नये वित्तीय वर्ष में कांटों भरी होगी थानेदारी
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निर्देश. क्षेत्र में अवैध शराब भट्ठी मिलने पर थानेदारों के खिलाफ होगी प्राथमिकी
नये वित्तीय वर्ष में कांटों भरी होगी थानेदारी बहुत कठिन है डगर पनघट की… यह गीत जिले के थानेदार अभी से ही गुनगुनाने लगे हैं. नये वित्तीय वर्ष में नयी शराब नीति के तहत शराबबंदी लागू होने वाली है. नयी नीति के तहत सभी थानेदारों ने इस आशय का शपथपत्र दिया है कि उनके थाना […]
बहुत कठिन है डगर पनघट की… यह गीत जिले के थानेदार अभी से ही गुनगुनाने लगे हैं. नये वित्तीय वर्ष में नयी शराब नीति के तहत शराबबंदी लागू होने वाली है. नयी नीति के तहत सभी थानेदारों ने इस आशय का शपथपत्र दिया है कि उनके थाना क्षेत्र में सभी अवैध शराब की भट्ठियां बंद करा दी गयी हैं. शपथ पत्र देने के बाद जिस थाना क्षेत्र में अवैध शराब की भठ्ठियां पायी जायेंगी. उनके खिलाफ अपराधिक मुकदमा चलेगा.
छपरा (सारण) : रकार के सख्त आदेश से थानेदारों के हाथ-पांव अभी से ही फूलने लगे हैं और कई थानेदार अभी से ही थानेदारी छोड़ने का बहाना बनाने में जुट गये हैं. अवैध शराब की भट्ठियों को बंद कराने के बाद शपथपत्र देने वाले थानेदार अपने को फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं. हालांकि जिले में बहुसंख्यक अवैध शराब के धंधेबाज एक तरफ धंधा बंद कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ शुरू कर रहे हैं. फिलहाल पुलिस पदाधिकारी सुबह से शाम तक अवैध शराब के ठिकानों को ही ध्वस्त करने में लगे हुए हैं.
कांटों भरा है थानेदारी का ताज : शराब बंदी जैसी महत्वपूर्ण नीति के लागू होने से थानेदारी का ताज कांटों भरा बन गया है. उन पर हमेशा अापराधिक मुकदमे की तलवार लटकी रहेगी. दरअसल थानेदारों ने ही यह शपथ पत्र दाखिल किया है कि उनके थाना क्षेत्र के सभी अवैध शराब की भट्ठियां नष्ट कर दी गयी हैं और अवैध शराब की एक भी दुकान संचालित नहीं है.
संसाधनों व कर्मियों का है घोर अभाव : सरकार के द्वारा लागू की गयी नीतियों को कार्यान्वित करना और नयी व्यवस्था में कार्य करने में संसाधनों की कमी तथा कर्मियों का अभाव बाधा बन सकता है. बढ़ती आबादी के साथ अपराध बढ़ते जा रहे हैं.
अपराधियों की संख्या बढ़ रही है. अपराध करने के तरीके बदल रहे हैं. लेकिन पुलिस पदाधिकारियों की संख्या लगातार कम हो रही है. संसाधनों का घोर अभाव थानों में है. वाहन, दूरभाष, बैरक, आवास, शौचालय तथा बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव से पुलिसकर्मी जूझ रहे हैं. शहरी क्षेत्र की आठ पुलिस चौकी (नाका) एक
दशक से बंद हैं, जिसमें हवलदार तथा सिपाही नहीं हैं. साइबर क्राइम के इस दौर में थानों में टेलीफोन व इंटरनेट की सुविधा नहीं है. अपराधियों के हाथ में एंड्रायड मोबाइल हैं, लेकिन थानेदारों, पुलिस निरीक्षकों के पास साधारण मोबाइल सेट ही हैं. ऐसी परिस्थिति में पुलिस साइबर क्राइम पर कैसे कंट्रोल करेगी. यह प्रश्न बना
हुआ है. पहले से अपराध अनुसंधान
के बोझ से जूझ रहे पुलिस
पदाधिकारियों को दो भागों में बांटे जाने के बाद भी स्थिति में सुधार होने पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है. इसका कारण पुलिस पदाधिकारियों का अभाव होना है. विधि व्यवस्था का नियंत्रण और अपराध अनुसंधान दोनों कार्य महत्वपूर्ण हैं. वर्तमान समय में पुलिस पदाधिकारियों की जो उपलब्धता थाने में है, उसमें एक भी इकाई को पूर्ण बल मिल पाना संभव नहीं है. पुअनि, सअनि तथा हवलदार, सिपाही की सबसे अधिक कमी है.
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