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प्रखंड में योगदान भी नहीं दे सके राजेंद्र

प्रखंड में योगदान भी नहीं दे सके राजेंद्रदलपति से बना था पंचायत सचिवरीगा. राजेंद्र ठाकुर वर्षों के संघर्ष के बाद हाल में सरकारी नौकरी हासिल किये थे. इस नौकरी के लिए वे न जाने कितनी मेहनत किये थे और कितनों के दर पर दस्तक दिये थे, पर शायद उनकी नौकरी ऊपर वाले को भी रास […]

प्रखंड में योगदान भी नहीं दे सके राजेंद्रदलपति से बना था पंचायत सचिवरीगा. राजेंद्र ठाकुर वर्षों के संघर्ष के बाद हाल में सरकारी नौकरी हासिल किये थे. इस नौकरी के लिए वे न जाने कितनी मेहनत किये थे और कितनों के दर पर दस्तक दिये थे, पर शायद उनकी नौकरी ऊपर वाले को भी रास नहीं आयी. राजेंद्र ठाकुर रविवार की सुबह चल बसे. दलपति से बने थे सचिव प्रखंड के कुसमारी गांव के राजेंद्र ठाकुर का निधन हर्टअटैक से हुआ है. वर्ष 1990 में पंचायत में दलपति के रूप में काम शुरू किये थे. लालू प्रसाद जब सीएम थे तब उन्होंने दलपतियों को पंचायत सचिव बनाने की घोषणा की थी. राजेंद्र जैसे अन्य दलपतियों के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी. नौकरी के लिए वे हाइकोर्ट भी गये. बाद में जिला प्रशासन ने 15 जनवरी 15 को 12 दलपतियों को पूर्णिया प्रशिक्षण में भेजा. 90 दिन के प्रशिक्षण के बाद सबों ने 14 अप्रैल 15 को जिला में योगदान किया था. गत माह सचिव में नियुक्ति की गयी और उन्हें रून्नीसैदपुर प्रखंड में योगदान करने का आदेश दिया गया था. वे योगदान भी नहीं कर सके थे. जीवन भर संघर्ष करने वाले राजेंद्र ठाकुर को प्रशिक्षण से अब तक प्रशासन की ओर से एक पैसा नहीं मिला था. नौकरी वे मात्र 10 वर्ष कर पाते. कारण की उनकी उम्र 50 वर्ष हो गयी थी. परिवार में पत्नी व तीन पुत्र हैं. इधर, दिलचन महतो, पारसनाथ सिंह, पूर्व मुखिया रामवृक्ष महतो व पंकज आनंद अंशु ने राजेंद्र ठाकुर के निधन पर शोक व्यक्त करने के साथ ही जिला प्रशासन से ठाकुर के आश्रित को नौकरी देने की मांग की है.

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