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365 नलकूपों में सिर्फ 125 ही चालू

सीवान : जिले में सिंचाई की उचित व्यवस्था न होने से किसानों के सामने बड़ी परेशानी है. काफी कम कृषि योग्य भूमि पर ही नहर द्वारा सिंचाई की व्यवस्था है. जिले में विभाग द्वारा लगाये गये नलकूपों में अधिकतर खराब पड़े हैं. विभिन्न योजनाओं के तहत लगे 365 नलकूपों में मात्र 125 ही चालू हालत […]

सीवान : जिले में सिंचाई की उचित व्यवस्था न होने से किसानों के सामने बड़ी परेशानी है. काफी कम कृषि योग्य भूमि पर ही नहर द्वारा सिंचाई की व्यवस्था है. जिले में विभाग द्वारा लगाये गये नलकूपों में अधिकतर खराब पड़े हैं. विभिन्न योजनाओं के तहत लगे 365 नलकूपों में मात्र 125 ही चालू हालत में हैं. वहां भी समय -समय पर तकनीकी खराबी एवं ऑपरेटर के अभाव में पटवन कार्य बाधित होता है. साथ ही विभाग में विद्युतकर्मी के सभी पद खाली पड़े हैं.
नये बने नलकूप में भी नहीं हो सका विद्युतीकरण : नलकूप विभाग द्वारा नाबार्ड फेज 8 व 11 के अंतर्गत कुल 148 नलकूप लगाये गये. उनमें मात्र नौ ही चालू हो सके हैं. वहीं 139 नलकूप विद्युतीकरण के अभाव में अब तक चालू नहीं हो सके हैं. विभाग द्वारा विद्युतीकरण के लिए विद्युत विभाग को वर्ष 2009-10 में 1.84 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये जा चुके हैं, लेकिन अब तक विद्युतीकरण का काम पूरा नहीं हो सका. साथ ही अन्य दो योजनाओं के अंतर्गत भी विद्युतीकरण के लिए पांच लाख रुपये जमा कराये गये हैं.
यांत्रिक गड़बड़ी के कारण बंद हैं नलकूप : 96 पुराने राजकीय नलकूपों में 40 चालू हालत में हैं. उनमें 53 नलकूप विभिन्न कारणों से खराब पड़े है. वहीं जेनेरेटर से संचालित होनेवाले तीन नलकूपों में भी दो नलकूप यांत्रिक गड़बड़ी से बंद पड़े हैं. वहीं लघु सिंचाई के अंतर्गत लगाये गये 118 नलकूपों में भी 33 विभिन्न कारणों से बंद पड़े हैं.
नलकूप चालू होने से किसानों को मिलेगी सुविधा : बंद पड़े नलकूपों के चालू होने पर किसानों को सुविधा होगी. काफी कम दर पर वे अपने खेतों का पटवन कर सकेंगे. विभाग द्वारा सिंचाई के लिए निर्धारित दर काफी कम है. जिससे किसान कम पैसा खर्च कर लाभान्वित हो सकते हैं. रबी के लिए 271 रुपये प्रति एकड़, खरीफ के लिए 355 रुपये प्रति एकड़ और गरमा फसल के लिए 626 प्रति एकड़ निर्धारित है.
विभाग को भी है इलाज की दरकार : विभाग के पास संसाधनों का भी घोर अभाव है. जिसके कारण नलकूपों का ससमय संचालन भी संभव नहीं हो पाता है. कूल 172 नलकूप चालकों के विरुद्ध मात्र 19 ही कार्यरत है. ऐसे में विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत 125 नलकूपों का संचालन वे कैसे करते होंगे. इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. वहीं हेल्पर के भी सभी पद खली है. साथ हीं पंप फिटर व विद्युतकर्मी के भी पद खाली पड़े है.ऐसे में पंप में होने वाली यांत्रिक गड़बड़ी एवं विद्युत गड़बड़ी की स्थिति में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. और छोटी गड़बड़ी के भी ठीक होने में कई दिन लग जाते है. साथ हीं यांत्रिक संसाधनों का भी घोर अभाव है. यह स्थिति तब है जब करीब एक वर्ष पूर्व नलकूप विभाग व लघु जल संसाधन का समायोजन कर दिया गया है.
क्या कहते हैं अधिकारी
कर्मियों एवं संसाधनों के अभाव के कारण कार्य पर असर पड़ रहा है. यांत्रिक गड़बड़ी से बंद पड़े 17 नलकूपों के लिए मरम्मती कार्य जारी है. वहीं 26 के मरम्मती के लिए शुरू हुआ कार्य गड़बड़ी के कारण बंद है. 36 नलकूपों की मरम्मती के लिए डीपीआर तैयार कर आवंटन के लिए विभाग को भेजा गया है. आवंटन मिलते ही कार्य शुरू कर दिया जायेगा. विद्युत विभाग द्वारा विद्युतीकरण नहीं किये जाने के कारण 139 नलकूप बंद पड़े हैं. इसके लिए विभाग को पैसा भी जमा कराया जा चुका है.
संजय कुमार कार्यपालक अभियंता , लघु सिंचाई प्रमंडल, सीवान

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