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नये अध्यक्ष व प्रबंधक के बीच समन्वय के अभाव में कार्य बाधित

छपरा (सदर) : गत वर्ष दिसंबर के अंतिम सप्ताह में बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकार के निर्देशानुसार जिले के विभिन्न 289 पैक्सों में संपन्न चुनाव के बाद 20 से 25 फीसदी पैक्सों में नये पैक्स अध्यक्ष व कार्यकारिणी जीत कर आयी है. ऐसी स्थिति में जिन पैक्सों में नये अध्यक्ष व कार्यकारिणी आयी है. वहां पूर्व […]

छपरा (सदर) : गत वर्ष दिसंबर के अंतिम सप्ताह में बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकार के निर्देशानुसार जिले के विभिन्न 289 पैक्सों में संपन्न चुनाव के बाद 20 से 25 फीसदी पैक्सों में नये पैक्स अध्यक्ष व कार्यकारिणी जीत कर आयी है. ऐसी स्थिति में जिन पैक्सों में नये अध्यक्ष व कार्यकारिणी आयी है. वहां पूर्व से नियोजित पैक्स प्रबंधक व नये अध्यक्ष व कार्यकारिणी के बीच समनवय के अभाव में कार्य प्रभावित हो रहा है.

यहीं नहीं इसे लेकर 95 फिसदी पैक्सों के नवनिर्वाचित अध्यक्षों का पूर्व के कार्यकारिणी की ओर से नियोजित पैक्स प्रबंधकों के असहयोगात्मक रवैये व पूर्व के पैक्स अध्यक्षों के इशारे पर कार्य कर पैक्स के निर्वाचन के उद्देश्य को प्रभावित करने के प्रयास की शिकायत की जा रही है, जिसे लेकर जिला सहकारिता पदाधिकारी या अन्य प्रखंड स्तर के मातहत पदाधिकारी परेशान है.
वहीं इस संबंध में जिला सहकारिता पदाधिकारी, सहकारिता विभाग के राज्य स्तर के पदाधिकारियों से मार्गदर्शन मांगने की तैयारी में है, जिससे नवनिर्वाचित सदस्यों व पूर्व कार्यकारिणी की ओर से नियोजित प्रबंधकों के बीच समन्वय स्थापित होकर पैक्स के उद्देश्य को पाया जा सके.
289 पैक्स अध्यक्ष की 15 फीसदी सीटों पर ही महिलाएं हुईं निर्वाचित
सहकारिता विभाग द्वारा बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकार के निर्देशानुसार कराये जा रहे पैक्स आम चुनाव में कार्यकारिणी के 11 सदस्यों में से पुरुष व महिला या अन्य जातियों के लिए आरक्षण की सीमा निर्धारित कर दी गयी है.
परंतु, अध्यक्ष के एकल पद पर आरक्षण नहीं है. ऐसी स्थिति में जिले के 20 प्रखंडों के जिन 289 पैक्सों में चुनाव हुआ उनमें महज 15 फीसदी अर्थात 43 महिलाएं ही अध्यक्ष पद पर विजयी हो पायी. वहीं जिले में कुल 43 पैक्स अध्यक्ष निर्विरोध चुने गये. इनमें नौ महिलाएं शामिल हैं.
जबकि चुनाव लड़के विजयी होने वालों में 212 पुरुष व 34 महिला पैक्स अध्यक्ष शामिल है. जो निश्चित तौर पर आरक्षण नहीं होने के कारण अध्यक्ष पद पर 85 फीसदी पुरुषों के विजयी होने के कारण पुरुषों का दबदबा पैक्सों में होने की स्थिति को दर्शाता है. जो महिलाएं पैक्स अध्यक्ष में विजयी हुई है. निश्चित तौर पर गत 2014 में पैक्स चुनाव से 50 फीसदी ज्यादा महिलाएं शामिल है.
जिले में कोरम के अभाव, निर्धारित शुल्क जमा नहीं होने के कारण 34 पैक्सों में नहीं हो सका चुनाव
बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकार के निर्देशानुसार हो रहे सामान्य पैक्स चुनाव में जिले के कुल 323 पैक्सों में से दो पैक्स का कार्यकाल उप चुनाव की वजह से मार्च में पूरा होने, चुनाव के दौरान इसुआपुर के एक, मांझी के तीन, तरैया, मशरक के एक-एक समेत कुल छह पैक्सों में कोरम के अभाव समेत 34 पैक्सों में चुनाव नहीं हो पाया है.
इन पैक्सों के संबंध में विभाग ने जिला सहकारिता पदाधिकारी से ब्योरा मांगकर मार्च तक चुनाव कराने के संकेत भी दिये है. जिले में लगभग 24 पैक्सों द्वारा बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकार के निर्देशानुसार प्रति बूथ पांच हजार रुपये शुल्क जमा नहीं करने के कारण चुनाव नहीं कराया गया. साथ ही इन पैक्सों को सुपरसीड करते हुए विभाग ने संबंधित प्रखंड के प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी को प्रशासक बहाल कर दिया है.
क्या कहते हैं डीसीओ
पैक्स चुनाव के दौरान जिन 20 से 25 फीसदी पैक्सों में नये अध्यक्ष व कार्यकारिणी विजयी होकर आयी है. वहां पूर्व से नियोजित पैक्स प्रबंधकों के नये निर्वाचित कार्यकारिणी को सहयोग नहीं करने के लगातार आरोप आ रहे है.
निश्चित तौर पर नयी कार्यकारिणी व पैक्स प्रबंधक के बीच अपने अधिकार व कर्तव्य के बीच समन्वय स्थापित कर पैक्स के उद्देश्य को प्राप्त करना चाहिए . जितने भी नवनिर्वाचित अध्यक्ष व कार्यकारिणी की शिकायतें मिली है उसे लेकर राज्य मुख्यालय से मार्गदर्शन मांगा जा रहा है.नेसार अहमद, डीसीओ, सारण

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