संघर्ष. सात साल तक लड़ी कानूनी लड़ाई के बाद मिला इंसाफ
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वीरांगना बनी गार्गी, दहेज लोभी समाज को दिया संदेश
संघर्ष. सात साल तक लड़ी कानूनी लड़ाई के बाद मिला इंसाफ सीतामढ़ी/डुमरा कोर्ट : कहते हैं कि नारी ममता व त्याग की प्रतिमूर्ति होती है. लेकिन जब वह कुछ ठान लेती हैं तो लक्ष्मीबाई जैसे वीरांगना के रूप में सामने आती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बैरगनिया थाना क्षेत्र के घीपट्टी निवासी गिरधारी […]
सीतामढ़ी/डुमरा कोर्ट : कहते हैं कि नारी ममता व त्याग की प्रतिमूर्ति होती है. लेकिन जब वह कुछ ठान लेती हैं तो लक्ष्मीबाई जैसे वीरांगना के रूप में सामने आती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बैरगनिया थाना क्षेत्र के घीपट्टी निवासी गिरधारी प्रसाद की पुत्री गार्गी कुमारी ने, जिसने अपने अटूट इरादों की बदौलत न केवल दहेज लोभी ससुरालियों को सजा दिलाने में कामयाबी पायी है, बल्कि दहेज लोभी समाज को भी एक बड़ा संदेश दिया है. अब भी लोग चेत जाये. दहेज के लिए बहुओं पर अत्याचार बंद करे. वरना परिणाम गंभीर होंगे. तकरीबन सात साल तक चली लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार गार्गी को मंगलवार को सीतामढ़ी सीजेएम कोर्ट ने न्याय मिला.
सीजेएम राम बिहारी ने मंगलवार को गार्गी के पति सह नगर थाना के भवदेपुर चमरा गोदाम निवासी श्याम चंद्र गोयल, ससुर सदर अस्पताल में फार्मासिस्ट के पद पर तैनात बाबूनंदन प्रसाद, सास काशी देवी, नंदोई सह शिक्षक उमेश कुमार आलोक व ननद सह शिक्षिका प्रतिमा कुमारी को पांच-पांच साल की सजा सुनायी. वहीं प्रति आरोपी एक लाख सात हजार दो सौ रुपये अर्थदंड समेत कुल पांच लाख 36 हजार रुपये अर्थदंड की भी सजा सुनायी. गार्गी की ओर से वरीय अधिवक्ता अरविंद कुमार ठाकुर व आरोपियों की ओर से अधिवक्ता मणीभूषण व उपेंद्र साह ने बहस की.
जेल गयी प्रतिमा : इस पूरे प्रकरण में गार्गी के पति, सास, ससुर, नंदोई व ननद को जेल जाना पड़ा है. खता परिवार के सदस्यों ने की, लेकिन सजा इन पांचों के अलावा एक मासूम को भी झेलना पड़ रहा है. जो बगैर किसी खता के जेल में बंद है. कोर्ट ने गार्गी के ननद शिक्षिका प्रतिमा कुमारी को भी पांच साल की सजा दी है. सजा के एलान के बाद पांचों को जेल भेज दिया गया. इस दौरान प्रतिमा के मासूम बच्चे को भी जेल जाना पड़ा है. महज दो साल की उम्र में मां-बाप की खता में मासूम को सजा मिलने व उसके भी जेल जाने की चर्चा जारों पर है.
दूसरे बेटे की शादी के एक दिन पहले हुई सजा: सदर अस्पताल में फार्मासिस्ट के पद पर तैनात बाबू नंदन प्रसाद के दूसरे बेटे राकेश की शादी से ठीक एक दिन पहले श्री प्रसाद व उनके परिवार के पांच सदस्यों को सजा सुनायी गयी. कोर्ट से सजा मिलने के बाद यह परिवार टूट गया. मंगलवार को कोर्ट ने सजा सुनायी, जबकि बुधवार को बाबूनंदन प्रसाद के दूसरे पुत्र की शादी हुई.
हाइकोर्ट जायेंगे आरोपित, चुनौती देगी गार्गी
निचली अदालत के फैसले के खिलाफ बाबूनंदन प्रसाद हाइकोर्ट जायेंगे. वहीं गार्गी ने भी अंतिम दम तक लड़ाई लड़ने की बात कहीं है. गार्गी ने कहा कि वह अपने गुनाहगारों को किसी भी सूरत में नहीं बख्सेगी. चाहे सुप्रीम कोर्ट जाना पड़े.
ससुरालवालों के िखलाफ जारी रखी लड़ाई
क्या है मामला: बैरगनिया थाना के घीपट्टी निवासी गिरधारी प्रसाद की पुत्री गार्गी कुमारी ने 8 जुलाई 2010 को बैरगनिया थाने में दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया था. जिसमें नगर थाना के भवदेपुर चमरा गोदाम निवासी पति श्याम चंद्र गोयल, उसके पिता नशा मुक्ति केंद्र सदर अस्पताल में फार्मासिस्ट के पद पर तैनात बाबूनंदन प्रसाद, मां काशी देवी बहनोई सह शिक्षक उमेश कुमार आलोक व बहन सह शिक्षिका प्रतिमा कुमारी को आरोपित किया था.
दर्ज प्राथमिकी में बताया था की उसके पिता से बतौर दहेज पांच लाख एक हजार 100 रुपये एकाउंट के माध्यम से लिये गये. गार्गी की शादी बाबूनंदन प्रसाद के पुत्र श्यामचंद्र गोयल के साथ हुई थी. शादी के बाद ससुराल वाले बतौर दहेज तीन लाख रुपये की मांग करने लगे. इनकार करने पर पति समेत आरोपियों ने उसे प्रताड़ित करना शुरू किया. वहीं, मारपीट कर घर से भगा दिया. इतना हीं नहीं पति ने दूसरी शादी रचा ली. इसके बाद उसने बैरगनिया थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी.
मामले की सुनवाई कोर्ट में जारी थी. इस दौरान ससुराल वाले गार्गी पर मुकदमा में सुलह का दबाव बनाते रहे. ससुराल वालों ने दहेज में ली गयी रकम के अलावा और रकम देने की पेशकश की. लेकिन गार्गी नहीं झुकी. उसका मकसद अपने गुनहगारों को सजा दिलाना था. एसडीजेएम सीतामढ़ी सदर विक्रम कुमार ने फैसले के लिए 17 अप्रैल की तिथि मुकर्रर की थी. साथ ही आरोपी समेत वादी को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया था. लेकिन उक्त तिथि पर पांचों आरोपी कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सके.
लिहाजा एसडीजेएम ने पांचों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था. इसके आलोक में तीन मई को पांचों आरोपियों ने कोर्ट में आत्म समर्पण कर दिया था. जहां से कोर्ट ने पांचों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. आठ मई को मामले की सुनवाई करते हुए एसडीजेएम सदर विक्रम कुमार ने पांचों को दोषी करार दिया था. वहीं तीन साल तक की हीं सजा देने का अधिकार होने का हवाला देते हुए एसडीजेएम सदर ने मामले को सीजेएम कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया था. नौ मई को सीजेएम ने मामले की सुनवाई करते हुए पांचों को पांच-पांच साल की सजा सुनायी थी.
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