पुपरी : आलू में झुलसा रोग होने की संभावना बढ़ गयी है. इसको लेकर किसान चिंतित हैं. इस रोग से बचाव के लिए जो साधन उपलब्ध है और उक्त साधन से किसान अवगत हैं, वैसे किसान चिंतित नहीं हैं, पर जिन किसानों को दवा के संबंध में जानकारी नहीं है, वे झुलसा रोग से आलू की फसल को बरबाद होने की संभावना से परेशान व चिंतित है. ऐसे किसानों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है. कृषि विज्ञान केंद्र, सीतामढ़ी के पादप वैज्ञानिक की सलाह मान कर आलू को उक्त रोग से बचाया जा सकता है. डा सिंह का कहना है कि जिन किसानों का आलू 40 से 45 दिन का हो चुका है, उनके आलू पर झुलसा रोग आने की संभावना दिखाई दे रही है. इस रोग से बचाव को रिडोमील एम जेड- 78 या ऑक्सिडाइल, मेंकोजेव व कॉपर ऑक्सिक्लोराइड का छिड़काव करना चाहिए. रोग शुरू होने से पूर्व छिड़काव करना है. अगर झुलसा रोग का प्रकोप दिखाई पड़ने लगे तब उक्त दवाओं में से किसी एक दवा का हफ्ते भर के अंतराल पर कुल दो छिड़काव करने से आलू के फसल को झुलसा रोग से बचाया जा सकता है. वैज्ञानिक डा सिंह ने कहा है कि जिस आलू के फसल में झुलसा रोग का प्रकोप हो चुका है तो ऐसे खेतों के आलू को अगले वर्ष बीज के रूप में प्रयोग नहीं करना चाहिए.
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झुलसा रोग से आलू के बचाव को छिड़काव करे
पुपरी : आलू में झुलसा रोग होने की संभावना बढ़ गयी है. इसको लेकर किसान चिंतित हैं. इस रोग से बचाव के लिए जो साधन उपलब्ध है और उक्त साधन से किसान अवगत हैं, वैसे किसान चिंतित नहीं हैं, पर जिन किसानों को दवा के संबंध में जानकारी नहीं है, वे झुलसा रोग से आलू […]
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