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मानसिक रोगियों से भेदभाव उनके विकास में बन रहा बाधा

छपरा : समाज में मानसिक रोगियों के साथ भेदभाव करना उनके विकास में बाधक साबित हो रही है. मानसिक बीमारियों से ग्रसित मरीजों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए, बल्कि उनके साथ अच्छे से बातचीत करनी चाहिए. उक्त बातें सिविल सर्जन माधवेश्वर झा ने सदर अस्पताल के ओपीडी परिसर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य दिवस […]

छपरा : समाज में मानसिक रोगियों के साथ भेदभाव करना उनके विकास में बाधक साबित हो रही है. मानसिक बीमारियों से ग्रसित मरीजों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए, बल्कि उनके साथ अच्छे से बातचीत करनी चाहिए.

उक्त बातें सिविल सर्जन माधवेश्वर झा ने सदर अस्पताल के ओपीडी परिसर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य दिवस कार्यक्रम के दौरान कहीं. सिविल सर्जन ने कहा बहुत से लोग जो मानसिक बीमारी को समझते नहीं हैं, वह इससे पीड़ित लोगों से भयभीत हो जाते हैं.
आम तौर पर इस बारे मैं लोगों की समझ मास मीडिया पर ही आधारित होती है. अक्सर आमजन में यह धारणा बनी रहती है कि मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्ति अजीब और मंदबुद्धि वाले होते हैं. यह गलत और अनुचित वर्णन एक ऐसी सोच को बढ़ावा देते हैं, जो समाज में मानसिक बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों और उनके परिवारों की अस्वीकृति और उपेक्षा का कारण है.
मानसिक रोग से बचने के लिए जरूर है कि ज्यादा से ज्यादा दोस्तों एवं परिवार के साथ समय व्यतीत करें. ऐसी परिस्थिति में चिकित्सक की सलाह जरूर लें. मानसिक कष्ट व तनावों से ज्यादा से ज्यादा बचाव करें. इस अवसर पर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ दीपक कुमार, एनसीडी नोडल ऑफिसर डॉ अमरेंद्र सिन्हा, अस्पताल प्रबंधक राजेश्वर प्रसाद, लेखापाल बंटी कुमार रजक समेत अन्य चिकित्साकर्मी मौजूद थे.
मरीजों को किया गया जागरूक : सदर अस्पताल में मौजूद मरीज व उनके परिजनों के मानसिक रोग के कारण एवं उनके बचाव के बारे में जानकारी दी गयी. लोगों को बताया गया कि यदि घर में कोई व्यक्ति चुप-चुप रहता है, परेशान या अवसाद से ग्रसित है, तो समस्याओं से बाहर निकालकर आत्महत्या जैसी प्रवृत्ति से बाहर निकाला जा सकता है.
अगर कोई व्यक्ति किसी बात को लेकर बहुत परेशान है, तो उससे संवाद स्थापित कर उचित समाधान ढूंढ़ने की कोशिश करनी चाहिए.
छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज करना जरूरी : छोटी-छोटी बातों को इग्नोर करना सीखें. किसी की बात बुरी लगे, तो उस बात को लेकर नहीं बैठें. बल्कि बात करके उसे समाप्त कर दें, क्योंकि कई बार ऐसी बातें अवसाद का कारण बनती हैं.
ऐसी परिस्थितियों में आत्महत्या के विचार से बचना जरूरी है. पारिवारिक झगड़े और बेरोजगारी जैसी समस्या प्रत्येक इंसान के जीवन में आती है, ऐसी समस्याओं का निदान खुद को समाप्त कर नहीं हो सकता है. इसलिए जीवन की समस्याओं से डर कर भागने से बेहतर है उनका दृढ़ता से सामना किया जाये.
नेत्रदान शिविर का हुआ आयोजन : सदर अस्पताल में अंतरराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य दिवस कार्यक्रम के अवसर पर नेत्रदान शिविर भी लगाया गया जिसमें इच्छुक लोगों ने नेत्रदान के लिए आवेदन पत्र भरकर जमा किया. नेत्रदान करने वाले युवक-युवतियों ने कहा, जीवन भर अपनी आंखों से देखने के बाद वैसे लोगों को रोशनी प्रदान करने का यह अभियान है, जिन्हें ईश्वर ने आंख नहीं दी है या किन्हीं कारणों से उनकी आंखें खराब हो चुकी हैं.
इन परेशानियों को न करें नजर अंदाज
हमेशा दुखी, तनावग्रस्त, खालीपन, निराश महसूस करना
अपराध बोध से ग्रसित होना और स्वयं को नाकाबिल समझना
आत्महत्या का विचार आना, लगातार चिड़चिड़ापन
स्फूर्ति में कमी और थकान महसूस करना
सेक्स के प्रति अनिच्‍छा, भूख कम या अधिक लगना
किसी से बात करने का मन न होना और अकले रहने की इच्‍छा
एकाग्रता और याददाश्त में कमी, निर्णय लेने में परेशानी
अकारण सिरदर्द, पाचन में कमी और शरीर में दर्द

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