सीतामढ़ीः बात सियासत की हो तो पड़ोसी का दिल धड़कना स्वाभाविक है. जिले से सटे नेपाल के चार जिलों रौतहट, धनुषा, महोतरी एवं सर्लाही में कुछ ऐसी ही धड़कनें इन दिनों भारत की सियासत पर चर्चा के दौरान सुनी जा रही है. कहते हैं कि भारत और नेपाल अन्य पड़ोसी देशों से अलग हट कर है.
यहां सीमा बंधन नहीं है, दोनों राष्ट्रों के बीच बेटी और रोटी का संबंध है. अलग देश होने के बावजूद दोनों देश के नागरिक एक दूसरे की हलचल नजदीक से महसूस करते हैं. दोनों देश के सियासत को मापने का पैमाना भी जुदा नहीं है. भारत के सियासत के प्रमुख केंद्र राहुल, मोदी और केजरीवाल की चर्चाएं यहां भी जोर पकड़ी है. लोकसभा चुनाव की घोषणा के पहले से देश के ये तीनों लीडर यहां के लोगों में बहस-मुबाहिशे की जगह पा लिए थे. चाय की दुकान हो अथवा पान की दुकान या सैलून, हर जगह भारत में लोकसभा चुनाव की चर्चा चहुंओर हो रही है. करीब चार माह पूर्व नेपाल में संविधान सभा चुनाव संपन्न हुआ है.
चुनाव प्रचार की गूंज
नेपाल के प्राय: सभी क्षेत्रीय एफएम पर पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी एवं शिवहर जिले के प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार की गूंज भी सुनी जा रही है. यहां इन दिनों नेपाली मीडिया से कहीं दिलचस्पी भारतीय मीडिया में देखने को मिल रही है. दिन चढ़ने से पहले भारतीय अखबार हाथों में पहुंच जाता है और फिर चर्चा होने लगती है.
गौर से उत्तर सिर्सिया चौक पर गणोशी सदा, राम भरत कुशवाहा, मुनी लाल राम कहते हैं-भारत की बात तो नहीं कहेंगे, सीतामढ़ी जिला में बेटी बियाहे हैं. आज से नहीं मेरे बाबा(दादा) की शादी बैरगनिया के मसहा में हैं. संजीव कुमार सिंह कहते हैं-मेरे पिताजी तो शिवहर में राम दुलारी सिन्हा के चुनाव प्रचार में हिस्सा लेते थे, क्योंकि मेरे कई रिश्तेदार उन इलाके में रहते हैं. दया भूषण सिंह कहते हैं- भारत में किसी कि सरकार बने, मतलब वहां विकास से है. सशक्त सरकार में दोनों देश की हित है. उत्तर-पूर्व राजमार्ग जहां काठमांडो जाने वाली गाड़ियां गुजरती है, वहां भी चुनाव की चर्चा में नरेंद्र मोदी, अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी पर अधिक बातें हो रही है. हालांकि बिहार की राजनीति को जानने समझने वाले लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार की भी चर्चा कर रहे हैं.
मोबाइल से ले रहे जानकारी
भारत की राजनीति की दिलचस्पी लेने वाले नेपाली नागरिक जिले के सटे भारतीय इलाके के अपने शुभचिंतकों एवं रिश्तेदार से मोबाइल पर जानकारी ले रहे हैं कि किसका पलड़ा भारी है. किसके जीत की संभावना है? आदि-आदि. भारतीय न्यूज चैनल पर भी चुनावी खबरें बड़ी दिलचस्पी से देखे व सुने जा रहे हैं.