जलालपुर : लोक मन के विरह को अपने रचनाओं से जीवंत बनाने में पंडित महेंद्र मिश्र का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता. पंडित मिश्र ने अपनी ज्वलंत रचनाओं से न सिर्फ जनमानस की चेतना जगायी, बल्कि पूर्वी गीतों के माध्यम से तत्कालीन नारी समाज की वेदना को एक नया स्वर देने का प्रयास किया.उनकी रचनायें आज भी प्रासंगिक हैं.
उक्त बातें जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो हरिकेश सिंह ने महेंद्र मिश्र जयंती समारोह के उपलक्ष्य में मिश्रवलिया में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं. उन्होंने कहा कि अगर देश में इन्कलाब जिंदाबाद का नारा शाश्वत है तो महेंद्र मिश्र द्वारा गाये गीत हंसी-हंसी पनवा खियवले गोपिचनवा भी इस देश में शाश्वत है. उन्होंने कहा कि भोजपुरी साहित्य के साथ भोजपुरी भाषा में अगर कविवर महेंद्र मिश्र का नाम न आये तो यह भोजपुरी भाषा और भोजपुरी समाज के साथ अन्याय होगा. समारोह में एडीएम अरुण कुमार, एसडीओ चेतनारायण राय, प्रो केके द्विवेदी, डीसीएलआर संजीव कुमार,
स्थानीय बीडीओ राजेश भूषण, सीओ इंद्रवंश राय, बीईओ ललन महतो माधोपुर डॉ लालबाबू यादव, विवेकानंद तिवारी आदि ने अपने विचार व्यक्त किये. अतिथियों ने पं मिश्र की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी. कार्यक्रम में पूर्व मुखिया कन्हैया सिंह तूफानी, समाजसेवी विवेकानंद तिवारी जेपी सेनानी ललन देव तिवारी, युवा नेता प्रमोद सीग्रीवाल, जागा सिंह, पूर्व मुखिया काली कुमार, नीतीश पांडेय स्थानीय जनप्रतिनिधि व आम लोग भी मौजूद रहे. इसके पूर्व पूर्वी धून के माध्यम से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित महेंद्र मिश्र की 132वी जयंती के अवसर पर शुक्रवार को उनके पैतृक गांव जलालपुर चौक स्थित उनके आदमकद प्रतिमा पर राजकीय सम्मान के साथ माल्यार्पण कर उनको याद किया गया.