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स्कूलों से ही खरीदारी की मजबूरी
प्राइवेट स्कूलों में बेची जा रही किताबें व स्कूल की पोशाक सीवान : परीक्षा के परिणाम आने के बाद शहर सहित जिले के अधिकतर प्राइवेट स्कूल किताब व ड्रेस की दुकानों के रूप में तब्दील हो गये हैं. बच्चों के साथ अभिभावक भी इस प्रयास में हैं कि किसी तरह बच्चों का री एडमिशन कराने […]
प्राइवेट स्कूलों में बेची जा रही किताबें व स्कूल की पोशाक
सीवान : परीक्षा के परिणाम आने के बाद शहर सहित जिले के अधिकतर प्राइवेट स्कूल किताब व ड्रेस की दुकानों के रूप में तब्दील हो गये हैं. बच्चों के साथ अभिभावक भी इस प्रयास में हैं कि किसी तरह बच्चों का री एडमिशन कराने के बाद उन्हें किताब व ड्रेस खरीद दें.
अधिकतर प्राइवेट स्कूलों में किताब व ड्रेस की दुकानें ही खुल गयी है. अभिभावक बच्चों की किताब खरीदने के लिए स्कूलों का चक्कर लगा रहे हैं. भीड़ से बचने का अभिभावकों के पास कोई उपाय नहीं है. जिन स्कूलों के संचालकों ने अपने स्कूल में दुकान खोली है.
उनकी किताब मार्केट में कहीं उपलब्ध नहीं है. ऐसी बात नहीं है कि इन किताबों से अच्छी एनसीइआरटी की किताबें मार्केट में उपलब्ध नहीं हैं. किताबें उपलब्ध हैं , लेकिन दुकानदार पहले प्राइवेट कंपनी के किताबों को बेचने में रुचि ले रहा है. कुछ स्कूलों के प्रबंधन ने तो किसी खास दुकानदार से ऊंचे कमीशन पर प्राइवेट कंपनी के किताबों को बच्चों से खरीदवा रहे हैं.
शहर के एक नामी स्कूल के प्रबंधन ने शहर के एक दुकानदार से समझौता कर प्राइवेट कंपनी के किताब बेंचवा रहा है. कक्षा पांच की पुस्तकें जिनकी संख्या करीब 18 के आसपास हैं. उसकी कुल कीमत पांच हजार रुपये हैं. अब इसी बात से अंदाज लगाया जा सकता है कि किताब के नाम पर स्कूल प्रबंधन कैसे अभिभावकों को लूट रहा है.
जिले के अधिकतर स्कूलों के प्रबंधन किताबों को इस लिए बदल देते हैं कि बच्चे आपस में बदल कर किताब नहीं खरीदें. जिले के इन प्राइवेट स्कूलों की मनमानी को रोकने के प्रति न तो शिक्षा विभाग रुचि ले रहा है और ने सीबीएसइ की मान्यता देनेवाले संस्थान.
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