सीतामढ़ी : सदर अस्पताल के एक कमरे में मृतकों का बिसरा अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते असुरक्षित हैं. गौरतलब है कि बिसरा की जांच से ही चिकित्सक यह पता लगाते हैं कि अमुक व्यक्ति की मौत किस कारण से हुई है. चिकित्सक की जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश होती है.
कई बिसरा की पहचान नहीं मृतकों के बिसरा को एक डब्बा में केमिकल रख कर रखा गया है. हर डब्बा पर मृतक का नाम व पता एक कागज पर लिख कर चिपकाया हुआ है. कई डब्बे पर से कागज उखड़ गये हैं तो कई मृतकों के नाम लिखा कागज बारिश की पानी से गल गये हैं. फलत:
कुछ बिसरा के बारे में अब इसका पता चलना मुश्किल है कि वह किस मृतक का बिसरा है. अस्पताल प्रबंधन की यह लापरवाही आगे भी बरकरार रही तो वह दिन दूर नहीं कि सभी डब्बे पर नाम लिखे कागज फट जायेंगे और बाद में बिसरा की पहचान करना एक गंभीर समस्या बन जायेगी.
बिसरा वाले कमरे का छत ध्वस्त जिस कमरे में बिसरा रखा हुआ है, वह कभी अस्पताल का स्टोर रूम सह ड्रेसिंग रूम हुआ करता था. इस कमरे को अस्थायी रूप से बिसरा कक्ष बना कर रखा गया है. गत माह भूकंप में उक्त कमरे का छत ध्वस्त हो गया. तब से बिसरा वाला डब्बा और अधिक अस्त-व्यस्त हो गया.
तसवीर देखने से हीं किसी को यह लग जायेगा कि बिसरा को सुरक्षित रखने के लिए अस्पताल प्रबंधन कितना सचेत व गंभीर है. कमरे में फर्श पर यत्र-तत्र बिसरा वाला डब्बा फेंका हुआ है. सभी डब्बे पर गंदगी की परत जम गयी है. अस्पताल के चिकित्सक व कर्मियों की नजर करीब-करीब प्रतिदिन इन डब्बों पर जाती है,
मगर उसे सुरक्षित रखने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. छत ध्वस्त होने से बारिश का पानी कमरे में जाता है और पानी में डब्बा एक तरह से तैरने लगता है. निर्णय हुआ, पर अमल नहीं बताया गया है कि बिसरा वाले कमरे के छत के निर्माण के लिए जून-15 में रोगी कल्याण समिति की बैठक में निर्णय लिया गया था.
तब अस्पताल उपाधीक्षक डॉ बबन कुंवर थे. उनके तबादला के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ गया. छत बन जाने पर बहुत हद तक बिसरा सुरक्षित हो जायेगा. कहते हैं अधिकारी अस्पताल उपाधीक्षक सुधा श्रीवास्तव ने इस विषय पर कुछ नहीं बोल सकी. सवाल सुनने के बाद फोन काट दिया. अस्पताल प्रबंधक शंभु शरण सिंह ने बताया कि आरकेएस की बैठक में छत के निर्माण का निर्णय लिया जा चुका है, काम शीघ्र कराया जायेगा. बिसरा के असुरक्षित रहने के मामले पर कुछ स्पष्ट नहीं बोल सके.