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फिर रंगदारों के निशाने पर शहर के व्यवसायी, दहशत

दुस्साहस. बुधवार की रात फायरिंग की घटना को लेकर सांसत में लोग शहर की सुरक्षा को लगा बड़ा झटका, पुलिस की गश्ती पर उठ रहा सवाल सीतामढ़ी : शहर के व्यवसायी वर्ग एक बार फिर रंगदारों के निशाने पर हैं. बुधवार की रात अपराधियों ने जिस प्रकार एक के बाद एक गोलीबारी की घटना को […]

दुस्साहस. बुधवार की रात फायरिंग की घटना को लेकर सांसत में लोग

शहर की सुरक्षा को लगा बड़ा झटका, पुलिस की गश्ती पर उठ रहा सवाल
सीतामढ़ी : शहर के व्यवसायी वर्ग एक बार फिर रंगदारों के निशाने पर हैं. बुधवार की रात अपराधियों ने जिस प्रकार एक के बाद एक गोलीबारी की घटना को अंजाम दिया है, उससे शहर की सुरक्षा खतरे में पड़ती दिख रही है.
खास तौर पर व्यवसायियों में इसको लेकर दहशत इस कदर व्याप्त है कि कोई कुछ बोलने तक में परहेज कर रहे हैं. सवाल एक हीं कि कैसे गोलीबारी की घटना हो गयी? और अब क्या होगा? गुरुवार पौ फटने के साथ हीं शहर के गली-मोहल्लों से लेकर चाय की दुकानों तक में चर्चा के केंद्र में बस गोलीबारी की घटना हीं तैर रही थी. हर कोई अपने-अपने तरह से इसकी चर्चाएं कर रहे थे. पुलिस और प्रशासन के उपर सवाल दर सवाल दागे जा रहे थे कि अपराधी आराम से एक-एक कर गोलियां चलाते हुए निकल भागते हैं और पुलिस की गश्ती टोली हाथ मलती रह जाती है.
बुधवार की रात लगभग 9.40 बजे जब शहर के लोहापट्टी स्थित रूप मिलन साड़ी दुकान के मालिक कुछ स्टाफ को लेकर दिनभर की बिक्री का हिसाब मिला रहे थे, उसी समय ब्लू रंग की टीवीएस अपाचे बाइक पर सवार दो अपराधी दुकान पर आ धमके और बाइक के पीछे बैठा अपराधी दुकान में घुसकर गोली चला दिया, जो उसके स्टाफ को लगी. इसके बाद बंद पड़ी प्रमुख रेडिमेड प्रतिष्ठान चाहत के बाहर हवाई फायरिंग कर दहशत फैलाते हुए निकल गया.
कुछ देर बाद हॉस्पिटल रोड में नारायण मेडिकल हॉल में देसी कट्टा से गोली चला दी, जो दुकान में काम कर वापस जा रहे मजदूर को लगी. इसके बाद तो घटना को लेकर पूरे शहर में अफरातफरी का माहौल कायम हो गया. खुली दुकानों के शटर आनन-फानन में गिरने लगे. हर कोई घटना को लेकर स्तब्ध था. पुलिस की माने तो प्रथमदृष्टया रंगदारी को लेकर हीं अपराधी गिरोह द्वारा घटना को अंजाम दिया गया है. अपराधियों ने आसानी से रंगदारी वसूलने को लेकर व्यवसायियों में खौफ पैदा करने की कोशिश की है. बताते चले कि पूर्व में भी शहर के व्यवसायी वर्ग अपराधियों के निशाने पर रहे हैं.
गम और गुस्से में बदल गयी थी पहली जनवरी: शहरवासियों की पहली जनवरी गम व गुस्से में बदल गया. 30 दिसंबर 2014 की देर शाम अपराधियों ने साहु चौक स्थित उमा कम्यूनिकेशन के मालिक मुनींद्र पाठक की गोली मारकर हत्या कर दहशत फैला दिया. पुलिस जब तक अपराधियों को पकड़ने का प्रयास करती अगले दिन 31 दिसंबर 2014 को शहर के सबसे बड़े दवा कारोबारी व दवा व्यवसायी संघ के अध्यक्ष यतींद्र खेतान की गोली मारकर हत्या कर दी गयी.
पहली जनवरी 2015 की सुबह से ही लोग सड़क पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे थे. हर तरफ गुस्से का माहौल था. व्यवसायियों में दहशत इस कदर कायम था कि दुकान खोलने तक से लोग कतरा रहे थे. शाम सात बजते-बजते शहर सूना पड़ चुका था. शातिर सरोज राय ने उक्त हत्या की जिम्मेदारी स्वीकार किया था. एसपी हरि प्रसाथ एस के निर्देश पर पुलिस की विशेष टीम ने सरोज राय को दिल्ली से गिरफ्तार किया था.
इसके बाद रंगदारी में एक और नाम राकेश यादव का जुड़ा.
उसने कुछ डॉक्टर से रंगदारी वसूलने के लिए देसी बम फेंक कर दहशत फैलाया था. उसके गिरोह के बदमाशों के निशाने पर शहर के प्रमुख चिकित्सक डॉ प्रेम पुष्प लोहिया व रिंग बांध स्थित डॉ आरके प्रकाश का क्लिनिक बना था. राकेश यादव गिरोह के कुछ बदमाश पकड़े भी गये हैं. कुछ छोटी घटनाओं को छोड़ दे तो शहर के व्यवसायी वर्ग पिछले कुछ माह से चैन की नींद सो रहे थे, लेकिन बुधवार रात की घटना ने फिर से दहशत के साये में जीने को मजबूर कर दिया है.
अनिल की हत्या से दहल गया था शहर
इससे पूर्व वर्ष 2008 में शातिर चिरंजीवी सागर उर्फ चिरंजीवी भगत ने हिंदुस्तान रिवोल्युशनरी आर्मी(एचआरए) के नाम पर शहर के व्यवसायी व चिकित्सक वर्ग से रंगदारी की मांग की थी. इसको लेकर गिरोह के बदमाशों द्वारा दहशत कायम करने के उद्देश्य से मेला रोड स्थित बैद्यनाथ नर्सिंग होम के बाहर, लोहापट्टी, महंथ साह चौक व किरण चौक पर बम भी फेंका गया था. इसी दौरान अपराधियों द्वारा शहर के प्रमुख होजियरी प्रतिष्ठान हरिशंकर खादी भंडार के अनिल कुमार को सरेशाम मुख्य पथ पर गोलियों से भून दिया गया था. इसी घटना के विरोध में गुस्साये लोगों ने नगर थाना में तोड़फोड़ व आगजनी को अंजाम दिया था. पुलिस फायरिंग में राजीव कुमार नामक एक युवक मारा गया और कुछ लोग घायल भी हुए थे.
टाइगर नवाब ने शुरू की थी रंगदारी की परंपरा
वर्ष 1997 में पहली बार शहर के व्यवसायियों को टाइगर नवाब नामक अपराधी सरगना ने रंगदारी मांगने की परंपरा की शुरुआत की. सूत्र बताते हैं कि तब शहर के कुछ प्रमुख प्रतिष्ठानों से गुपचुप उसे रंगदारी की रकम भी पहुंच रही थी. दहशत के इस पर्याय को खत्म करने के लिए तत्कालीन पुलिस कप्तान डॉ परेश सक्सेना ने कार्रवाई शुरू की. बाद में नबाव टाइगर का शव मिलने के साथ ही इस आतंक का खात्मा हो गया, और शहर के व्यवसायियों की चैन लौटी. हालांकि टाइगर की मौत को लेकर आज भी तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं. लोग जहां उसे पुलिस इनकाउंटर में मरने की बात करते हैं, तो पुलिस ने उसकी मौत को गैंगवार माना था.
प्रेम ने मचाया था आतंक: वर्ष 2011 में अपराधियों ने रंगदारी को लेकर लोहापट्टी में हीं मिथिला साइकिल स्टोर्स के अलावा परिवार साड़ी सो रूम में बम फेंककर दहशत फैलाया था. इसमें दुकान के कुछ स्टाफ भी बम के छर्रे से घायल हुए थे. गिरोह शहर के नाहर चौक स्थित चार डॉक्टरों के क्लिनिक व घरों को भी निशाना बनाया था. तत्कालीन पुलिस कप्तान राकेश राठी के नेतृत्व में पुलिस टीम ने दहशत फैलाने के आरोपित प्रेम सिंह टाइगर को गिरोह के बदमाशों के साथ पकड़ कर सलाखों के पीछे पहुंचाया था.

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