कार्रवाई. तीन जून 2016 को एमडीएम खाने से सात बच्चे हुए थे बीमार
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जांच के आदेश से मचा हड़कंप
कार्रवाई. तीन जून 2016 को एमडीएम खाने से सात बच्चे हुए थे बीमार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने की रिपोर्ट तलब बनाये गये भोजन में पड़ गयी थी छिपकली मीडिया में आयी खबरों पर लिया स्वत: संज्ञान डीएम के आदेश पर जांच में जुटे पीएचसी प्रभारी सोनबरसा/सीतामढ़ी : प्रखंड के मध्य विद्यालय, भुतही रजिस्ट्री […]
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने की रिपोर्ट तलब
बनाये गये भोजन में पड़ गयी थी छिपकली
मीडिया में आयी खबरों पर लिया स्वत: संज्ञान
डीएम के आदेश पर जांच में जुटे पीएचसी प्रभारी
सोनबरसा/सीतामढ़ी : प्रखंड के मध्य विद्यालय, भुतही रजिस्ट्री में एमडीएम खाने से बच्चों के बीमार पड़ जाने एवं उनकी चिकित्सा के प्रति पीएचसी के चिकित्सकों के गंभीर नहीं रहने से संबंधित मीडिया में आयी खबरों पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, नई दिल्ली ने स्वत: संज्ञान लिया है.
आयोग ने डीएम राजीव रौशन से उक्त मामले की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है. डीएम ने पीएचसी प्रभारी डॉ राजीव रत्न को वस्तु स्थिति की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है. डॉ रत्न जांच में जुट गये है.
क्या हैं पूरा मामला : मामला तीन जून 2016 का है. उक्त स्कूल में एमडीएम बना था, जिसमें छिपकली पड़ गयी थी. स्कूल के किसी शिक्षक या रसोइया को छिपकिली का पता नहीं चल सका था. फलत: बच्चे विषाक्त भोजन कर लिये थे. सात बच्चे बीमार हो गये थे. ससमय प्रधान शिक्षक वीरेंद्र कुमार पीड़ित बच्चों को लेकर पीएचसी पहुंचे थे. उस दौरान कोई चिकित्सक नहीं था.
पीएचसी के बगल में आवास में दिव्यांग डॉ गुरुदयाल सिंह मौजूद थे. उन्होंने प्रधान को बताया था कि स्लाइन उपलब्ध नहीं है. इस पर शिक्षक संघ के मंत्री हरिनारायण राय व मवि, भुतही के प्रधान शिक्षक राजकिशोर राउत ने कड़ी नाराजगी जतायी थी. साथ हीं दूरभाष पर पीएचसी के हाल से डीएम को अवगत कराया था.
डीएम के आदेश के बाद चिकित्सक व कर्मी ही नहीं, बल्कि सीओ एसके दत्त भी पहुंचे थे. उसके बाद बच्चों का इलाज हुआ था. तब सीओ ने भी पीएचसी की बदतर व्यवस्था पर कड़ी नाराजगी जतायी थी. एमडीएम के डीपीओ जयशंकर ठाकुर भी पीड़ित बच्चों का जायजा लेने पहुंचे थे. प्रधान शिक्षक से जवाब तलब हुआ था.
पीएचसी की व्यवस्था पर नाराजगी
डीएम के आदेश पर पीएचसी प्रभारी डॉ रत्न बुधवार को उक्त स्कूल में एमडीएम मामले की जांच को पहुंचे थे. आयोग के गंभीर होने व जांच शुरू होने से दोनों विभागों के संबंधित दोषियों में कार्रवाई की आशंका से हड़कंप मच गया है. डॉ रत्न ने बताया कि जो भी सच्चाई होगी, उसकी रिपोर्ट भेज वरीय अधिकारियों को अवगत कराया जायेगा. बता दें कि आयोग ने बाल अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 13 आइ मामले पर संज्ञान लिया है.
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