छपरा (सदर) : बच्चों के अधिकार के लिए संघर्ष करनेवाले देश के बाल कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी को नोबेल पुरस्कार गत वर्ष मिला. परंतु, यहां तो बच्चों के अधिकारों का हनन करने से पदाधिकारी जरा भी नहीं कतराते. इसकी वजह से भवन निर्माण विभाग की कारगुजारी व जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण जिला स्कूल पर्यवेक्षण गृह तथा बाल गृह के कम-से-कम आठ दर्जन बच्चे किराये के अनुपयुक्त कमरों में रहने को विवश हैं.
ऐसी स्थिति में उनके बालपन में मिलनेवाली बुनियादी जरूरतों का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. अंतत: सात वर्षों के बाद इन बच्चों के लिए बेहतर आवास निर्माण के लिए मिली 45 लाख रुपये की राशि चयनित स्थल उपयुक्त नहीं होने का बहाना बना कर लौटा दिया गया. आखिर आठ वर्षों तक संबंधित पदाधिकारियों ने बच्चों की बुनियादी जरूरत से संबंधित सुविधा का हनन किया, जो निश्चित तौर पर उन्हें बाल अधिकार से वंचित करता है.