छपरा (सदर) : महाराजगंज संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव के बाद दूसरे दिन सारण जिला ही नहीं, पूरे प्रमंडल में इस चुनाव के परिणाम को लेकर हर कोई यह जानने के लिए व्यग्र दिखा. पूरे दिन पांच जून को होनेवाली मतगणना के परिणाम पर परिचर्चा रही कि आखिर इस क्षेत्र के लोकतंत्र के महापर्व में किसके माथे ‘महाराज’ का सेहरा बंधेगा, किसे रनर की भूमिका निभानी होगी व किसकी जमानत जब्त होगी.
इस उपचुनाव में कुल 47 फीसदी मतदान हुआ है. कुल छह उम्मीदवार चुनावी समर में हैं. परंतु, मुख्य मुकाबला जदयू-राजद के बीच है. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी त्रिकोणात्मक संघर्ष में जीत का दावा कर रहे हैं. वहीं, तीन अन्य उम्मीदवार, जिनमें भारतीय एकता दल के उम्मीदवार के अलावा दो अन्य निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं. इवीएम में इन सभी उम्मीदवारों के भाग्य बंद होने के बाद दूसरे दिन उम्मीदवारों से लेकर समर्थकों में भी हार-जीत व मतदान को लेकर मंथन चला था.
गत चुनाव में 11 की जमानत हुई थी जब्त
गत लोकसभा चुनाव 2009 में कुल 13 लाख, 10 हजार, 358 मतदाताओं में से पांच लाख, 99 हजार, 529 मतदाताओं ने सभी 13 प्रत्याशियों को मतदान किया था. इसमें विजयी राजद प्रत्याशी उमाशंकर सिंह को दो लाख, 11 हजार, 610, जदयू प्रत्याशी प्रभुनाथ सिंह को दो लाख, आठ हजार, 813 मत मिले थे. कांग्रेस उम्मीदवार तारकेश्वर सिंह ने 80 हजार, 162 मत पाये थे.
शेष 10 उम्मीदवारों ने लगभग एक लाख मत प्राप्त किया. इस प्रकार चुनाव आयोग के नियमानुसार कुल मतदान के छठे भाग से कम मत पानेवाले उम्मीदवार की जमानत नियमानुसार जब्त कर ली जाती है. इस चुनाव में भी छह उम्मीदवारों में अधिकतर की जमानत जब्त होने की चर्चाएं आम हैं.
हालांकि इस बार पर राष्ट्रीय स्तर की पार्टी कांग्रेस ने अपनी पार्टी के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद में राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से आनेवाले तेज तर्रार युवा नेता जितेंद्र स्वामी को अपना उम्मीदवार बनाया है. चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय स्तर के आधा दर्जन स्टार प्रचारकों ने भी धुआंधार प्रचार किया है.
ऐसी स्थिति में गत चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी तारकेश्वर सिंह प्राप्त मतों से काफी बेहतर प्रदर्शन कर इस पुरानी सीट पर कब्जा जमाने की कोशिश की गयी है, अब देखना है कि राष्ट्रीय स्तर की इस पार्टी के उम्मीदवार अपने आलाकमान की उम्मीदों पर कितने खरा उतरते हैं. उधर जदयू के पीके शाही व राजद के प्रभुनाथ सिंह के समर्थकों के बीच अपनी-अपनी जीत को लेकर कहीं डंके की चोट पर, तो कहीं खामोश दिल से चर्चाएं जारी रहीं.