Advertisement
श्रम ने लिखी विकास की नयी इबारत
श्रमेव जयते : मेहनत से मजदूरों ने बदल दी शहर और गांव की सूरत सीवान : विश्व मजदूर दिवस पर देश-दुनिया में मजदूरों की मेहनत और उनकी संघर्ष गाथा की चर्चा हो रही है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लागू होने के बाद मजदूरों ने अपने श्रम से पूरी तसवीर बदल दी […]
श्रमेव जयते : मेहनत से मजदूरों ने बदल दी शहर और गांव की सूरत
सीवान : विश्व मजदूर दिवस पर देश-दुनिया में मजदूरों की मेहनत और उनकी संघर्ष गाथा की चर्चा हो रही है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लागू होने के बाद मजदूरों ने अपने श्रम से पूरी तसवीर बदल दी है. गांवों के विकास में मजदूरों की महती भूमिका है, इसे हर कोई स्वीकार करता है.
मजदूरों के श्रम से जहां विकास की नयी इबारत लिखी जा रही है, वहीं मजदूरों की भी माली हालत बेहतर हुई है. मजदूरों के परिश्रम ने हमें पुलिया दी, बांध मरम्मत कर बाढ़ व जलजमाव से राहत दिलायी, तो लगाये गये पौधों से गांव में हरियाली आ गयी.
जिले में ऐसे बदली सूरत की बानगी
बांध की मरम्मत से तीन गांवों को मिली जलजमाव से निजात : दरौली प्रखंड के बेलसुई-किशुन पाली बांध का मजदूरों ने मरम्मत कर तीन गांव की सूरत बदल डाली. पहले इन गांवों के बड़े क्षेत्र की फसल जलजमाव के चलते बरबाद हो जाती थी. इससे दो हजार आबादी पर असर पड़ता था है. वर्ष 2013-14 में 80 से 85 मजदूरों की मदद से मनरेगा के तहत बांध की मरम्मत कर समस्या से लोगों को निजात दिलायी गयी. इस पर पांच लाख 70 हजार रुपये खर्च हुए. इस कार्य से ग्रामीणों में जहां खुशहाली आयी है,वहीं इसमें काम करनेवाले मजदूर भी अपनी मेहनत को सार्थक बताते नहीं थकते.
पोखर को दी मनोरम शक्ल
आंदर प्रखंड के असांव गांव का पोखरा तथा उसके आसपास के परिदृश्य को देख हर कोई रोमांचित हो उठता है. मजदूरों ने अपनी मेहनत से पोखर का सौंदर्यीकरण के साथ ही छठ घाट का निर्माण किया है.
साथ ही पौधारोपण के बाद आयी हरियाली से दृश्य मनोरम हो गया है. 23 लाख 45 हजार 700 रुपये खर्च कर इसकी सूरत बदली गयी.जिसके कामकाज में नौ माह तक निरंतर 70 से 80 मजदूर लगे रहे. निर्माण के दौरान सामग्रियों पर पांच लाख 20 हजार 762 रुपये तथा मजदूरी पर 18 लाख 24 हजार 938 रुपये खर्च हुए. मजदूरों के यह प्रयास गांव की एक हजार आबादी लाभान्वित हो रही है. प्रत्येक वर्ष छठ पूजन के अवसर पर यहां मजदूरों का यह प्रयास लोगों को आकर्षित करता है.
प्रखंड कार्यालय में जलजमाव से दिलायी निजात
प्रखंड बड़हरिया कार्यालय परिसर में जलजमाव की समस्या से मजदूरों ने आखिर निजात दिला दिया. एक माह के लगातार परिश्रम से मजदूरों की कोशिश रंग लायी. एक लाख चार हजार रुपये इस परियोजना पर खर्च हुए. जिसमें 502 मजदूरों को काम हासिल हुआ.जिसके भुगतान समय से हो जाने से मजदूर भी उत्साहित हैं. खास बात है कि हर दिन प्रखंड कैंपस में आनेवाले लोग जलजमाव से जूझते रहे हैं. जिससे अब लोगों को राहत मिल गयी है.
बांध से सैकड़ों एकड़ में लगी फसल की बरबादी रुकी
प्रखंड जीरादेई की ग्राम पंचायत अकोल्ही में हर वर्ष जलजमाव से सैकड़ों एकड़ में लगी फसल को नुकसान से बचाने का स्थायी इंतजाम गांव के ही मजदूरों ने किया. मनरेगा के तहत 80 मजदूरों ने निरंतर एक माह तक कठिन परिश्रम कर गांव की सूरत ही बदल डाली.
हर वर्ष बरसात के दिनों में बांध के अभाव में सैकड़ों एकड़ फसल पानी में डूब जाने से बरबाद हो जाती थी, जिससे कई किसानों ने धान की खेती से ही मुंह मोड़ लिया था.अब बरसात मे भी किसानों को फसल की बरबादी का डर नहीं सताता. ग्रामीणों की खुशहाली से यहां के मजदूर भी उत्साहित हैं.
पहले तालाब की शक्ल ले लेता था अतिथि गृह
प्रखंड मुख्यालय बड़हरिया के तरवारा रोड स्थित अतिथि गृह अब यहां आनेवाले लोगों को आकर्षित करता है. चंद वर्ष पूर्व हल्की बारिश में भी अतिथि गृह का कैंपस तालाब का शक्ल ले लेता था.
अब मजदूरों के परिश्रम से यहां की सूरत बदल गयी है.गंडक विभाग के अतिथि गृह में जलजमाव से निजात दिलाने के लिए एक लाख नौ हजार रुपये खर्च हुए, जिसमें 482 मजदूरों ने बीस दिनों तक निरंतर काम किया. मजदूरों के परिश्रम से आखिरकार जलजमाव से यहां राहत मिल गयी है. ऐसे में यहां आनेवाले अतिथि भी अब शकुन महसूस करते हैं.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement