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सड़ गया सैकड़ों क्विंटल धान

सीतामढ़ी : वर्ष 2015 में प्रखंड क्रय केंद्रों, पैक्सों व व्यापार मंडलों के माध्यम से धान की खरीद की गयी थी. खरीद के दौरान विभिन्न प्रखंडों में गड़बड़ी सामने आयी थी. सैकड़ों क्विंटल धान सड़ गये थे. तब और अब भी संबंधित पैक्स अध्यक्षों द्वारा एक ही बात कही जा रही है कि प्रखंड क्रय […]

सीतामढ़ी : वर्ष 2015 में प्रखंड क्रय केंद्रों, पैक्सों व व्यापार मंडलों के माध्यम से धान की खरीद की गयी थी. खरीद के दौरान विभिन्न प्रखंडों में गड़बड़ी सामने

आयी थी.
सैकड़ों क्विंटल धान सड़ गये थे. तब और अब भी संबंधित पैक्स अध्यक्षों द्वारा एक ही बात कही जा रही है कि प्रखंड क्रय केंद्रों पर उनका धान नहीं लिया गया था.
भुगतान में काफी विलंब
प्रशासन की भी लापरवाही का मामला सामने आया था. यानी एसएफसी के स्तर से चावल के एवज में पैक्सों को काफी विलंब से भुगतान किया गया तो अब भी कई पैक्सों का भुगतान अब भी लंबित ही है.
भुगतान के लिए पैक्स अध्यक्षों द्वारा हर अधिकारियों के यहां दस्तक दिया गया था, लेकिन किसी के स्तर से जब काम नहीं हुआ तो कई अध्यक्ष हाइकोर्ट की शरण में चले गये. कुछ मामले में हाइकोर्ट का आदेश आया भी है तो कई कोर्ट में लंबित ही है. पैक्स अध्यक्षों को इसका मलाल है कि काश! वरीय अधिकारी एसएफसी से यह सवाल करते कि पैक्सों को विलंब से भुगतान क्यों किया गया और जब विलंब से किया गया तो उस अवधि का सूद क्यों नहीं दिया गया. वैसे इन तमाम सवालों को लेकर कई पैक्स अध्यक्ष हाइकोर्ट की शरण में है.
धान खरीद पड़ा महंगा
कई प्रखंडों के पैक्स व व्यापार मंडल के अध्यक्षों का एसएफसी के स्तर पर न तो धान लंबित रहा और न चावल का भुगतान, पर वैसे अध्यक्षों की संख्या कम नहीं है, जिनको काफी विलंब से भुगतान मिला. ऐसे अध्यक्ष धान की खरीद को काफी महंगा मान रहे हैं. उनका यह कहना जायज भी है. कारण कि पैक्स अध्यक्ष सहकारिता बैंक से ऋण लेकर धान की खरीद करते हैं.
चावल की बिक्री के बाद बैंक को दोबारा सूद के साथ ऋण लौटा देते हैं. एसएफसी के स्तर से सात-आठ माह बाद किये गये भुगतान के बाद अध्यक्षों द्वारा बैंक को चुकता किया गया है. उक्त सात-आठ माह का सूद अध्यक्ष अपनी जेब से बैंक को दिये हैं और दे रहे हैं. यानी विलंब अवधि का सूद देने के लिए एसएफसी तैयार नहीं है. इस सूद की राशि के लिए कई पैक्स अध्यक्ष अब हाइकोर्ट जा रहे हैं.

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