23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पूर्व मुखिया की हत्या के बाद दहशत का माहौल

रीगा : 27 दिसंबर को दो शहीदों की शहादत दिवस मनाने की तैयारी की जा रही है. हर वर्ष की तरह इस बार भी कई किसान संगठनों द्वारा अपने स्तर से शहादत दिवस की तैयारी की जा रही है. वैसे तो जिले में हर वर्ग के लोगों का संघ व संगठन है, जबकि किसानों का […]

रीगा : 27 दिसंबर को दो शहीदों की शहादत दिवस मनाने की तैयारी की जा रही है. हर वर्ष की तरह इस बार भी कई किसान संगठनों द्वारा अपने स्तर से शहादत दिवस की तैयारी की जा रही है. वैसे तो जिले में हर वर्ग के लोगों का संघ व संगठन है, जबकि किसानों का कोई संगठन नहीं है.

रीगा में संगठन का हाल

रीगा प्रखंड के किसानों ने गन्ने की खेती करने वाले किसानों का संगठन बनाया था. 1977 से 87 के बीच संगठन की ओर से बड़े-बड़े आंदोलन किये गये थे.

आंदोलनों को बहुत से लोग नहीं भूले होंगे. आंदोलनों के चलते सरकार को किसानों के समक्ष घुटने टेकना पड़ गया था. और गन्ना किसानों की कई समस्याओं का समाधान हुआ था.

गोली से दो की हुई थी मौत

27 दिसंबर 81 को किसान चीनी मिल के समक्ष आंदोलन कर रहे थे. बताया जाता है कि उस दौरान मिल प्रबंधन की ओर से गोली चलायी गयी थी. गोली लगने से रामपुर गंगौली के सुरेंद्र सिंह व पंछोर के रफीक दर्जी की मौके पर ही मौत हो गयी थी.

उक्त आंदोलन को प्रखंड के 45 हजार किसानों का समर्थन प्राप्त था. दो की मौत का मुकदमा चला. संघ के भी कुछ लोग गवाह बने थे. कोर्ट में सुनवाई हुई. बताया जाता है कि मिल में नौकरी की लालच में कई लोग मिल प्रबंधन के पक्ष में कोर्ट में गवाही दे दिये थे. इस तरह दोषी निर्दोष हो गया. यहीं से संगठन में बिखराव शुरू हो गया.

तब मोरचा का हुआ गठन

बिखराव के दौरान वर्ष 2001 में संयुक्त किसान संघर्ष मोरचा का गठन हुआ. तब से मोरचा किसानों के हित में आवाज बुलंद करता रहा है. इसका विस्तार अब जिले के सभी प्रखंडों में हो चुका है. दो की मौत के बाद भी कुछ किसान नेताओं का मिल के प्रति मोह भंग नहीं हुआ. सरकार भी किसानों का साथ न देकर मिल प्रबंधन को ही लाभ पहुंचा रही है.

गन्ना की खेती पर प्रभाव

सरकार व मिल मालिक की बेरुखी से गन्ना किसान काफी खफा हैं और गन्ना की खेती के प्रति उनकी दिलचस्पी धीरे-धीरे कम होती जा रही है. इस बार भी गन्ना की खेती पर प्रभाव पड़ा है. अगला सीजन चल पायेगा अथवा नहीं, कहना मुश्किल है. अगर मिल बंद होता है, तो यह क्षेत्र के लिए दुर्भाग्य होगा. क्योंकि 45 हजार किसानों के साथ-साथ इलाके के एक लाख लोग भी कार्यरत हैं.

शहीदों के परिजन होंगे सम्मानित

मोरचा के संस्थापक डाॅ. आनंद किशोर ने कहा कि 27 दिसंबर को शहीद दिवस के अवसर पर शहिदों के परिजन को सम्मानित करने के साथ ही आगे की रणनीति बनाई जाएगी. इधर, इखोत्पादक संघ की ओर से भी शहीद दिवस की तैयारी की जा रही है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें