* उदासीनता व संसाधन की कमी का दंश झेल रहा खाद्य सुरक्षा विभाग
छपरा (सदर) : मशरक प्रखंड के नवसृजित प्राथमिक विद्यालय, गंडामन में 16 जुलाई को विषाक्त भोजन खाने से 23 बच्चों की मौत तथा रसोइया समेत 25 के पीड़ित होने के बाद सरकारी महकमा खाद्य सुरक्षा को लेकर काफी परेशान है.
मालूम हो कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के नियम 11 के तहत विभागीय पदाधिकारियों ने कच्चे चावल व सब्जी का नमूना कोलकाता के निजी लैब में भेजा. उधर, सीवान, गोपालगंज के चापाकल में जहरीला पदार्थ के जांच के लिए झारखंड के धनबाद में स्थित लेबोरेटरी में भेजा.
वहीं, सोमवार को सारण जिले के खैरा स्थित चापाकल में भी जहरीला पदार्थ मिलने की बात आयी है. परंतु, धनबाद स्थित सरकारी लेबोरेटरी द्वारा रसायन के अभाव में जांच से इनकार कर देने व राज्य सरकार के पटना स्थित लेबोरेटरी के अनुपयोगी होने के बाद विभागीय पदाधिकारी व प्रशासनिक पदाधिकारी परेशान हैं. परंतु, पूर्व में इस दिशा में किसी ने सोचने की जरूरत नहीं समझी. फलत: पूरे प्रमंडल में पंगु बना खाद्य सुरक्षा विभाग पर मिलावट कर लोगों के जान से खिलवाड़ करनेवाले हावी रहे.
* सरकारी विभाग भी उदासीन
खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत खाद्य सामग्री का भंडारण करनेवाले, निर्माण करनेवाले निजी व सरकारी प्रतिष्ठानों को खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत लाइसेंस लेना है. यही नहीं, खाद्य सुरक्षा विभाग के पदाधिकारियों को सरकारी गोदामों के साथ–साथ निजी गोदामों की भी जांच करनी है. परंतु, पदाधिकारी के अभाव में पूरे प्रमंडल में जांच का काम नगण्य है. वहीं विभागीय भंडारण करनेवाली सरकारी एजेंसियां भी अभिहीत पदाधिकारी के पत्रचार के बावजूद लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं समझती.
* एक खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी
विभागीय नियमानुसार, प्रत्येक 50 हजार की आबादी पर एक खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी की तैनाती करनी है. परंतु, पदाधिकारियों की कमी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सारण, सीवान व गोपालगंज में एक ही खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी तैनात हैं. वहीं, प्रमंडल स्तर पर पदस्थापित अभिहीत पदाधिकारी के कार्यालय में न तो एक लिपिक है और न आदेशपाल. ऐसी स्थिति में व्यावसायिक संस्थानों के पंजीयन व लाइसेंस कार्य के निष्पादन में परेशानी का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.
* नहीं कराते हैं पंजीयन
नियमानुसार, सभी सरकारी–गैरसरकारी संस्थानें, जो खाद्यान्न का भंडारण व बिक्री करती हैं को लाइसेंस लेना है. परंतु, सारण प्रमंडल के महज 352 व्यवसायियों ने खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम के तहत लाइसेंस लिया है.
वहीं, दो हजार व्यवसायियों ने जून तक रजिस्ट्रेशन कराया है. नियमानुसार एक वर्ष में 12 लाख से कम का टर्न ओवर करनेवाले व्यवसायियों को प्रतिवर्ष 100 रुपये शुल्क के आधार पर पंजीयन कराना है. जबकि, 12 लाख से ज्यादा टर्न ओवरवाले व्यवसायियों को दो हजार रुपये प्रति वर्ष के हिसाब से लाइसेंस फी देनी है. परंतु, व्यवसायी एक साजिश के तहत कम टर्न ओवर दिखा कर पंजीयन नहीं कराते हैं. डेढ़ वर्ष पूर्व लागू इस अधिनियम के तहत मशरक प्रखंड के महज तीन व्यवसायियों में ही खाद्य सुरक्षा का लाइसेंस लिया है.
* पदाधिकारियों के अभाव में पूरे प्रमंडल में जांच का काम नगण्य
* प्रमंडल में महज 352 लाइसेंसी व दो हजार पंजीकृत व्यवसायी
* एफसीआइ, एसएफसी, विद्यालय व पीडीसी दुकानदार के साथ–साथ व्यवसायी लाइसेंस लेने के प्रति उदासीन
* खाद्य सुरक्षा मानकों का अनुपालन नहीं होना बड़े हादसे को दावत
* पदाधिकारियों व कर्मचारियों की कमी के कारण खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 के नियम 11 के तहत सरकारी व निजी खाद्य सामग्री भंडारण करनेवालों के यहां जांच नहीं हो पाती है. वहीं, व्यवसायियों द्वारा एक साजिश के तहत या तो पंजीयन या लाइसेंस नहीं लिया जा रहा है या भारी टर्न ओवर के बावजूद कम टर्न ओवर दिखा कर पंजीयन कराया जा रहा है.
मोहन झा, प्रमंडलीय अभिहीत पदाधिकारी, सारण