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22 को मटकाेर, 23 को शुभ विवाह

उत्सव . फुलवारी लीला के साथ चार दिवसीय विवाह पंचमी शुरू भगवान श्रीराम व माता जानकी के अमर विवाहोत्सव की याद में हर साल मनाया जाता है यह उत्सव सीतामढ़ी : मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम व जगत जननी माता जानकी के अमर विवाहोत्सव की याद में प्रति वर्ष मनाये जाने वाले चार दिवसीय विवाह […]

उत्सव . फुलवारी लीला के साथ चार दिवसीय विवाह पंचमी शुरू

भगवान श्रीराम व माता जानकी के अमर विवाहोत्सव की याद में हर साल मनाया जाता है यह उत्सव
सीतामढ़ी : मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम व जगत जननी माता जानकी के अमर विवाहोत्सव की याद में प्रति वर्ष मनाये जाने वाले चार दिवसीय विवाह पंचमी का जहां सीतामढ़ी में फुलवारी लीला के साथ आगाज हो गया है, वहीं जनकपुर में तिलकोत्सव के साथ विवाहोत्सव का आगाज हो गया है.
22 नवंबर को मटकोर पूजन व 23 नवंबर को विवाहोत्सव होगा. सीतामढ़ी शहर के जानकी स्थान व पुनौरा धाम में भव्य आयोजन की तैयारी है. नेपाल के जनकपुर में भी आयोजन की तैयारियां जारी है. उधर, बड़ी संख्या में अन्य जिलों के श्रद्धालुओं के पहुंचने का दौर शुरू हो गया है. सीतामढ़ी आने वाली तमाम ट्रेनें श्रद्धालुओं की भीड़ से खचाखच भरी है. रामचरितमानस में महाकवि गोस्वामी तुलसीदासजी ने त्रेता युग के श्रीराम और जनकनन्दिनी सीता के विवाह का वर्णन बेहद सुंदरता से किया है.
हर साल की तरह इस बार भी जानकी स्थान में मंगलवार को फुलवारी लीला के साथ चार दिवसीय विवाहोत्सव का आगाज किया गया. जानकी स्थान मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित त्रिलोकी दास ने बताया की यहां मंगलवार को फुलवारी लीला व बुधवार को धनुष यज्ञ व रात्रि में मटकोर पूजा व हल्दी का रस्म का आयोजन किया जाएगा. गुरुवार को दिन में तीन बजे बरात निकाली जायेगी, जबकि शाम को परिछावन किया जायेगा.
उसके बाद विवाहोत्सव का आयोजन किया जाएगा. जिसमे राम, लक्ष्मण, शत्रुघ्न व भरत चारों भाई का मंदिर से पूरब उर्विजा कुंड पर शादी समारोह का आयोजन किया जायेगा. मंडप का निर्माण कराया जा रहा है. वहीं शुक्रवार को राम कलेवा जिसको आम लोग भतखइ कहते है और बरात का विदाई का आयोजन किया जायेगा. रामायण के अनुसार जनक की पुत्री सीता धर्मपरायण थीं.
एक दिन जब जनकजी पूजा करने आये तो उन्होंने देखा कि शिव का धनुष एक हाथ में लिए हुए सीता पूजा स्थल की सफाई कर रही हैं. इस दृश्य को देखकर जनकजी आश्चर्यचकित रह गये कि इस अत्यंत भारी धनुष को एक सुकुमारी ने कैसे उठा लिया. उसी समय जनकजी ने तय कर लिया कि सीता का पति वही होगा जो शिव के इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने में सफल होगा. अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार राजा जनक ने धनुष-यज्ञ का आयोजन किया. इस यज्ञ में संपूर्ण संसार के राजा, महाराजा, राज कुमार तथा वीर पुरुषों को आमंत्रित किया गया. समारोह में अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम व लक्ष्मण अपने गुरु विश्वामित्र के साथ उपस्थित हुए. जब धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने की बारी आयी तो किसी भी वीर से प्रत्यंचा तो दूर धनुष हिला तक नहीं. तभी ऋषि विश्वामित्र के आदेश पर श्रीराम धनुष को तोड़ दिया. इस तरह सीता जी ने श्रीराम के गले में माला पहनाया.
उधर, पुनौरा धाम में महंत कौशल किशोर दास ने बताया की यहां बुधवार को मटकोर पूजा सीता जन्म स्थल पर किया जायेगा, वहीं गुरुवार को विवाहोत्सव व विवाह कीर्तन का आयोजन किया जाएगा.

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