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खुला आश्रय को समाज कल्याण विभाग ने किया बंद
छपरा (सदर) : पांच से 10 वर्ष के गरीब व असहाय बच्चों को बेहतर सुविधा देकर उन्हें स्कूल भेजने का कार्य करने वाले ‘खुला आश्रय’ को समाज कल्याण विभाग ने बंद कर दिया. बंद किये जाने की वजह खुला आश्रय को संचालित करने वाली संस्था द्वारा बच्चों का रख-रखाव बेहतर ढंग से नहीं किया जाना […]
छपरा (सदर) : पांच से 10 वर्ष के गरीब व असहाय बच्चों को बेहतर सुविधा देकर उन्हें स्कूल भेजने का कार्य करने वाले ‘खुला आश्रय’ को समाज कल्याण विभाग ने बंद कर दिया. बंद किये जाने की वजह खुला आश्रय को संचालित करने वाली संस्था द्वारा बच्चों का रख-रखाव बेहतर ढंग से नहीं किया जाना बताया जाता है.
इस संबंध में सारण जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक भास्कर प्रियदर्शी ने विभाग के निदेशक को पत्र भेज कर खुला आश्रय की अनियमितताओं को उजागर किया गया, जिसके बाद विभाग ने यह कार्रवाई की. विभागीय निदेशक के निर्देश के आलोक में खुला आश्रय के बंद होने के बावजूद इसमें रहनेवाले लगभग डेढ़ दर्जन भुले-भटके, बाल मजदूरी करनेवाले, भीख मांगनेवाले या असहाय बच्चों को रखने की व्यवस्था थी. बच्चों को सरकार की देख-रेख में खाने-पीने व रहने की व्यवस्था के साथ-साथ पठन-पाठन की भी सुविधा उपलब्ध करायी गयी थी. इसके लिए कम-से-कम आधा दर्जन कर्मी पदस्थापित थे.
स्वयंसेवी संस्थाओं की कारगुजारियों की खुल रही पोल : सारण जिले में तीन वर्ष पूर्व प्रारंभ खुला आश्रय को उसकी बदतर कार्यशैली को लेकर विभाग ने बंद कर दिया. इसके पूर्व भी वर्ष 2015 में समाज कल्याण विभाग ने सारण जिले में संचालित बालक गृह को बंद कर दिया था, जिसमें 10 से लेकर 18 वर्ष उम्र के अनाथ, भूले-भटके एवं असहाय लड़कों को सरकार की देख-रेख में रखने व उनके खाने पीने तथा पढ़ने लिखने की व्यवस्था की जाती थी.
परंतु उस संस्था पर भी समाज कल्याण विभाग के मानकों के अनुरूप कार्य नहीं करने का आरोप लगा कर उसे बंद कर दिया गया. हालांकि अभी भी संबंधित संस्था ने समाज कल्याण विभाग के फर्नीचर आदि सामग्री को यह कहते हुए नहीं लौटाया है कि पहले विभाग उनका बकाया भुगतान करे, तभी सामान लौटायेंगे. इस संबंध में विभाग ने बालक गृह का पूर्व में संचालन कर रहे एनजीओ को बकाया भुगतान नहीं करने पर उनके विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई के लिए विभाग को लिखे जाने की बात विभागीय सहायक निदेशक ने कही.
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