भागे िफर रहे . बैंकों का अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने से ऋणियों को मिल रहा फायदा
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लोन लेने के बाद ठिकाना बदल रहे ऋणी
भागे िफर रहे . बैंकों का अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने से ऋणियों को मिल रहा फायदा ऋणियों के नये िठकाने को खोजने में पुलिस के छूट रहे पसीने चौकीदारों का लिया जा रहा सहारा सीतामढ़ी : जिला नीलाम कार्यालय में ऋण का चुकता नहीं करने से संबंधित मामलों की संख्या दिन व दिन बढ़ती जा […]
ऋणियों के नये िठकाने को खोजने में पुलिस के छूट रहे पसीने
चौकीदारों का लिया जा रहा सहारा
सीतामढ़ी : जिला नीलाम कार्यालय में ऋण का चुकता नहीं करने से संबंधित मामलों की संख्या दिन व दिन बढ़ती जा रही है. इसके कई कारण हैं.
एक कारण यह भी है कि मामले के निष्पादन में मुकदमा करने वाले संबंधित बैंकों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलना है. पुलिस भी इस मामले को गंभीरता से नहीं लेती है. जिला नीलाम पदाधिकारी के स्तर से ऋणियों के खिलाफ वारंट जारी किया जाता है. यह वारंट थानों में भेजा जाता है. पुलिस के स्तर से कुछ ऋणियों को पकड़ा भी जाता है, पर जितनी संख्या में वारंट निर्गत होता है उस अनुरूप ऋणियों की गिरफ्तारी नहीं हो पाती है. फलत: मामलों के निष्पादन में काफी वक्त लग जाता है. कुछ वैसे ऋणी है जो ऋण लेने के दौरान बैंक को जो पता लिखाते हैं, बाद में अपना ठिकाना बदल लेते हैं.
नये ठिकाने की सूचना जिला नीलाम कार्यालय को नहीं दी जाती है. ऐसे ऋणियों का पता लगाना पुलिस के लिए भी मुश्किल हो जाता है. यही कारण है कि ऐसे ऋणियों से संबंधित वारंट को पुलिस यह कहते हुए लौटा देती है कि दिये गये पता पर ऋणी उपलब्ध नहीं है.
ऋणी को ढ़ूढ़ता रहा चौकीदार : कल तक नूतन सिनेमा रोड में रहने वाले विजय प्रसाद भी अपना ठिकाना बदल लिये हुए हैं. उनकी पत्नी अंजु देवी एक बैंक की ऋणी है. जिला नीलाम पदाधिकारी द्वारा गत दिन अंजु देवी के खिलाफ धारा सात के तहत नोटिस किया गया. नगर थाना पुलिस को नोटिस मिली. नोटिस का तामिला कराने के लिए चौकीदार को भेजा गया.
नूतन सिनेमा रोड में चौकीदार अंजु देवी व उसके पति विजय प्रसाद का पता ढूंढते रह गया, पर नहीं मिला. दुकानदारों से पूछा तो सबों ने विजय प्रसाद का पता जानने से इनकार किया. काफी मशक्कत के बाद चौकीदार को पता चला कि विजय प्रसाद जेनेरेटर चलाता है. वह बिजली कार्यालय से पश्चिम जेनेरेटर का कारोबार किये हुए है.
जब चौकीदार वहां पर पहुंचा तो एक जेनेरेटर संचालक मिला और उसने अपना नाम प्रह्लाद बताया. उक्त मुहल्ला में चौकीदार विजय का ठिकाना तलाशता रहा. इसी दौरान एक ओर जेनेरेटर संचालक मिला जो अपना नाम रणविजय सिंह बताया.
थक-हार कर वह थाना पहुंचा और थाना से वारंट जिला नीलाम कार्यालय को लौटा दिया गया. इस तरह के कई मामले हैं. अंजु देवी का मामला तो एक बानगी है. बताया गया है कि अंजु पर पांच लाख 51 हजार 700 रुपये ऋण का बकाया है.
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