बड़हरिया : नीतीश कुमार की शराबबंदी ने कई घरों की खुशियों को लौटायी है. इस एक उदाहरण प्रखंड मुख्यालय के बड़हरिया पुरानी बाजार के रवींद्र साह है. जब से रवींद्र ने शराब का धंधा छोड़ है. जिंदगी करवट बदल चुकी है. अब रवींद्र को न पुलिस के पकड़ने का खतरा है व न बदनामी का डर. बतादें कि सूबे के मुखिया नीतीश कुमार की शराबबंदी पुरानी बाजार के स्व. शिवनारायण साह के पुत्र रवींद्र साह के लिए वरदान साबित हुई है. शराब का धंधा छोड़ने के बाद श्री साह ने पुरानी बाजार में ही साइकिल की दुकान खोल रखी है.
अब दिन मस्ती में गुजरने लगे हैं. मजे की बात तो यह है कि श्री साह ने शराब बेचने का धंधा छोड़ने के साथ ही शराब से भी तौबा कर ली है. अब उन्हें सिर्फ और सिर्फ चिंता है तो बेटे-बेटी को पढ़ा-लिखा कर ऊंचे मुकाम तक पहुंचाने की है. इसी जुनून के साथ जीने के जज्बे ने उनकी जिंदगी में ढेर सारा बदलाव लाया है. रवींद्र का इंटर पास बड़ा बेटा राजन कुमार भी दुकान पर रहकर अपने पिता के कारोबार में मदद करता है. इस प्रकार रवींद्र की जिंदगी सरपट दौड़ने लगी है.
वहीं शराब के धंधे से निजात मिलने के बाद रवींद्र साह ने अपने छोटे बेटे रंजन कुमार को इंजीनियरिंग करा रहे हैं.जबकि श्री साह की बेटी लाली कुमारी इसी वर्ष मैट्रिक की परीक्षा दे चुकी है. अब उन्हें परिवार को खुशहाल बनाने का फ्रिक है. उनके मन में परिवार को आगे ले जाने की चिंता व परिजनों की हर ख्वाहिश पूरी करने की तमन्ना है. पुलिस के साथ लुकाछिपी खेलने का दौर खत्म हो चुका है व अब रवींद्र बेखौफ होकर इत्मीनान की जिंदगी जीने लगे हैं. पुरानी बाजार के राजा साइकिल स्टोर के मालिक रवींद्र साह कहते हैं कि शराब का धंधा व शराब छोड़ने के बाद कुछ दिनों तक बेचैनी का आलम रहता था.
लेकिन अब मेहनत पर भरोसा बढ़ा है. वे कहते हैं कि दुकानदारी से सुकून से दो वक्त की रोटी नसीब हो जाती है व रात को चैन की नींद आती है. उनका सामाजिक सरोकार भी बढ़ा है व परिजनों, आत्मीय जनों व रिश्तेदारों को वक्त भी दे पाते हैं. औसतन दो साइकिलें प्रतिदिन बिक जाती हैं व रिपेयरिंग का काम चलता रहता है. बहरहाल, शराब का धंधा छूटने के बाद बदल चुकी है रवींद्र की जिंदगी व समाज में भी बढ़ी है प्रतिष्ठा.