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सांसद का हस्ताक्षर मिला फर्जी
फंसे साढ़े सात करोड़ 13 योजनाओं के लिए डेढ़ करोड़ के प्रस्ताव की 60 फीसदी धनराशि हो चुकी है निर्गत महाराजगंज के पूर्व सांसद उमाशंकर सिंह के दिये गये कार्य प्रस्ताव को जांच में फर्जी करार दिये जाने के बाद अब सांसद निधि का साढ़े सात करोड़ रुपये को लेकर गतिरोध उत्पन्न हो गया है. […]
फंसे साढ़े सात करोड़
13 योजनाओं के लिए डेढ़ करोड़ के प्रस्ताव की 60 फीसदी धनराशि हो चुकी है निर्गत
महाराजगंज के पूर्व सांसद उमाशंकर सिंह के दिये गये कार्य प्रस्ताव को जांच में फर्जी करार दिये जाने के बाद अब सांसद निधि का साढ़े सात करोड़ रुपये को लेकर गतिरोध उत्पन्न हो गया है. साथ ही तत्कालीन सांसद के दिवंगत होने के बाद उनके फर्जी हस्ताक्षर से प्रस्ताव भेजने का मामला साबित होने के बाद अब कार्रवाई के सवाल पर भी विभाग पशोपेश में है.
सीवान : महाराजगंज के तत्कालीन राजद सांसद उमाशंकर सिंह के कथित हस्ताक्षर से 40 कार्यों का प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे विभागीय स्वीकृति मिलने के बाद तकरीबन 13 योजनाओं के डेढ़ करोड़ के प्रस्ताव की 60 फीसदी धनराशि निर्गत कर दी गयी. बाद में जिलाधिकारी को भेजे गये एक शिकायती पत्र में तत्कालीन सांसद के हस्ताक्षर फर्जी होने की बात कही गयी.
शिकायत कर्ता ने कहा कि तत्कालीन सांसद लंबे समय तक बीमार रहे व इसके बाद उनका निधन हो गया. निधन के बाद उनका फर्जी हस्ताक्षर कर विभाग को धोखे में रख कार्य योजना की स्वीकृति दिला दी गयी. शिकायत को संज्ञान में लेकर जिला योजना कार्यालय ने शासन से जांच की संस्तुति की.
पुलिस विभाग की विज्ञान प्रयोगशाला समेत हस्ताक्षर की जांच करनेवाली संबंधित संस्था को भेजा गया. तकरीबन दो वर्ष बाद आयी जांच रिपोर्ट में प्रस्ताव पर किये गये हस्ताक्षर का दिवंगत सांसद के पूर्व के हस्ताक्षर से मेल नहीं खा रहा है. ऐसे में जिला योजना कार्यालय के मुताबिक हस्ताक्षर फर्जी माना गया है.
सांसद निधि के तहत 7.50 करोड़ का भेजा गया था प्रस्ताव
जिस कार्य योजना को जांच में फर्जी करार दिया गया है, उसके प्रस्ताव में 40 कार्यों से संबंधित 7.50 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया था. तत्कालीन सांसद उमाशंकर सिंह के वर्ष 2011-12 के 2.50 करोड़ व वर्ष 2012-13 की पांच करोड़ की सांसद निधि थी, जिसमें सड़क व नाला निर्माण समेत अन्य कई प्रमुख प्रस्ताव शामिल थे.
जानकारों का मानना है कि 13 कार्य योजनाओं के लिए बजट भी जारी कर दिया गया था. इसके लिए लागत की 1.50 करोड़ की धनराशि में से 60 फीसदी बजट पहली किस्त में भुगतान कर दिया गया है.
फर्जी हस्ताक्षर पर कार्रवाई को लेकर पशोपेश बरकरार
जांच में हस्ताक्षर फर्जी पाये जाने के बाद अब कार्रवाई के सवाल पर विभाग मौन है. जिला योजना कार्यालय द्वारा इस संबंध में प्रधान सचिव योजना एवं विकास विभाग बिहार से गाइड लाइन मांगी थी, जिसमें शासन ने फिलहाल बची धनराशि को नोडल कार्यालय छपरा को सौंपने का निर्देश दिया है. इसके मुताबिक यह धनराशि वर्तमान सांसद जर्नादन सिंह सीग्रीवाल की सांसद निधि से जोड़ दी जायेगी व उनके प्रस्ताव पर ही कार्य होंगे. दूसरी तरफ स्वीकृत हो चुके बजट तथा अधूरे कार्य को पूरा कराने के सवाल पर विभाग मौन है.
कार्यदायी संस्था स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन के कार्यपालक अभियंता कहते हैं कि इसका अध्ययन के बाद ही कुछ कह पाऊंगा. अभी यह मामला मेरे संज्ञान में आया है. उधर, जिला योजना पदाधिकारी कन्हैया प्रसाद ने कहा कि विभाग की गाइड लाइन के आधार पर शेष धन राशि को नोडल कार्यालय छपरा के लिए स्थानांतरित किया जा रहा है.
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