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गरीब सो रहे भूखे, अधिकारी बेखबर

सीतामढ़ीः सरकार की खाद्यान्न योजनाओं का हाल अन्य योजनाओं से बुरा है. खाद्यान्न योजना से उन गरीबों को विशेष लाभ नहीं मिल रहा, जिन्हें कुपोषण से बचाने के लिए सरकार ने यह योजना लागू की थी. संबंधित पदाधिकारियों के गंभीर नहीं रहने से इस योजना से जिले की एक बड़ी आबादी वंचित रह जाती है. […]

सीतामढ़ीः सरकार की खाद्यान्न योजनाओं का हाल अन्य योजनाओं से बुरा है. खाद्यान्न योजना से उन गरीबों को विशेष लाभ नहीं मिल रहा, जिन्हें कुपोषण से बचाने के लिए सरकार ने यह योजना लागू की थी. संबंधित पदाधिकारियों के गंभीर नहीं रहने से इस योजना से जिले की एक बड़ी आबादी वंचित रह जाती है. जहां कुछ डीलर खाद्यान्न का उठाव नहीं करते, वहीं कुछ उठाव के लिए पैसा जमा करते हैं, लेकिन उन्हें समय पर खाद्यान्न नहीं मिलता. वहीं, कुछ ऐसे डीलर है जो साल में दस माह उठाव करते हैं, तो वितरण चार-माह ही करते हैं. शेष माह का खाद्यान्न कालाबाजार में बेच देते हैं.

इस तरह के मामले में अबतक न जाने कितने डीलरों का लाइसेंस रद्द हुआ व कितने निलंबित हुए. हाल में हजारों क्विंटल खाद्यान्न गरीबों में न बांट कालाबाजार में बेच देने के मामले में सुरसंड प्रखंड के करीब दर्जन भर डीलरों का लाइसेंस रद्द किया गया था. खाद्यान्न योजना से संबंधित एक मामला डुमरा प्रखंड की परोहा पंचायत में सामने आया है.

12-13 में मिला मात्र चार बार

परोहा पंचायत के सिमरा गांव में 125 दलित परिवार हैं. उनकी आबादी करीब 500 है. यहां के लोगों का मुख्य पेशा मजदूरी है. मजदूरी किये, तो खुद व बाल बच्चों का पेट भरा. नहीं, तो भूखे रहना पड़ता है. गांव के राम पुकार पासवान, सत्य नारायण पासवान, सागर पासवान, बच्च पासवान व राजेंद्र पासवान समेत अन्य खाद्यान्न योजना से संबंधित बात करने पर बिफर पड़ते है. प्रभात खबर की टीम मंगलवार को उक्त टोला में खाद्यान्न योजना का हाल जानने पहुंची थी.

पूछे जाने पर लोगों ने पहले कहा कि बताने से क्या फायदा, जब डीएम, सदर एसडीओ व एमओ से शिकायत करने पर डीलर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो मीडिया वाले क्या कर सकते हैं. कार्रवाई का भरोसा दिलाये जाने पर उक्त लोगों ने मुंह खोला और बताया कि वर्ष 12-13 में मात्र चार खाद्यान्न मिला. यानी उस वर्ष में जनवरी, फरवरी, जून, जुलाई, सितंबर व नवंबर समेत आठ माह खाद्यान्न नहीं मिला. वहीं, चालू वर्ष 13-14 में अबतक उक्त डीलर से एक बार भी खाद्यान्न नहीं मिला है. यह कहते हुए लोगों के चेहरे पर आक्रोश की लकीर स्पष्ट झलक रही थी. प्रशासन के प्रति गुस्सा था. कार्रवाई नहीं होने से आक्रोशित. बताया कि उनका डीलर मो इसलाम है. हर माह खाद्यान्न नहीं देता. जिस माह देता है, तो गेहूं 10 के बजाय 9 किलो व चावल 15 के बजाय 14 किलो. डीलर मजदूरी के नाम पर प्रति उपभोक्ता एक किलो खाद्यान्न की कटौती कर लेता है.

डीएम के दरबार में शिकायत

दलितों ने बताया कि खाद्यान्न नहीं मिलने पर सदर एसडीओ से लिखित तौर पर कई बार शिकायत की गयी. डीएम को बताया है कि खाद्यान्न की बाबत पूछने पर डीलर द्वारा धमकी दी जाती है.

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