छपरा, सदरः मौसम की बेरुखी के बावजूद देर से ही सही, जिले में निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध 94 फीसदी धान की रोपनी की सूचना है. हालांकि अगस्त में अनुमानित बारिश 291.4 मिली मीटर के बजाय 19 अगस्त तक 73 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो अनुमानित बारिश के 25 फीसदी के बराबर है. वहीं, अगस्त में धान की रोपनी के लिए निर्धारित लक्ष्य के 72 फीसदी रोपनी का दावा कृषि विभाग कर रहा है. डीएओ की मानें, तो जुलाई तक महज 22 फीसदी रोपनी हुई थी. वहीं, अगस्त में अब तक 94 फीसदी रोपनी हो चुकी है.
इसके पीछे जिला कृषि पदाधिकारी डॉ वेदनारायण सिंह का तर्क है कि अगस्त में हल्की बारिश के बीच नदियों में उफान के कारण नहरों में पानी आने तथा निजी नलकूपों का उपयोग कर किसानों ने काफी तेजी से खेतों में रोपनी की है. हालांकि, उन्होंने माना की इस भीषण महंगाई में किसानों को धान की रोपनी में लागत काफी ज्यादा आयी है. यह पूछे जाने पर की धान की रोपनी के लिए उपयुक्त समय कौन माह होता है, इस संबंध में उनका जवाब था कि धान की रोपनी के लिए उपयुक्त समय जुलाई ही होता है. बावजूद जिले के किसानों ने अपने भविष्य व मौसम की भावी उम्मीद पर ही धान की रोपनी काफी तेजी से की है.
हालांकि अब भी जिले में 86 हजार हेक्टेयर के बदले 78 हजार हेक्टेयर में रोपनी का दावा कृषि विभाग कर रहा है. हालांकि कृषि विभाग के दावे व धरातल पर हुई वास्तविक रोपनी को लेकर भी चर्चाएं हैं.
शीघ्र मुरझाने लगती है फसल
सारण जिले में बारिश की स्थिति इतनी खराब है कि एक-दो दिनों की धूप में ही धान या अन्य फसलें मुरझाने लगती हैं. यही नहीं, विभिन्न खेतों में पानी के अभाव में दरारें पड़ रही हैं, मिट्टी उजली पड़ रही है तथा तेजी से घास बढ़ रही है. ऐसी स्थिति में एक तो धान की फसल को बचाने के लिए नियमित सिंचाई तथा दूसरे खेतों में पानी नहीं होने के कारण बढ़ रही घास की सोहनी मुश्किल व खर्चीली हो गयी है.