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रात में सदर अस्पताल बन जाता है मरीजों को लूटने वाले गिरोह का अड्डा

सीवान : सदर अस्पताल में अधिकांशत: वैसे ही लोग इलाज कराने के लिए आते है जिनके पास डॉक्टर को फीस देने के लिए दो सौ रुपये नहीं होते है. इनके अलावे दुर्घटनाओं में घायल मरीजों को लेकर लोग इलाज कराने के लिए सदर अस्पताल पहुंचते है. लेकिन मरीजों के परिजनों को यह पता नहीं होता […]

सीवान : सदर अस्पताल में अधिकांशत: वैसे ही लोग इलाज कराने के लिए आते है जिनके पास डॉक्टर को फीस देने के लिए दो सौ रुपये नहीं होते है. इनके अलावे दुर्घटनाओं में घायल मरीजों को लेकर लोग इलाज कराने के लिए सदर अस्पताल पहुंचते है. लेकिन मरीजों के परिजनों को यह पता नहीं होता है कि सफेद पकड़े में धरती का भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर उनको लूटने के लिए बैठा है. ऐसी बात नहीं है कि सदर अस्पताल के सभी डॉक्टर ऐसे ही हैं. लेकिन इतना तो सत्य है कि मरीजों को चुना लगाने वाले डॉक्टरों की संख्या कम नहीं है. आपात स्थिति में मरीज सीधे या पीएचसी एवं रेफरल अस्पतालों से रेफर होकर आते है.

अपनों की जान बचाने की उम्मीद लिए परिजनों को यह नहीं पता होता है कि डॉक्टर ने अनावश्यक जांच लिखकर उनको लूटने का काम कर रहा है. अधिकांश डॉक्टर पीएमसीएच रेफर किये हुए मरीज को सीटी स्कैन तथा महंगी पैथेलॉजी जांच कर एक तरफ मरीजों को लूटने का काम करते है तथा दूसरी तरफ उनका कीमती समय भी बर्बाद करते है. सदर अस्पताल बहुत से डॉक्टर है जो कमीशन कर लिए सीटी स्कैन जैसे महंगे जांच लिखते है. जांच करने वाले जांच कर इस बात को समझा सके की कौन डॉक्टर ने मरीज देखी है. इसके लिए जांच के नीचे अपना नाम स्पष्ट अक्षरों में लिख देते है.

रात में आपात कक्ष बन जाता है लूटने वाले गिरोह का अड्डा : सदर अस्पताल के एक-दो डॉक्टरों को छोड़ दिया जाये तो अधिकांशत: सभी डॉक्टर के रात नौ से सुबह आठ बजे तक मरीजों को लूटने वाले गिरोह का अड्डा बन जाता है. इसमें पैथेलॉजी जांच से लेकर पटना के प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को बेचने वाले एंबुलेंस चालक भी शामिल रहते है. दिन में अपातकक्ष में मरीजों को चुना लगाने का काम चोरी छिपे किया जाता है. लेकिन नौ बजे के बाद स्थिति साफ बदल जाती है. शहर के एक निजी जांच घर का डॉक्टर के बगल में इस तरह आकर बैठ जाता है. जैसे लगता है कि सदर अस्पताल का कोई कर्मचारी है. आपात स्थिति में आने वाले मरीजों को जांच आवश्यक बताकर महंगे जांच डॉक्टर द्वारा लिखी जाती है. रात में ही जांच कर सुबह होते-होते मरीज को पटना किसी नीजि अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है. डॉक्टर अस्पताल की पर्ची पर तो पीएमसीएच पटना ही लिखते है. लेकिन साथ में सादे कागज पर पटना के उस निजी अस्पताल का नाम व पता भी लिखकर देते हैं जहां से उनको मोटी रकम कमीशन के रूप में मिलती है.
पटना के कई निजी अस्पतालों ने चालकों को दे रखी है नि:शुल्क एंबुलेंस
सदर अस्पताल के समीप करीब आधा दर्जन पटना के निजी अस्पतालों के एंबुलेंस के चालक मरीजों को कम पैसे में पटना ले जाने के लिए तैयार रहते है. इस प्रकार के एंबुलेंस चालक पीएमसीएच रेफर मरीजों को भी अपनी एंबुलेंस की सेवा कम दाम पर देते है. लेकिन जब वे मरीज को सीवान से लेकर चलते है तो रास्ते में परिजनों को अच्छी सेवा निजी अस्पतालों में मिलने की बात कह कर उनका ब्रेन वाश कर देते है. जब एंबुलेंस चालक मरीज को लेकर निजी अस्पतालों में लेकर पटना पहुंचते है तो उन्हें अस्पताल द्वारा एक मोटी रकम मिल जाती है. इसमें एंबुलेंस चालाकों को तीन फायदा है. एक फायदा की बिना पैसे का एंबुलेंस मिला, दूसरा भाड़े से भी कुछ कमाई हुई तथा तीसरा मरीज को निजी अस्पतालों में पहुंचाने के बाद मिली मोटी रकम. यह सब काम इतना गोपनीय तरीके से किया जाता है कि मरीजों के परिजनों को पता भी नहीं चलता है. इलाज के दौरान अस्पताल द्वारा जब मोटी रकम की डिमांड की जाती है तब परिजनों की आंख खुलती है.
क्या कहते हैं जिम्मेदार
डॉक्टरों द्वारा पर्ची पर जांच के नीचे नाम लिखना गलत है. अभी तक किसी ने इसकी शिकायत मुझसे नहीं किया है. अगर किसी के द्वारा शिकायत किया जाता है तो जांच कर उस डॉक्टर या कर्मचारी के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी.
डॉ शिवचंद्र झा, सिविल सर्जन, सीवान.
बोले उपाधीक्षक
हमारी जिम्मेदारी स्वास्थ्य सेवा से है. कौन डॉक्टर कमीशन के लिए पर्ची पर अपना नाम लिखता है या अनावश्यक जांच लिखता है. यह सब देखना सिविल सर्जन का काम है. वैसे किसी ने इस संबंध में हमसे शिकायत नहीं किया है.
डॉ एमके आलम, उपाधीक्षक सदर अस्पताल

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