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ट्रैफिक नियमों की उड़ रहीं धज्जियां

सीवान : जब सरकारी महकमा ही कानून की धज्जियां उड़ाने में मशगूल है, तो आम जनता की बात ही क्या करें. इस मामले में एक अंतर साफ दिखता है कि आम आदमी को इसका उल्लंघन महंगा पड़ता है, वहीं सरकारी महकमा बेरोक-टोक अपना काम जारी रखता है, जिसे देखने वाला कोई नहीं है. मामला नगर […]

सीवान : जब सरकारी महकमा ही कानून की धज्जियां उड़ाने में मशगूल है, तो आम जनता की बात ही क्या करें. इस मामले में एक अंतर साफ दिखता है कि आम आदमी को इसका उल्लंघन महंगा पड़ता है, वहीं सरकारी महकमा बेरोक-टोक अपना काम जारी रखता है, जिसे देखने वाला कोई नहीं है.
मामला नगर पर्षद सीवान का है, जिसकी 19 गाड़ियां बिना रजिस्ट्रेशन व इंश्योरेंस के सड़कों पर दो साल से फर्राटे भर रही है. यह ट्रैफिक व परिवहन नियम का खुल्लम-खुला उल्लंघन है, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं है.
अगर इन गाड़ियों से किसी की मौत हो जाती है, तो मरने वालों को एक भी पैसा नहीं मिलेगा. साथ ही इंश्योरेंस के अभाव में अगर इन वाहनों की चोरी हो जाती है, तो कोई पैसा नहीं मिल पायेगा, जो पब्लिक फंड का भारी नुकसान होगा. कुल मिला कर दोनों स्थितियों में नुकसान आम जनता का ही है, जिसके टैक्स के पैसे से वाहन की खरीदारी होती है. लेकिन इसमें साफ-साफ लापरवाही देखने को मिल रही है.
19 गाड़ियों का दो साल में नहीं हो सका रजिस्ट्रेशन : नगर पर्षद द्वारा 2016 में नगर में सफाई व्यवस्था को दुरुस्त बनाने के लिए एक ट्रैक्टर व 18 टीपर की खरीदारी की गयी थी, लेकिन दो साल भी इसके रजिस्ट्रेशन के लिए कम पड़ गये. ये वाहन बिना रजिस्ट्रेशन के ही फर्राटे भर रहे हैं. दो साल में रजिस्ट्रेशन नहीं होना विभाग की लापरवाही है.
एक तरफ तो सड़क पर आम आदमी की बिना नंबर लिखी गाड़ियां दिखती है, तो उसकी जांच-पड़ताल में पुलिस और परिवहन विभाग लग जाता है. इनसे इस एवज में फाइन की भी वसूली की जाती है. वहीं इसके कारण इनको काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. वहीं दूसरी तरफ नगर पर्षद द्वारा इसके उल्लंघन पर किसी का ध्यान नहीं है. जबकि कानून की नजर में सभी समान हैं. वहीं दो साल के बाद रजिस्ट्रेशन कराने पर नगर पर्षद को जुर्माना चुकाना होगा. यह भी तो जनता की राशि का दुरुपयोग ही है.
इंश्योरेंस के बिना दौड़ रहे वाहन
एक तरफ एक दिन भी इंश्योरेंस फेल होने पर आम पब्लिक पर कार्रवाई करते हुए उनसे वाहन का फाइन वसूला जाता है. वाहन मालिक से तरह -तरह के सवाल पूछे जाते है. सबसे पहला सवाल होता है कि तुम्हारी गाड़ी का इंश्योरेंस फेल है.
अगर गाड़ी से किसी का एक्सिडेंट होता है, तो उसका देनदार कौन होगा. दुर्घटना में मौत या घायल थर्ड पार्टी को कोई क्लेम नहीं मिल पायेगा. वहीं वाहन चलाने वाले और वाहन का भी कोई क्लेम लागू नहीं होगा. वहीं दूसरी ओर यही बात नगर पर्षद पर भी लागू होती है. अगर बगैर इंश्योरेंस के चलने वाले 19 वाहनों से किसी की मौत होती है, तो ऐसी स्थिति में इसका जिम्मेदार कौन होगा. ऐसी स्थिति नगर पर्षद पर सवाल खड़ा कर रही है.

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