सीतामढ़ीः भाजपा किसान मोरचा के जिलाध्यक्ष उमाशंकर पांडेय व अन्य नेताओं ने केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेज 2014 में पेश होने वाले कृषि बजट में किसानों के हितों का पूरा ख्याल रखने की मांग की गयी है.
श्री पांडेय ने प्रेस कांफ्रेंस कर उक्त आशय की जानकारी दी. शहर स्थित एक नर्सिग होम के सभागार में मोरचा नेता मंगलवार को पत्रकारों को बताया कि देश में हर वर्ष 13 अरब डॉलर मूल्य का खाद्य पदार्थ बरबाद होता है. खेती योग्य जमीन दिन व दिन कम होती जा रही है. खेतों पर बड़े औद्योगिक घरानों का कब्जा होते जा रहा है. मौके पर डॉ. नवल किशोर सिंह ने कहा कि हर व्यक्ति में भ्रष्टाचार की भावना घर कर गयी है. उसे निकालना होगा. बदलाव की शुरूआत खुद से करनी होगी.
नेताओं ने कहा कि बिहार में जोत का 84.14 प्रतिशत भाग एक एकड़ से कम व 93.37 प्रतिशत भाग 2 एकड़ से भी कम है. प्रत्येक किसान के पास औसतन पांच-दस टुकड़ों में खेत है. सवाल उठाया कि बिना चकबंदी के या कोई कार्य योजना बनाये बगैर कोई सरकार खेती के विकास की बात कैसे कर सकती है? कहा गया कि सहकारी समितियों के साथ-साथ विस्कोमान व पैक्स के अलावा बैंकों को अधिक पारदर्शी व किसान हितैसी बनाने की आवश्यकता है. कहा कि वह कौन सा कारण है कि बिहार में किसानों को कृषि यंत्र खरीदने के लिए बैंकों को 13.5 प्रतिशत से 14 प्रतिशत से ब्याज चुकता करना पड़ता है.
सरकार से किसानों के कृषि यंत्र खरीदने को पांच वर्षो के लिए 0 प्रतिशत ब्याज पर ऋण मुहैया कराने की मांग की. नेताओं ने कहा कि राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार के कारण किसानों का काम बिना घुस का नहीं हो पाता है. नेताओं ने कहा कि केसीसी में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरोध में सूबे के सभी बैंकों पर 21 जनवरी को धरना दिया जायेगा. प्रदेश के नेताओं द्वारा धरना का नेतृत्व किया जायेगा. विचार व्यक्त करने वालों में जिला महामंत्री अशोक मेहता व जिला उपाध्यक्ष जगन्नाथ सिंह भी शामिल थे.