पानापुर : एक तरफ बिन मां के तीन मासूम बच्चों की परवरिश, तो दूसरी तरफ घर की माली हालत खराब. ऐसे में धीरेंद्र को सूझ ही नहीं रहा कि इन मासूमों के भविष्य संवारने के लिए क्या करे. नियति के क्रूर हाथों ने असमय ही इन मासूमों से मां का प्यार छीन लिया. प्रखंड के कोंध गांव निवासी धीरेंद्र सिंह की 35 वर्षीया पत्नी नीतू सिंह (जो बिहार गृह रक्षा वाहिनी महिला होमगार्ड के रूप में तरैया थाने में पदस्थापित थीं) छह अगस्त, 2015 को खाना बनाते समय गैस सिलिंडर से लगी आग में बुरी तरह झुलस गयीं और पटना में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया.
पत्नी की मौत के बाद पूरी तरह टूट चुका धीरेंद्र के सामने अपने तीन मासूम बच्चों अंजलि, अतुल एवं बादल की परवरिश की चिंता सताने लगी. गरीबी से जूझ रहा धीरेंद्र पत्नी की जगह अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए तीन बार डीएम के जनता दरबार का चक्कर लगाया. यहां तक कि एक बार वह मुख्यमंत्री सचिवालय का भी चक्कर लगाया, लेकिन हर तरफ से उसे आश्वासनों के सिवाय कुछ हासिल नहीं हुआ. यहां तक कि रेफरल अस्पताल, तरैया में दो माह तक जो ड्यूटी की है, उसका भी वेतन अभी तक नहीं मिला है. ऐसे में उसके सामने भुखमरी की समस्या उतपन्न हो गयी है.