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सैलाब के सितम से बदरंग हुई जिंदगी

बाढ़. 23 दिन बाद भी तबाही का दौर जारी, बांध, रेलवे ट्रैक के किनारे व हाइवे बना पीड़ितों का आशियाना सुप्पी में कटाव ने बढ़ायी किसानों की परेशानी बागमती नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि जारी रून्नीसैदपुर के भादाडीह व बैरगनिया के तकिया गांव में टूटे तटबंध की मरम्मत जारी चोरौत में बाढ़ के पानी […]

बाढ़. 23 दिन बाद भी तबाही का दौर जारी, बांध, रेलवे ट्रैक के किनारे व हाइवे बना पीड़ितों का आशियाना

सुप्पी में कटाव ने बढ़ायी किसानों की परेशानी
बागमती नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि जारी
रून्नीसैदपुर के भादाडीह व बैरगनिया के तकिया गांव में टूटे तटबंध की मरम्मत जारी
चोरौत में बाढ़ के पानी में डूब कर किशोर की मौत
सीतामढ़ी : 23 दिन बीत चुके है, लेकिन जिले में नदियों के कहर का दौर थमा नहीं है. रून्नीसैदपुर में जहां अब भी बागमती नदी त्रासदी बन कर लोगों को विस्थापित करने में लगी है, वहीं बैरगनिया में बाढ़ की त्रासदी की तस्वीर अब भी बरकरार है. सुप्पी में बागमती नदी की धारायें लगातार कटाव कर किसानों के फसल समेत जमीन को निगल रहीं है. बेलसंड व बैरगनिया में बागमती नदी की धाराओं में उफान के चलते लोगों में दहशत है. इन सबके बीच जिले की बड़ी आबादी के जिए जिंदगी बोझ बन गयी है.
सैलाब के सितम ने गरीबों की जिंदगी बदरंग कर दी है. बड़ी संख्या में लोग बांध, रेलवे ट्रैक के किनारे व हाइवे पर पनाह लिए हुए है. सबसे बुरा हाल रून्नीसैदपुर का है. यहां के लोग 20 दिनों तक हाइवे पर दिन-रात काटने के बाद शुक्रवार को वापिस अपने घर लौटे हीं थे की, बाढ़ ने एक बार फिर लोगों को हाइवे पर वापस लौटा दिया है. शुक्रवार को भादाडीह में दोबारा बांध टूटने के बाद दर्जनों गांवों बाढ़ का पानी प्रवेश करने के बाद लोगों की परेशानी और बढ़ गयी है. इधर, बथनाहा, सुप्पी, बाजपट्टी व बैरगनिया में बाढ़ से उत्पन्न परेशानी बरकरार है.
रेगिस्तान में बदला बलुआ टोला :
बैरगनिया ़ प्रखंड में आयी विनाशकारी बाढ़ में बांध टूटने के बाद बलुआ टोला रेगिस्तान में बदल गया है. बांध टूटने के सामने बाढ़ में बहकर आयी बालू के कारण गांव में करीब एक से डेढ़ सौ एकड़ में बालू फैल गया है. बालू के कारण दर्जनों घर जहां बालू के ढेर में बदल गया है, वहीं लहलहाती धान की फसलें भी बालू में दबकर बर्बाद हो गई है. हाल ही में बने कई शौचालय भी ध्वस्त हो गए है.
मालूम हो कि शौचालय निर्माण के बाद बलुआ टोला को ओडीएफ घोषित किया गया था. गांव के सुरेंद्र राम, गगनदेव राम, राधे राम, जगन्नाथ राम, चंगेनी राम, संजय राम, अजय राम, मनोज राम, दशरथ राम, हरेंद्र राम, रामचंद्र राम, किशोर राम, गोनौर राम व दिनेश राम का घर पूर्णतः बर्बाद हो गया है. इनका परिवार फिलहाल बांध पर आश्रय लिए हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि घर बर्बाद होने के साथ हीं उनकी फसल समेत खेत भी बर्बाद हो गयी है. बटाईदारी का काम करके लोगों ने खेतों में धान का फसल लगाया था. अब फसल भी बर्बाद है और क्षतिपूर्ति का मुआवजा भी उन्हें नही मिल सकेगा. ऐसे में उनके सामने भूखों मरने के अलावा अब कोई रास्ता नही है. सरकार द्वारा अबतक राहत के नाम एक पैकेट चावल, चुड़ा व चीनी ही मिल सका है. ग्रामीणों ने सरकार से फसल क्षतिपूर्ति का मुआवजा बटाईदारों को भी देने की मांग की है. वहीं ध्वस्त घरों के निर्माण कराये जाने की गुहार भी सरकार से लगायी है.

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