और आना-कानी करने पर एक कॉपी संबंधित एसडीपीओ व मेरे कार्यालय को भी दें.
विकास वर्मन, पुलिस कप्तान, सीवान

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