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जुनून से मिला जयराम को अभिनेता बनने का मौका

सीतामढ़ी : अपने मेहनत व जुनून से जयराम ने मुंबई फिल्म इंडस्ट्रीज में अपना स्थान बनाते हुए अभिनेता बनने का शौक पूरा किया. यह कहानी डुमरा प्रखंड अंतर्गत विश्वनाथपुर गांव निवासी किसान परिवार से आने वाले उपेंद्र राय के पुत्र रवी यादव उर्फ जयराम की है. 15 वर्ष की उम्र में पहुंचा मुंबई 15 वर्ष […]

सीतामढ़ी : अपने मेहनत व जुनून से जयराम ने मुंबई फिल्म इंडस्ट्रीज में अपना स्थान बनाते हुए अभिनेता बनने का शौक पूरा किया. यह कहानी डुमरा प्रखंड अंतर्गत विश्वनाथपुर गांव निवासी किसान परिवार से आने वाले उपेंद्र राय के पुत्र रवी यादव उर्फ जयराम की है.
15 वर्ष की उम्र में पहुंचा मुंबई
15 वर्ष की उम्र में जयराम अभिनेता बनने के जुनून में मुंबई पहुंच गया. तब से वह अभिनेता बनने का एक ब्रेक मिलने का प्रयास कर रहा था. हालांकि इस दौरान वह लगातार फिल्म इंडस्ट्रीज से जुड़ा रहा. इंडस्ट्रीज में जयराम का ज्यादा वक्त कैरेक्टर रोल, एडिटिंग व राइटिंग में गुजरा. मूल रूप से टर्की देश की पाकिस्तानी डायरेक्टर अरबे शम महसीना ने जयराम से प्रभावित होकर उसे अपनी ‘लंदन वाली से नेहा लगवली ’ में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया है. चार भाइयों की कहानी में एक भाई का रोल जयराम कर रहा है.
साथ में चलता रहा शिक्षा व ट्रेनिंग
1995 में मुंबई पहुंचने के बाद जयराम ने अपनी पढ़ाई जारी रखी. एएसआइएन से एडिटिंग करने का कोर्स करने के साथ-साथ उसने बीए ऑनर्स भी किया. एक हफ्ते की छुट्टी पर घर आये जयराम ने बताया कि इंडस्ट्री के लोग काफी अच्छे हैं. उसे मौका मिला है.
उसे पूरी उम्मीद है कि दर्शकों को उसका किरदार अवश्य पसंद आयेगा. फिल्म की कहानी चार भाइयों के प्रेम व अंधविश्वास पर टिकी हुई है. सेंटर कैरेक्टर रंजन के अंधविश्वासी होने के कारण सभी भाई खतरे में पड़ जाते हैं. हालांकि कई समस्याओं का सामना करने के बाद अंत में सच्चाई की जीत होती है.

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