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पीएचसी की शिफ्टिंग को लेकर गतिरोध बरकरार

कुव्यवस्था . पीएचसी के बाहर हो रहा है धरना, अंदर हो रही है शिफ्टिंग की तैयारी सीएस के मौखिक आदेश के बाद पीएचसी को ब्लॉक स्थित सीएचसी के बिल्डिंग में शिफ्ट करने की हो रही है तैयारी बाढ़ के कारण 22 अगस्त, 2016 को बाजार के पीएचसी में शिफ्ट हुआ था सीएचसी दिघवारा : मुख्य […]

कुव्यवस्था . पीएचसी के बाहर हो रहा है धरना, अंदर हो रही है शिफ्टिंग की तैयारी

सीएस के मौखिक आदेश के बाद पीएचसी को ब्लॉक स्थित सीएचसी के बिल्डिंग में शिफ्ट करने की हो रही है तैयारी
बाढ़ के कारण 22 अगस्त, 2016 को बाजार के पीएचसी में शिफ्ट हुआ था सीएचसी
दिघवारा : मुख्य बाजार में संचालित हो रहा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, दिघवारा पिछले कई दिनों से एक बार फिर सुर्खियों में है. बाजार में पीएचसी के संचालन को लेकर कई सवाल तैर रहे हैं. पीएचसी बाजार में ही संचालित होगा या इसे सीएचसी की नयी बिल्डिंग में शिफ्ट किया जायेगा आदि कई सवाल लोगों की जुबान पर हैं.
एक तरह जहां पीएचसी के शिफ्ट करने की सूचना पर बीते बुधवार से पीएचसी संघर्ष समिति ने अनिल कुमार सिंह के नेतृत्व में एक बार फिर आंदोलन को तेज कर बाजार में ही पीएचसी के चलने की अपनी पुरानी मांग को बुलंद करना शुरू कर दिया है. सोमवार को भी संघर्ष समिति के सदस्यों ने अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर धरना दिया.
वहीं दूसरी तरफ पीएचसी प्रबंधन अंदर ही अंदर पीएचसी को सीएचसी के नये भवन में शिफ्ट करने की तैयारी में जुटा है. बहरहाल अंतिम तौर पर क्या होगा, इसका सभी को इंतजार है, मगर बहुसंख्यक लोगों का कहना है कि पीएचसी को बाजार में ही संचालित होने की अनुमति विभाग दे तो सबों के लिए बेहतर होगा, क्योंकि सीएचसी जिस जगह पर अवस्थित है वह आवागमन व सुरक्षा के दृष्टिकोण से अच्छा नहीं है.
क्या कहते हैं पीएचसी के प्रभारी
नवनियुक्त सीएस ने मौखिक आदेश देते हुए बाजार के पीएचसी को सीएचसी में शिफ्ट करने की बात कही है. पूर्व में जिला पर्षद के जिला अभियंता भी एक सप्ताह में पीएचसी परिसर को खाली करने का आदेश दे चुके हैं. पदाधिकारियों के आदेश के आलोक में कई वरीय पदाधिकारियों को पत्र लिखकर खाली करने के वक़्त पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध करने की मांग की गयी है.
डॉ रोशन कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी
कई बार बनी शिफ्टिंग की स्थिति,मगर अब भी कायम है पूर्ववत स्थिति
पीएचसी दिघवारा का जब उत्क्रमण हुआ तो लगभग एक करोड़ की अधिक की राशि से ब्लॉक परिसर में सीएचसी का नयी बिल्डिंग बनी, फिर 1 जुलाई, 2015 को पीएचसी, सीएचसी की नयी बिल्डिंग में शिफ्ट कर गया और बाजार का पीएचसी खाली हो गया जिसे जिला पर्षद ने अपने कब्जे में ले लिया. फिर जब 22 अगस्त, 2016 को पूरा प्रखंड बाढ़ की चपेट में आया तो आनन-फानन में सीएचसी को खाली कर पुनः सभी स्टाफ बाजार के परित्यक्त पूर्व के पीएचसी में शिफ्ट कर गये.
जब बाढ़ समाप्त हुआ और फिर पीएचसी के सीएचसी में वापस जाने की चर्चा तेज हुई तो जिला अनुश्रवण समिति की बैठक में बाजार के बिल्डिंग में ही अगले आदेश तक पीएचसी के चलाने का निर्णय लिया गया. इसी बीच सितंबर में जिला परिषद द्वारा पीएचसी को खाली करने का आदेश जारी करने के बाद माहौल गड़बड़ा गया है और धरना प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया है. देखना है अंततः क्या निर्णय लिया जाता है?
अभियंता ने दिया था परिसर खाली करने का निर्देश
बीते 25 सितंबर को जिला पर्षद के जिला अभियंता ने अपने पत्रांक 473 के तहत पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रोशन कुमार को पत्र लिखते हुए कहा था कि पीएचसी का परिसर जिला पर्षद की संपत्ति है और इसे एक सप्ताह के अंदर खाली कर दिया जाये और नहीं खाली करने पर पीएचसी प्रबंधन से किराया वसूलने की बात भी कही गयी थी.
इसके बाद पीएचसी के प्रभारी डॉ कुमार ने तत्कालिन सीएस डॉ निर्मल कुमार से मार्गदर्शन मांगा फिर छठ व कार्तिक पूर्णिमा को लेकर मामला ठंडे बस्ते में पड़ गया. हॉस्पिटल शिफ्टिंग की यह खबर जैसे ही बाजार में फैली तो पीएचसी परिसर में कई दिनों तक धरना हुआ फिर धरना पर बैठे लोगों ने किसी उम्मीद के बीच खुद धरना समाप्त कर लिया.
अब हो रही है शिफ्टिंग की तैयारी
इधर, कुछ दिन पहले नवनियुक्त सीएस डॉ ललित मोहन प्रसाद ने एक बार फिर पीएचसी के प्रभारी को नये भवन में पीएचसी के शिफ्ट होने का मौखिक आदेश दिया जिसके बाद से अंदर ही अंदर शिफ्टिंग की तैयारी शुरू हो गयी है. पीएचसी के प्रभारी ने बीते दिन सोनपुर एसडीओ, सोनपुर एसडीपीओ, दिघवारा बीडीओ, दिघवारा सीओ व दिघवारा थानाध्यक्ष को पत्र लिखकर पीएचसी खाली करने के वक्त पर्याप्त पदाधिकारी व पुलिस बल तैनात करने की मांग की है. प्रभारी का कहना है कि जब तक सुरक्षा का इंतजाम नहीं होगा तब तक पीएचसी को खाली करना संभव नहीं है.
धरना पर अड़े लोगों की मांग भी अनुचित नहीं
धरना को समर्थन देने वाले जिप के पूर्व उपाध्यक्ष ब्रजकिशोर सिंह, अनिल सिंह, रवींद्र सिंह, चंद्रशेखर आजाद, नागेश्वर सिंह व राममूर्ति सरीखे दर्जनों लोगों की मांग किसी भी दृष्टिकोण से अनुचित नहीं है. धरना का समर्थन देनेवालों का कहना है कि सीएचसी में इलाज की व्यवस्था हो, मगर ओपीडी व इमरजेंसी मुख्य बाजार के पीएचसी में ही चले ताकि रोगी व उसके परिजनों को इलाज कराने में कोई दिक्कत नहीं हो.

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