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सीतामढ़ी के केशवेंद्र केरल में जगा रहे अलख

पहल सीतामढ़ी : सीतामढ़ी के बथनाहा प्रखंड के जयराम गांव के रहनेवाले आइएएस केशवेंद्र कुमार से संबंधित पोस्ट इन दिनों सोशल मीडिया में काफी चर्चा में हैं. अधिकारी से लेकर आम लोग तक केरल में पदस्थापित इस युवा अधिकारी की ओर से किये जा रहे प्रयासों की तारीफ कर रहे हैं और बच्चों को केशवेंद्र […]

पहल

सीतामढ़ी : सीतामढ़ी के बथनाहा प्रखंड के जयराम गांव के रहनेवाले आइएएस केशवेंद्र कुमार से संबंधित पोस्ट इन दिनों सोशल मीडिया में काफी चर्चा में हैं. अधिकारी से लेकर आम लोग तक केरल में पदस्थापित इस युवा अधिकारी की ओर से किये जा रहे प्रयासों की तारीफ कर रहे हैं और बच्चों को केशवेंद्र जैसा बनने की सीख दे रहे हैं. पहले प्रयास में आइएएस बननेवाले केशवेंद्र ने तब हिंदी माध्यम से 46वां स्थान प्राप्त किया था. उस समय उनकी उम्र 22 साल थी. इसके बाद से अधिकारी के तौर पर केशवेंद्र अपने कामों को लेकर चर्चा में हैं. साथ ही वह चाहते हैं कि हिंदी माध्यम से कोई छात्र यूपीएससी की परीक्षा में टॉप करे. इसके लिए बकायदा मुहिम चला रहे हैं.
सीतामढ़ी के केशवेंद्र
वह कहते हैं, जिस दिन हिंदी माध्यम का छात्र यूपीएससी में टॉप करेगा. उस दिन उनकी मुहिम सफल होगी.
पिता डॉ रामेश्वर झा व मां मैथिली देवी कहती हैं कि 10वीं तक की पढ़ाई केशवेंद्र ने सीतामढ़ी से ही की थी. 10वीं एमपी हाइस्कूल से की थी. इससे पहले रीगा प्रखंड के आदर्श मध्य विद्यालय से पढ़े थे. केशवेंद्र जिस इलाके से आते हैं, वहां माओवादियों का भी प्रभाव है. वह शुरू से ही पढ़ने में तेज थे. हाइस्कूल तक ही पढ़ाई में अव्वल आने के लिए कई पुरस्कार जीत चुके थे. 10वीं के बाद केशवेंद्र रेलवे में बुकिंग क्लर्क के रूप में नौकरी कर रहे थे. इस दौरान इन्होंने इग्नू के जरिये स्नातक किया और यूपीएससी परीक्षा में हिंदी माध्यम से 46वां स्थान हासिल किया. यह सफलता केशवेंद्र ने कोलकाता में रहते हुए हासिल की थी. वहीं, रेलवे में इनकी पोस्टिंग थी.
केशवेंद्र को केरल कैडर मिला. अभी वहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक पद पर काम कर रहे हैं. साथ ही नेशनल आयुष मिशन का इन्हें अतिरिक्त चार्ज मिला हुआ है. इससे पहले वायनाड जिले में डीएम के पद पर तैनात थे. वहां रियल इस्टेट के कारोबारी जिले की प्राकृतिक सुंदरता को नष्ट कर बड़ी बिल्डिंगें बना रहे थे. इसमें इन्हें कुछ नेताओं का संरक्षण भी प्राप्त था.
सीतामढ़ी के केशवेंद्र केरल…
केशवेंद्र कहते हैं कि मेरे जेहन में केदारनाथ की त्रासदी थी. सो, हमने सरकारी नियम-कानून का पालन करवाने की पहल शुरू की. वायनाड बहुत खूबसूरत जिला है. पहाड़ियों से घिरा है. ऊटी के पास है, जहां अभूतपूर्व प्राकृतिक सुंदरता है. यहां 15 मीटर से ऊंची इमारते नहीं बन सकती थीं. हमने जिले में बन रही ऊंची बिल्डिंगों इस पर रोक लगायी, तो स्थानीय लोगों को लगा कि हमारे हितों की रक्षा करनेवाला कोई है, लेकिन ऐसा करनेवाले रियल स्टेट के कारोबारी मेरे खिलाफ हो गये.
राज्य कैबिनेट ने प्रस्ताव लाकर केशवेंद्र के आदेश पर स्टे लगा दिया. इसके बाद मामला केरल हाइकोर्ट में चला गया, जहां कोर्ट ने केशवेंद्र के फैसले को सही बताया और कोर्ट ने उसे लागू करने का आदेश सुनाया. इससे रियल स्टेट के कारोबारियों को तो नुकसान हुआ, लेकिन वायनाड की हरियाली बच गयी. 2016 में केशवेंद्र का वहां से तबादला हो गया, लेकिन वहां की जनता अब भी उन्हें चाहती है. उनका कहना है कि वायनाड के फैसले को पूरे प्रदेश में लागू किया जाना चाहिये, ताकि राज्य की प्राकृतिक सुंदरता बची रहे. वायनाड में पोस्टिंग से पहले केशवेंद्र केरल के उच्चतर शिक्षा के निदेशक थे. यहां भी उन्होंने अच्छा काम किया, जिसके लिए 19 नवंबर 2013 को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया.
नौकरी के साथ केशवेंद्र हिंदी व हिंदी माध्यम से शिक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं. इसके लिए इन्होंने ब्लॉग बनाया है, जिस पर लगातार लेख लिखते रहते हैं, जो यूपीएससी की परीक्षा से संबंधित होते हैं. अब तक इनके ब्लॉग को दस लाख 64 हजार से ज्यादा लोग देख चुके हैं. ब्लॉग में हिंदी माध्यम से किस तरह से यूपीएससी की तैयारी करें, इसके बारे में बताते हैं. साथ ही बच्चे किस क्लास से तैयारी कर सकते हैं. ये भी बताते हैं. वह कहते हैं कि मेरी तैयारी में प्रभात खबर अखबार का बड़ा योगदान रहा. इसमें छपनेवाले सम-सामयिक लेखों को मैं लगातार पढ़ता था, इससे परीक्षा के दौरान निबंध लिखने में काफी सहायता मिली.
केशवेंद्र के ब्लॉग का नाम iashindi.blogspot.in है. 2007 बैच के आइएएस केशवेंद्र लिखते हैं कि आइएएस आसमान से नहीं टपकते हैं. वह यूपीएससी की तैयारी से संबंधित मौलिक सवाल इसमें उठाते हैं और उनके सिलसिलेवार ढंग से जवाब देते हैं. वह लिखते हैं कि मुझे शब्दों पर भरोसा है. साहित्य बहुत लोगों को प्रेरणा देता है. इसकी सेवा से लोग संवेदनशील बनते हैं. इसलिए मैं ये छोटा-सा प्रयास कर रहा हूं.
केशवेंद्र 2009 से लगातार ब्लॉग पर यूपीएससी की परीक्षा संबंधित लेख लिखते आ रहे हैं. अपने ब्लॉग पर लिखते हैं कि मैं भले ही हिंदी माध्यम से 46वें स्थान पर रहा, लेकिन इस माध्यम के छात्र रंग दिखा रहे हैं. तीसरे स्थान तक पहुंच चुके हैं. मेरी तमन्ना है कि एक दिन कोई न कोई छात्र हिंदी माध्यम से यूपीएससी की परीक्षा टॉप करे.
भाइयों में सबसे छोटे हैं केशवेंद्र : केशवेंद्र के पिता डॉ रामेश्वर झा आयुर्वेद के डॉक्टर हैं. इनके दोनों बड़े भाई नौकरी करते हैं. बड़े भाई रैपिड एक्शन फोर्स में डीएसपी हैं. उनसे छोटे वित्त मंत्रालय में असिस्टेंट सेक्शन अफसर हैं. केशवेंद्र कहते हैं कि मैं आज जो काम कर रहा हूं, उनमें हमारे माता-पिता के अलावा प्रारंभिक शिक्षा देनेवाले शिक्षकों नागेंद्र सिंह, भुवनेश्वर सिंह, लक्ष्मण सिंह व ए सुबेर कुट्टी का बहुत योगदान है. इन लोगों ने मुझे नैतिक मूल्य सिखाये.
सोशल मीडिया पर भी चर्चा : केशवेंद्र के कामों की चर्चा सोशल मीडिया पर भी हो रही है. उन्होंने केरल में विभिन्न प्रशासनिक पदों पर रहते हुए अभी तक जो काम किया है, उसकी बात होती है. विशेषकर वायनाड के डीएम रहते हुए जो काम किया, उस पर सबसे ज्यादा ख्याति इन्हें मिली. सीतामढ़ी में पदस्थापित एएसपी अभियान संजीव कुमार समेत कई अधिकारी इन्हें सोशल मीडिया पर फॉलो करते हैं और उनके कामों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं. केशवेंद्र हर साल अपने पैतृक गांव भी आते हैं.
राष्ट्रपति से सम्मानित होते केशवेंद्र (फाइल फोटो)

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