छपरा (सदर) : सरकार द्वारा सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में पढ़नेवाले बच्चों को नि:शुल्क पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने की एमडीएम की योजना में बंदरबांट जारी है. जिला एमडीएम के प्रभारी डीपीओ के सारे प्रयासों के बावजूद इस योजना के क्रियान्वयन से जुड़े प्रखंड स्तर के पदाधिकारियों व 80 फीसदी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों के द्वारा बच्चों को मिलनेवाले लाभ को डकारने में किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाती है.
कमोबेश राजनीतिक आकाओं से जुड़े अधिकतर प्रखंड स्तर के प्रखंड संसाधनसेवी तथा प्रधानाध्यापकों द्वारा योजना के कार्यान्वयन में मनमानी बरती जा रही है. हालांकि, समय-समय पर जिला स्तर एवं राज्य स्तर के पदाधिकारियों के द्वारा निरीक्षण में अनियमितताएं पाये जाने के बावजूद योजनाओं की राशि की बंदरबांट करने में कमी नहीं आ रही है.
चावल नहीं होने या अन्य बहाने से एमडीएम ठप विभागीय जानकारी के अनुसार, चावल नहीं होने तथा विधानसभा चुनाव के कारण 40 से 45 फीसदी विद्यालयों में एमडीएम का संचालन प्रधानाध्यापक नहीं कर रहे हैं. वहीं, कई प्रखंडों में प्रखंड संसाधनसेवियों की मिलीभगत से भी एमडीएम का संचालन नहीं किया जा रहा है.
इसे लेकर बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों में आक्रोश है. कमोबेश इसी का नतीजा शनिवार को अमनौर प्रखंड के प्रारंभिक विद्यालयों के बच्चों एवं अभिभावकों द्वारा हंगामा करना बताया जाता है. यही नहीं, जिस गंडामन में विषाक्त एमडीएम खाने से 23 बच्चों की मौत हो गयी थी, वहां भी विद्यालय में एमडीएम ठप होने पर अभिभावकों ने सितंबर में हंगामा किया.
जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला एमडीएम प्रभारी तथा अन्य प्रशासनिक पदाधिकारियों ने पहुंच कर अभिभावकों को समझा-बुझा कर पटरी पर लाया. यदि जिला प्रशासन ने समय रहते एमडीएमएस के संचालन में अनियमितता बरतनेवाले प्रखंड स्तर के कुछ पदाधिकारियों एवं प्रधानाध्यापकों पर लगाम नहीं लगायी, तो निश्चित तौर पर विभिन्न विद्यालयों हंगामा तय है.
इसका खामियाजा निश्चित तौर पर सरकार व जिला प्रशासन को भुगतना पड़ता है. 2505 विद्यालयों को प्रति माह 65 से 70 लाख की राशि मिलती है इस मद में जिले में संचालित 2505 विद्यालयों को आठ लाख बच्चों को मीनू के अनुसार एमडीएम उपलब्ध कराने के लिए प्रतिमाह 65 से 70 लाख रुपये उपलब्ध कराये गये हैं.
गत सप्ताह ही इन सभी विद्यालयों को नि:शुल्क मिलनेवाले चावल के अलावा अन्य खाद्य सामग्री व एमडीएम तैयार करने के लिए दाल, हल्दी, नमक आदि खरीद के लिए एक कड़ोर, 96 लाख रुपये भेजे गये हैं, जिससे अक्तूबर से दिसंबर तक एमडीएम का संचालन करना है. परंतु, अक्तूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव एवं पर्व त्योहारों के कारण अधिकतर विद्यालय बंद रहे हैं.
वहीं, कुछ दिन जो विद्यालय खुले भी, तो 80 फीसदी प्रधानाध्यापकों ने चावल नहीं रहने या अन्य बहाना बना कर एमडीएम का संचालन ठप रखा है. इससे निश्चित तौर पर इन विद्यालयों में पढ़नेवाले लगभग आठ लाख पांच हजार बच्चों में से ज्यादातर बच्चों को अनियमित एमडीएम संचालन का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. वरीय पदाधिकारियों को गलत रिपोर्ट देने से भी नहीं कतरातेसितंबर से दाल की कीमत बढ़ने के बाद से अधिकतर विद्यालयों के प्रधानों ने एमडीएम का संचालन दाल महंगा होने व चावल नहीं होने का बहाना बना कर एमडीएम ठप कर दिया है.
विधानसभा चुनाव के दौरान प्रशासनिक व्यस्तता के बावजूद जिला एमडीएम प्रभारी अवधेश बिहारी द्वारा विद्यालयों का निरीक्षण करने के दौरान कई अनियमितताएं पकड़ी गयी. वहीं, उन प्रधानाध्यापकों से जवाब तलब व अन्य विभागीय प्रक्रिया की बात भी एकमा, गड़खा, सदर, परसा, बनियापुर, मशरक आदि प्रखंडों के विद्यालयों में पकड़ी गयी थी.
जांच के दौरान कई अनियमित रिपोर्ट देने की बात भी सामने आयी थी. एक से पांच तक बच्चों के लिए चावल के लिए 3.77 रुपये तथा छह से आठ तक के बच्चों के लिए 5.65 रुपये प्रति बच्चा प्रतिदिन राशि उपलब्ध कराती है सरकार. -आइवीआरएस में भोजन नहीं बनने के बावजूद बनने की गलत सूचना -बच्चों की वास्तविक उपस्थिति से 50 से 100 फीसदी तक झूठी हाजिरी बनाना -भोजन की गुणवत्ता यथा दाल, सब्जी आदि में कटौती करना -झूठी हाजिरी की बदौलत बचनेवाले चावल को बेचना कई प्रखंड संसाधनसेवियों की कारगुजारियां चर्चा में एमडीएम के बेहतर संचालन के लिए विभिन्न प्रखंडों मेें प्रखंड संसाधन सेवी तैनात किये गये हैं.
परंतु, अधिकतर प्रखंड संसाधनसेवी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण एवं नियमित एमडीएम उपलब्ध कराने के बदले अपने व्यक्तिगत लाभ में व्यस्त रहते हैं. ऐसी स्थिति में प्रतिमाह इन्हें निश्चित राशि यथा 500 से 1000 रुपये नजराना उपलब्ध कराने की वजह से वे भी गलत रिपोर्ट देने से नहीं कतराते. वहीं, कुछ प्रखंड संसाधनसेवियों के बदले उनके परिजन ही उनके दायित्वों का निर्वहन करते हैं.
कई विद्यालयों में एमडीएम संचालन के लिए तैनात रसोइये एमडीएम नहीं बनने के कारण ऐसे विद्यालयों में आकर बेकार बैठने व पुन: घर लौटने को विवश हो रहे हैं. विभिन्न विद्यालयों में जांच के दौरान अनियमिता बरतनेवाले प्रधानाध्यापकों से जवाब तलब व अन्य कार्रवाई की गयी है. वहीं, 10 से 15 फीसदी वैसे विद्यालय, जो चावल नहीं होने की बात कह कर एमडीएम ठप किये हुए हैं, उन्हें आगामी सोमवार, मंगल तक चावल उपलब्ध करा कर एमडीएम पुन: शुरू करा दिया जायेगा.
आम जन एमडीएम संचालन में होनेवाली अनियमितता की जानकारी जिला एमडीएम कार्यालय को उपलब्ध कराएं. एमडीएम में अनियमितता बरतनेवाले को किसी भी स्थिति में नहीं बख्शा जायेगा. अवधेश बिहारीडीपीओ, एमडीएमएस, सारण