-अमरेंद्र कुमार-
सीतामढ़ीः गरीबी रेखा से नीचे के लोगों की मृत्यु होने पर दाह-संस्कार के लिए 15 सौ रुपये देने का प्रावधान है. यह पैसा पंचायत स्तर से ही दिया जाता है. परंतु यह जान कर ताज्जुब होगा कि सरकार गरीबों को समय पर कफन के लिए भी पैसे उपलब्ध नहीं करा पा रही है. यह कड़वी सच्चई है. कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत यह पैसे दिये जाते हैं. योजना की सच्चई जान कर हर कोई आश्चर्य करेगा.
यानी यह कहने में दो मत नहीं कि जिले में यह योजना विफल हो गयी है. इसके लिए भले ही जिम्मेवार जो हो. वैसे जानकारों का कहना है कि सरकार की नीति हीं दोषपूर्ण है. यही कारण है कि गरीबों को समय पर कफन के भी पैसे नहीं मिल पा रहे हैं. हालांकि जानकारों ने नीचे से लेकर ऊपर तक के लोगों को समान रूप से जिम्मेवार माना है. इसके पीछे जो तर्क दिया है, उसका काट भी किसी के पास शायद हीं होगा. मूल रूप से लापरवाही के चलते गरीबों को उक्त योजना का लाभ समय पर नहीं मिल पाता है.
प्रभात खबर ने विभिन्न प्रखंडों की पंचायतों के मुखियाओं से कबीर अंत्येष्टि योजना का हाल जाना. मुखियाओं ने बताया कि इस मद में एक पैसा भी नहीं है. जो पैसा था वह मृतक के परिजनों को दिया जा चुका है. वहीं दर्जनों आवेदन लंबित है. पैसा हीं नहीं है कि भुगतान किया जाये. कई पंचायतों में तो करीब 50 आवेदन भुगतान के लिए लंबित है. भुगतान की आस में कई मृतक के परिजन तो भूल भी गये कि उन्हें उक्त योजना का लाभ मिलना है. इनमें से एक बोखड़ा प्रखंड की खड़का दक्षिणी पंचायत के घूरन दास भी हैं. उनकी पत्नी की मृत्यु के बाद 15 सौ रुपये का भुगतान इसलिए नहीं हुआ कि पंचायत में पैसा हीं नहीं था और न अब है. बताया कि उस दौरान कर्ज लेकर पत्नी का दाह-संस्कार किया था.
बोखड़ा की चकौती पंचायत के मुखिया उपेंद्र पासवान कहते हैं कि उन्हें अब तक मात्र एक बार वर्ष 12 में 45 हजार रुपये मिला था. उक्त पैसे वितरण कर दिये गये. एक मृतक के परिजन को तो जेब से 15 सौ रुपये देने पड़े थे. भुगतान के लिए पंचायत में करीब 50 आवेदन लंबित है. उसी प्रखंड की बनौली मुखिया गीता देवी ने बताया कि वर्ष 07-08 में 15 हजार व वर्ष 08-09 में 45 हजार रुपये मिला. उसके बाद उक्त योजना के तहत एक पैसा भी नहीं मिला है. 65 मृतक के परिजनों का भुगतान लंबित है.
मेहिसौथा मुखिया पिंकी कुमारी देवी ने बताया कि पैसे के अभाव में दर्जनों का भुगतान लंबित है. बोखड़ा मुखिया रूखशाना खातून ने स्वीकार किया कि 20-25 आवेदन लंबित पड़ा हुआ है. पैसा नहीं है कि भुगतान किया जाये. खड़का उत्तरी मुखिया जयकांत यादव ने बताया कि दर्जन से अधिक आवेदन लंबित है. खाता खुला हुआ है. जिला से पैसा आया है कि नहीं, इसका पता नहीं चल सका है.
सोनबरसा प्रखंड की जयनगर पंचायत की मुखिया किरण कुमारी ने बताया कि 50 का भुगतान लंबित है. पैसा हीं नहीं है. बताया कि इस मद में काफी कम आवंटन हीं मिलता है. दोस्तिया मुखिया लक्ष्मी महतो ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार की यह कैसी योजना है कि गरीबों को मृत्यु के बाद समय पर कफन के लिए भी पैसे उपलब्ध नहीं कराये जा रहे हैं. बताया कि इस मद में पैसा नहीं रहने के चलते करीब 40 मृतक के परिजनों का भुगतान लंबित है. सिंगवाहिनी मुखिया संजना देवी ने बताया कि उनके पंचायत में 35 आवेदन लंबित है. सोनबरसा बीडीओ श्रीकांत ठाकुर कहते हैं कि जो पैसा पूर्व में आया था, उसे सभी पंचायतों में बांट दिया गया. जिला से पैसा आने पर शेष को भुगतान किया जायेगा.
इसी तरह डुमरा प्रखंड की परोहा पंचायत के मुखिया अरूण राम बताते हैं कि 40 मृतक के परिजनों का भुगतान लंबित है. इस मद में पैसा हीं नहीं है. सुप्पी प्रखंड की हरपुर पिपरा पंचायत के मुखिया संजय कुमार यादव कहते हैं कि पैसे के अभाव में भुगतान के लिए करीब 25 आवेदन लंबित है. कहते हैं कि खाता खुल चुका है, लेकिन जिला से पैसा नहीं आया है.
इस बाबत प्रयास के बावजूद सामाजिक सुरक्षा के सहायक निदेशक से संपर्क नहीं हो सका. वैसे विभागीय सूत्रों ने बताया कि जिन पंचायतों में खाता खुल चुका है, वहां पैसा भेजा जा चुका है. अगर किसी पंचायत में पैसा नहीं पहुंचा है तो इसका मतलब है वहां अब तक खाता ही नहीं खुला है.