सीतामढ़ीः सावधान! अगर कुत्ता काट ले तो नि:शुल्क इलाज कराने की मंशा से सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर नहीं जायें. वहां जाने पर कोई इलाज नहीं मिलेगा. चिकित्सक का जवाब होगा कि एंटी रैबिज वैक्सिन उपलब्ध नहीं है. इस लिहाज से किसी स्वास्थ्य केंद्र पर नहीं जायें, नहीं तो आने-जाने में आर्थिक क्षति के साथ समय की बरबादी होगी. बेहतर होगा कि कुत्ते के काटने के बाद अपने स्तर से दवा खरीद कर मरीज को दें.
इलाज महंगा तो पड़ेगा, पर रोगी के हित में बेहतर होगा. यह सब बताने के पीछे प्रभात खबर का मकसद जिले के लोगों को सचेत करना है. कारण की जिले के किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में एंटी रैबिज वैक्सिन उपलब्ध नहीं है. यह हाल तब है जब जिला स्तर पर स्वास्थ्य से संबंधित होने वाली बैठकों में वैक्सिन व अन्य दवा के अभाव का मुद्दा उठता रहा है.
कुत्ते के काटने से पीड़ित
बता दें कि करीब एक सप्ताह के अंदर जिले के विभिन्न प्रखंडों में कुत्ते के काटने से 100 से अधिक लोग पीड़ित हुए हैं. इनमें से अधिकांश तो अपने स्तर से इलाज करा रहे हैं तो आर्थिक रूप से कमजोर कुछ ऐसे भी मरीज हैं जो अब भी सरकारी दवा का भी इंतजार कर रहे हैं. कुछ पीड़ितों में सुप्पी पखंड के मनियारी गांव निवासी पप्पू साह, अकलू दास, नीतीश कुमार, वसंत गांव के गिरजा साह व बड़हरवा गांव के रामाशंकर सिंह, पुपरी प्रखंड के भिट्ठा गांव के तेजी राय, नीरू देवी, जलालपुर की उर्मिला देवी, रामनगर बेदौल के संजय कुमार, परिहार प्रखंड के परिहार निवासी मो शौराब, रमनयका की तौशिल खातून, फिरोज खातून व शहनवाज, बाजपट्टी प्रखंड के पचरा गांव के अनिल कुमार, चोरौत प्रखंड के अमनपुर गांव के कृतेश कुमार, सीताराम ठाकुर, संगीत कुमार, सोनू कुमार, सूरज कुमार व राधा कुमारी समेत अन्य प्रखंडों के मरीज शामिल हैं. यहां बता दें कि चोरौत प्रखंड के उक्त पीड़ितों के अलावा अन्य प्रखंडों के कई पीड़ित पीएचसी पर एंटी रैबिज वैक्सिन आने का इंतजार कर खुद से दवा खरीद इलाज नहीं करा रहे हैं.