छपरा (सदर) : युवा अधिवक्ताओं में समर्पण की भावना की कमी से उनकी क्षमता में गिरावट हो रही है. इस विश्वास को बनाये रखने के लिए उन्हें कानून की किताबें पढ़ने की ही नहीं बल्कि उसे समझने एवं चिंतन करने की आवश्यकता है. तभी वे सही अर्थ में सही अधिवक्ता बन सकते हैं.
ये बातें शनिवार को छपरा सिविल कोर्ट परिसर में स्व. राधेश्याम सिन्हा अधिवक्ता स्मारक भवन का उद्घाटन करने के बाद सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति शिवक्रीति सिंह ने अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए कहीं. उन्होंने कहा कि नवनिर्मित विधिमंडल भवन सुविधा संपन्न है. ऐसी स्थिति में युवा अधिवक्ता इसका भरपूर लाभ उठाएं. इस अवसर पर पटना उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायधीश इकबाल अहमद अंसारी ने अधिवक्ताओं से कहा कि विधि मंडल जजेज के लिए नर्सरी होती है.
यहीं से सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक ज्ञान से पारंगत होकर अधिवक्ता जज बनते हैं. जज एवं वकील न्यायिक प्रक्रिया की दो आंखें हैं, जिनमें किसी का महत्व कम और अधिक करके नहीं आंका जा सकता. इस अवसर पर अधिवक्ताओं ने छपरा विधि मंडल के स्वर्णिम इतिहास की चर्चा करते हुए देश रत्न डॉ राजेंद्र बाबू का इस विधि मंडल से संबंध होने की चर्चा की तथा इस विधि मंडल की गरिमा को ऊचाइयों पर ले जाने की जरूरत जतायी.