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सबसे अधिक पुपरी प्रखंड में बारिश!
डुमरा : मौसम की बेरूखी से कल तक उदास रहे किसान अब बहुत हद तक धान की फसल को ले निश्चिंत हैं. अब वे मान कर चल रहे हैं कि धान की फसल अच्छी होगी और अब सुखाड़ की नौबत नहीं आयेगी. वैसे कुछ किसान अधिक बारिश के चलते धान की फसल को ले चिंतित […]
डुमरा : मौसम की बेरूखी से कल तक उदास रहे किसान अब बहुत हद तक धान की फसल को ले निश्चिंत हैं. अब वे मान कर चल रहे हैं कि धान की फसल अच्छी होगी और अब सुखाड़ की नौबत नहीं आयेगी. वैसे कुछ किसान अधिक बारिश के चलते धान की फसल को ले चिंतित भी है. कारण कि धान के पौधे पानी में डूबने लगे हैं. कहा जा रहा है कि बारिश नहीं रुकी तो धान के पौधे नहीं बचेंगे.
लक्ष्य का 79.55 फीसदी रोपनी
जिले में 77963 हेक्टेयर में धान की रोपनी हो चुकी है जो लक्ष्य का 79.55 फीसदी है. लक्ष्य 98 हजार हेक्टेयर का है. सुरसंड में 72 फीसदी किसान धान की रोपनी कर चुके हैं. वहीं परिहार में 64, बथनाहा में 69, सोनबरसा में 72, पुपरी में 84, चोरौत में 81, नानपुर में 79, बोखड़ा में 96, बाजपट्टी में 76, बेलसंड में 85, रून्नीसैदपुर में 77, परसौनी में 87, रीगा में 95, डुमरा में 90, मेजरगंज में 91, सुप्पी में 90 व बैरगनिया में 81 फीसदी धान की रोपनी हो चुकी है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
कृषि वैज्ञानिक डॉ रामईश्वर ने बताया कि किसान अब भी धान की रोपनी कर सकते हैं. हालांकि अब कम अवधि वाले धान की हीं रोपनी संभव है, जिसमें एक धान है स्वर्णा सब वन प्रभेद. यह धान 15.20 दिन तक पानी का मार ङोल सकता है. किसानों के लिए बारिश फायदेमंद है.
जरूरत से कम बारिश
भले हीं जिले के निचले इलाके में धान के पौधे पानी में डूब रहे हैं, पर कृषि विभाग की माने तो जरूरत से कम बारिश हुई है. इस माह में अब तक 1438.2 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि 3565.50 मिमी वर्षापात की जरूरत है. पुपरी प्रखंड में सबसे अधिक 171 मिमी बारिश हुई है.
कहां कितनी बारिश
सुरसंड प्रखंड में 107 मिमी तो परिहार में 60, बथनाहा में 87, सोनबरसा में 42, पुपरी में 171, चोरौत में 42, नानपुर में 55, बोखड़ा में 85, बाजपट्टी में 129, रून्नीसैदपुर में 66, बेलसंड में 96, परसौनी में 140, रीगा में 90, डुमरा में 109, मेजरगंज में 47, सुप्पी में 62 व बैरगनिया प्रखंड में 48 मिमी वर्षापात दर्ज किया गया है.
अधिक पानी से किसान चिंतित
बोखड़ा : लगातार हो रही बारिश से वैसे किसान कुछ चिंतित हो गये हैं, जिनके धान के पौधे पानी में डूब गये हैं. खड़का गांव के गंगा प्रसाद, मिथिलेश झा, रौदी सहनी व जवाहर झा कहते हैं कि पंपसेट से पटवन कर धान की रोपनी किये थे.
अधिक बारिश से निचले भाग वाले धान के पौधे पानी में डूब गये हैं. शीघ्र पानी नहीं निकला तो धान को नुकसान हो सकता है. अगर कड़ी धूप हो गयी तो पौधे गल जायेंगे.
वहीं यह पानी रोपे गये नये धान के लिए नुकसानदेह हो सकता है. कृषि समन्वयक राजेश कुमार ने बताया कि तीन-चार दिनों तक पानी में डूबे रहने पर धान के पौधों को नुकसान हो सकता है.
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