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पांच लौटे, तो अब भी फंसे हैं दो हजार

परसौनी : प्रखंड के परशुरामपुर गांव के मल्लाह टोली का दिनेश सहनी व महेश सहनी जैसे-तैसे काठमांडू से घर लौटा है. दोनों ने बताया कि उसके साथ गांव के 35 लोग रहते थे, पर भूकंप के बाद किसी से मुलाकात नहीं हो पायी. सभी वहां मछली व फल का कारोबार करते थे. बताया कि काफी […]

परसौनी : प्रखंड के परशुरामपुर गांव के मल्लाह टोली का दिनेश सहनी व महेश सहनी जैसे-तैसे काठमांडू से घर लौटा है. दोनों ने बताया कि उसके साथ गांव के 35 लोग रहते थे, पर भूकंप के बाद किसी से मुलाकात नहीं हो पायी. सभी वहां मछली व फल का कारोबार करते थे. बताया कि काफी परेशानी व खर्च के बाद वह दोनों घर पर पहुंच सका है.
घर को धराशायी होते देखा
दिनेश ने बताया कि दुकान पर फल बेच रहा था. भूकंप का झटका आया. वह अपनी आंखों से एक मकान को धारासायी होते देखा. एक मकान की दीवार में दरार पड़ गया. ढ़हते मकान का कुछ हिस्सा उसकी दुकान के पास गिरा. वहां से वह भागा और नदी किनारे चला गया. परिजन से बात करने की कोशिश की, पर संभव नहीं हो सका. खाने के लिए एक बिस्कुट भी नहीं मिल रहा था. भूकंप के बाद वह कमरे पर नहीं जा सका और सारा सामान छोड़ सीधे घर लौट आया.
चिंता में हैं परिजन
गांव का छेदी सहनी, चिंटू सहनी, अंटु सहनी, हारिल सहनी, राजाराम सहनी, प्रमोद साह, राम विनय साह, राम प्रवेश कुमार, रवींद्र कुमार, राकेश कुमार समेत सैकड़ों लोग काठमांडू में रहते हैं.
पुत्र अमित व सुजीत एवं पुत्री अनीला के साथ शंकर साह भी काठमांडू में हीं रहता है. ये लोग अब तक नहीं लौट सके हैं. इनके परिजन चिंता में है. इधर, गांव के व उप प्रमुख जगदीश साह ने बताया कि गांव के करीब दो हजार लोग काठमांडू में रहते हैं. जिला का यह पहला गांव है, जहां के अधिकांश लोग काठमांडू में हीं कोई न कोई काम करते हैं.
नहीं लौट सके डेरा
काठमांडू से लौट कर गांव में पहुंचे रामबाबू साह, मिथुन साह व सुकेश्वर साह ने बताया कि वहां नया बाजार में कबाड़ी का काम करते थे. गांव में घुम कर कबाड़ी का काम कर रहे थे, इसी बीच भूकंप का झटका महसूस हुआ. पूरा सामान छोड़ कर नदी के किनारे चले गये. वहां की तबाही का मंजर देखने के बाद डेरा पर जाने की हिम्मत नहीं हुई. नदी के किनारे से हीं सीधे घर लौटने की कोशिश में लग गये. तीन दिन भूखे-प्यासे रहे. पैदल व गाड़ी से जैसे-तैसे घर पहुंचे हैं. वहां आने में एक व्यक्ति को 5 हजार खर्च हो रहा है.
रास्ते में फंसे हैं लोग
रामबाबू, मिथुन व सुकेश्वर ने बताया कि वह जहां रहता था, वहां पर गांव के ढ़ाई-तीन सौ लोग रहते थे. सभी का फल व कबाड़ी का कारोबार था. बातचीत हुई है. लोग सुरक्षित है और गांव लौट रहे हैं. रास्ते में फंसे हुए हैं.
इकलौते पुत्र की चिंता
गांव की इंद्रासन देवी अपने इकलौते पुत्र के लिए चिंतित है. वह काठमांडू में किस हाल में है, इंद्रासन को नहीं मालूम. कारण कि भूकंप के बाद पुत्र से बात नहीं हो सकी है. उसका पुत्र राजाराम साह काठमांडू में कबाड़ी का काम करता था.

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