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बिहार : चीनी मिल की धोखाधड़ी में फंसे 12 हजार किसान, जानें पूरा मामला

रीगा (सीतामढ़ी) : कल तक रीगा चीनी मिल प्रबंधन सिर्फ गन्ना मूल्य के भुगतान में विलंब करने के लिए ही बदनाम था, पर मिल से जुड़ा एक ऐसा मामला प्रभात पड़ताल में सामने आया है, जिसे जान कर हर कोई हैरान रह जायेगा. मिल प्रबंधन ने अपने फायदे के लिए एक साजिश के तहत 12 […]

रीगा (सीतामढ़ी) : कल तक रीगा चीनी मिल प्रबंधन सिर्फ गन्ना मूल्य के भुगतान में विलंब करने के लिए ही बदनाम था, पर मिल से जुड़ा एक ऐसा मामला प्रभात पड़ताल में सामने आया है, जिसे जान कर हर कोई हैरान रह जायेगा. मिल प्रबंधन ने अपने फायदे के लिए एक साजिश के तहत 12 हजार से अधिक किसानों को बैंकों का ऋणी बना दिया है.
अधिकतर किसानों को मालूम नहीं कि वे विभिन्न बैंकों के ऋणी हैं. कभी भी ऋण चुकता करने को बैंकों से उन्हें नोटिस आ सकता है. अब जब किसानों को इस धोखाधड़ी की खबर मिली है, तो उनके बीच हाय तोबा मच गया है.
मिल के कहने पर किया केसीसी लिमिट : बैंक ऑफ इंडिया की रीगा मिल शाखा के प्रबंधक अोमप्रकाश कुमार ने बताया कि चीनी मिल प्रबंधन के कहने पर ही गन्ना किसानों का केसीसी लिमिट किया गया और भुगतान भी किया गया. उन्हें ऋणी किसानों से नहीं, बल्कि रीगा चीनी से मतलब है. किसानों से कागजात लिये जाने की बाबत प्रबंधक ने आगे कुछ भी बताने से इन्कार किया.
केसीसी लिमिट के नाम पर 80 करोड़ ऋण
केसीसी लिमिट के नाम पर करीब 12 हजार गन्ना किसान 80 करोड़ रुपये के ऋणी हो गये हैं. मिल द्वारा किसानों को गन्ना मूल्य कह कर भुगतान किया जाता है, जबकि बैंकों से मिलने वाली राशि केसीसी ऋण की होती है. मिल को कहने के लिए हो गया कि उसने गन्ना मूल्य का भुगतान किया है. सच्चाई है कि वह गन्ने का मूल्य नहीं, बल्कि किसानों को केसीसी ऋण मिलता है. इसका भुगतान यूनियन बैंक की सीतामढ़ी शाखा एवं बैंक ऑफ इंडिया की रीगा मिल परिसर शाखा से किया गया है.
सूत्रों की मानें तो बैंकों ने मिल की हालत देख उसे ऋण नहीं दिया. तब मिल प्रबंधन ने दिमाग लगाया. वह खुद गारंटर बन गया और करीब 12 हजार किसानों को केसीसी ऋण दिला कर उन्हें एक बड़ा ऋणी बना दिया. इस पूरे मामले से संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष डाॅ आनंद किशोर व मोर्चा के रीगा प्रखंड अध्यक्ष पारसनाथ सिंह ने सीएम व डीएम समेत अन्य को अवगत करा इसकी जांच कराने की मांग की है.

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