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कैसे होगी परीक्षा की तैयारी, शक्षिक हैं नहीं!

कैसे होगी परीक्षा की तैयारी, शिक्षक हैं नहीं! फोटो- 6 कक्षा में मात्र चार बच्चे व शिक्षक. 11 मार्च से मैट्रिक की परीक्षा होने वाली है. इससे पूर्व 24 फरवरी से इंटर की परीक्षा होनी है. छात्र-छात्राएं परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हैं. यह जान कर हैरानी होगी कि स्कूलों में कोर्स को पूरा […]

कैसे होगी परीक्षा की तैयारी, शिक्षक हैं नहीं! फोटो- 6 कक्षा में मात्र चार बच्चे व शिक्षक. 11 मार्च से मैट्रिक की परीक्षा होने वाली है. इससे पूर्व 24 फरवरी से इंटर की परीक्षा होनी है. छात्र-छात्राएं परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हैं. यह जान कर हैरानी होगी कि स्कूलों में कोर्स को पूरा कराने के प्रति विभाग व स्कूल प्रबंधन गंभीर नहीं है. विभिन्न कारणों से बच्चों का स्कूलों से मोह भंग होता जा रहा है. स्कूल के बजाय वह ट्यूशन व कोचिंग कर कोर्स पूरा कर रहा है. हाइस्कूलों में मैट्रिक व इंटर की पढ़ाई का जायजा लेने के लिए प्रभात खबर गुरुवार को एमपी हाइ स्कूल डुमरा पहुंचा. पेश है उनके कुछ प्रमुख अंश. डुमरा. एमपी हाइस्कूल में मैट्रिक में 1289 छात्र हैं जो इस बार की बोर्ड की परीक्षा में शामिल होंगे. शिक्षा व्यवस्था में सुधार के संबंध में सरकार व विभाग चाहे लाख दावा करें, पर सच्चाई यह है कि इस हाइस्कूल में कई विषयों के शिक्षक ही नहीं हैं. तो भला कोर्स कैसे पूरा होगा और बच्चों से बेहतर रिजल्ट की उम्मीद कैसे की जा सकती है? कोचिंग में पढ़ रहे बच्चे उक्त हाइस्कूल में भूगोल, नागरिक शास्त्र, संस्कृत, हिंदी, भौतिकी व गणित के शिक्षक नहीं हैं. सर पर परीक्षा का बोझ व कोर्स पूरा करने का टेंशन परीक्षार्थियों के लिए कम परेशानी का सबब नहीं हैं. अधिकांश बच्चे ट्यूशन व कोचिंग कर कोर्स पूरा करने में लगे हुए हैं. स्कूली बच्चों की माने तो वे सिर्फ सरकारी योजना का लाभ व परीक्षा के कार्यों से ही स्कूल आते हैं. इंटर की पढ़ाई मजाक बनी उक्त हाइस्कूल में इंटर की पढ़ाई की भी व्यवस्था है. यहां इंटर की पढ़ाई मजाक बन गयी है. इंटर के कला में 265, विज्ञान में 245 व वाणिज्य विषय में 69 छात्र हैं. कोर्स को पूरा कराने के लिए न तो पर्याप्त शिक्षक हैं और न ही संसाधन. विज्ञान के छात्रों के लिए यहां कोई प्रयोगशाला नहीं है. नौ विषयों के शिक्षक नहीं इंटर में रसायन, जंतु विज्ञान, अंग्रेजी, उद्यमिता विकास, व्यवसाय अध्ययन, तर्कशास्त्र, भौतिकी व संगीत शिक्षक का पद रिक्त हैं. इंटर के भी सभी बच्चे कोचिंग पर ही निर्भर है. बता दें कि जिले में कुल 109 हाइस्कूल है. इन तमाम विद्यालयों की मौजूद स्थिति एक- दूसरे विद्यालय से मिलती-जुलती है. कक्षा में थे मात्र चार बच्चे गुरुवार को उक्त विद्यालय में शिक्षक सुबोध कुमार गणित विषय पढ़ा रहे थे. मैट्रिक व इंटर के मात्र दो-दो छात्र थे, जबकि नामांकित छात्रों की संख्या सैकड़ों हैं. शिक्षक श्री कुमार ने बताया कि जो भी शिक्षक हैं वे नियमित आते हैं. बच्चों की उपस्थिति न के बराबर होती है. अधिकांश दिन बच्चों की उपस्थिति शून्य रहती है. क्या कहते हैं प्राचार्य प्राचार्य ब्रजमोहन मंडल ने बताया कि बच्चों का ध्यान योजनाओं पर केंद्रित हो गया है. वे सिर्फ परीक्षा का हाल जानने व योजनाओं का लाभ लेने के लिए विद्यालय आना मुनासिब समझते हैं. स्कूल में शिक्षक व संसाधन का भी अभाव है.

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